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SC में AIMPLB की दलील, तीन तलाक 'गुनाह और आपत्तिजनक' लेकिन जायज

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने मंगलवार (16 मई) को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि तीन तलाक एक 'गुनाह और आपत्तिजनक' प्रथा है,

tiwarishalini
Published on: 17 May 2017 1:25 AM IST
SC में AIMPLB की दलील, तीन तलाक गुनाह और आपत्तिजनक लेकिन जायज
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SC में AIMBLB की दलील, तीन तलाक 'गुनाह और आपत्तिजनक' लेकिन जायज

नई दिल्ली, (आईएएनएस): ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने मंगलवार (16 मई) को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि तीन तलाक एक 'गुनाह और आपत्तिजनक' प्रथा है, फिर भी इसे जायज ठहराया गया है और इसके दुरुपयोग के खिलाफ समुदाय को जागरूक करने का प्रयास जारी है।

सीनियर वकील यूसुफ हातिम मनचंदा ने कोर्ट से तीन तलाक के मामले में हस्तक्षेप न करने के लिए कहा, क्योंकि यह आस्था का मसला है और इसका पालन मुस्लिम समुदाय 1,400 साल पहले से करते आ रहा है, जब इस्लाम अस्तित्व में आया था।

उन्होंने कहा कि तीन तलाक एक 'गुनाह और आपत्तिजनक' प्रथा है, फिर भी इसे जायज ठहराया गया है और इसके दुरुपयोग के खिलाफ समुदाय को जागरूक करने का प्रयास जारी है।

एआईएमपीएलबी की कार्यकारिणी समिति के सदस्य मनचंदा ने यह सुझाव पांच जजों की संवैधानिक पीठ को तब दिया, जब पीठ ने उनसे पूछा कि तीन तलाक को निकाह नामा से अलग क्यों किया गया और तलाक अहसान और हसन को अकेले क्यों शामिल किया गया।

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एआईएमपीएलबी की तरफ से ही पेश हुए सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि कुछ लोगों का मानना है कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था और यह आस्था का मामला है और इस पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। उसी तरह, मुस्लिम पर्सनल लॉ भी आस्था का विषय है और कोर्ट को इस पर सवाल उठाने से बचना चाहिए।

सिब्बल पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ के समक्ष अपनी दलील पेश कर रहे थे, जिसमें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जगदीश सिंह खेहर, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन, जस्टिस उदय उमेश ललित और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर शामिल हैं, जो तीन तलाक की संवैधानिक मान्यता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं की सुनवाई कर रही है।

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जब सिब्बल ने जोर दिया कि पर्सनल लॉ आस्था का मामला है और कोर्ट को इसमें दखल नहीं देना चाहिए, तो जस्टिस जोसेफ ने कहा, "हो सकता है। लेकिन फिलहाल 1,400 सालों बाद कुछ महिलाएं हमारे पास इंसाफ मांगने के लिए आई हैं।"

सिब्बल ने कहा, "पर्सनल लॉ कुरान और हदीस से लिया गया है और तीन तलाक 1,400 साल पुरानी प्रथा है। हम यह कहने वाले कौन होते हैं कि यह गैर-इस्लामिक है। यह विवेक या नैतिकता का सवाल नहीं, बल्कि आस्था का सवाल है। यह संवैधानिक नैतिकता का सवाल नहीं है।"

सिब्बल ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी द्वारा कोर्ट के समक्ष सोमवार को की गई उस टिप्पणी पर चुटकी ली, जिसमें उन्होंने कहा था कि कोर्ट मुस्लिमों में तलाक के तीनों रूपों को अमान्य करार दे और केंद्र सरकार तलाक के लिए नया कानून लाएगी।

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जब सिब्बल ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट से नहीं कह सकती कि आप पहले तलाके के तीनों रूपों को अमान्य करार दीजिए, उसके बाद हम एक नया कानून लाएंगे, तब चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा, "पहली बार आप हमारे साथ हैं।"

सिब्बल ने कहा, "आस्था को कानून की कसौटी पर नहीं कसा जा सकता।" उन्होंने कहा, "हम बेहद बेहद जटिल दुनिया में प्रवेश कर चुके हैं, जहां क्या गलत है और क्या सही इसकी खोज करने के लिए हमें 1,400 साल पहले इतिहास में जाना होगा।" मामले की सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी।

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