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Air Pollution In Delhi: दिल्ली में वायु प्रदूषण, अतीत, वर्तमान और समाधान
Air Pollution In Delhi: दिल्ली में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन गई है, विशेष रूप से अक्टूबर और नवंबर के महीनों में, जब प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक बढ़ जाता है।
अक्षिता पीडिहा
Air Pollution In Delhi: दिल्ली, भारत की राजधानी, एक ऐसा शहर है जिसने सदियों से अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित किया है। लेकिन बीते कुछ दशकों में, यह शहर तेजी से बढ़ते प्रदूषण के कारण एक गंभीर पर्यावरणीय संकट का सामना कर रहा है। दिल्ली में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन गई है, विशेष रूप से अक्टूबर और नवंबर के महीनों में, जब प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक बढ़ जाता है। इसके पीछे अनेक कारण छिपे हैं, जिनमें पराली जलाने, वाहनों का बढ़ता उपयोग, औद्योगिक गतिविधियाँ और ठंड के मौसम में पर्यावरणीय स्थितियाँ शामिल हैं। वायु प्रदूषण न केवल पर्यावरणीय समस्या है, बल्कि यह लोगों के स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता पर भी गहरा प्रभाव डालता है। पिछले कुछ दशकों में यह समस्या इतनी विकराल हो गई है कि दिल्ली को अक्सर ‘गैस चेंबर’ कहा जाने लगा है।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: पहले का दिल्ली और प्रदूषण की स्थिति
इतिहास में दिल्ली का पर्यावरण तुलनात्मक रूप से स्वच्छ और संतुलित था। प्राचीन काल से लेकर 20वीं सदी के मध्य तक, दिल्ली हरियाली से भरपूर थी। यमुना नदी का पानी स्वच्छ था और वायु की गुणवत्ता संतोषजनक थी। मुख्यतः बैलगाड़ी और साइकिल जैसे पारंपरिक साधन इस्तेमाल किए जाते थे। लेकिन 1990 के दशक से, शहरीकरण और औद्योगिकीकरण ने दिल्ली के पर्यावरण को बुरी तरह प्रभावित किया।1970 के दशक तक दिल्ली का प्रदूषण स्तर इतना अधिक नहीं था। बढ़ती आबादी और शहरीकरण के साथ, प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हुआ और पेड़ों की कटाई बड़े पैमाने पर हुई।और प्रदूषण का स्तर बढ़ता गया ।
दिल्ली के प्रदूषण के प्रमुख कारण
1. वाहनों का अत्यधिक उपयोग : दिल्ली में वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ी है। निजी वाहनों की अधिकता के कारण, वायु में कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसों का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है।
2. पराली जलाने की समस्या : दिल्ली और इसके आस-पास के क्षेत्रों में पराली जलाना एक प्रमुख समस्या है। हर साल, पंजाब और हरियाणा के किसान फसल कटाई के बाद पराली जलाते हैं, क्योंकि यह फसलों के अवशेषों को हटाने का सबसे आसान और सस्ता तरीका है। इससे भारी मात्रा में धुआँ और प्रदूषक तत्व दिल्ली की हवा में शामिल हो जाते हैं। ठंड के मौसम में प्रदूषण और अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि हवा की गति धीमी होने और वायुमंडलीय स्थिरता के कारण ये प्रदूषक तत्व निचले वायुमंडल में फँस जाते हैं।
3. निर्माण कार्य और धूल : निर्माण स्थलों से निकलने वाली धूल और मलबे के कारण PM 2.5 और PM 10 कणों की मात्रा वायु में बढ़ जाती है। यह कण न केवल वायु को प्रदूषित करते हैं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा उत्पन्न करते हैं।
4. कचरा जलाना और औद्योगिक प्रदूषण : दिल्ली में खुले में कचरा जलाने की प्रवृत्ति और आसपास के औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाला प्रदूषण भी इस समस्या को बढ़ाते हैं।
अतीत की सरकारों की प्रतिक्रिया
प्रदूषण को लेकर पहले की सरकारों की नीतियाँ अक्सर अधूरी और धीमी रहीं। 1998 में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली में CNG (कंप्रेस्ड नैचुरल गैस) बसों की शुरुआत की गई, जिससे कुछ समय के लिए वायु प्रदूषण में कमी आई। लेकिन दीर्घकालिक समाधान के अभाव और योजनाओं के क्रियान्वयन में कमी ने स्थिति को और बिगाड़ दिया।
मौजूदा सरकार की योजनाएँ और प्रयास
इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। "ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान" (GRAP) नामक योजना लागू की गई, जो प्रदूषण स्तर के आधार पर आपातकालीन उपाय सुझाती है। इसमें निर्माण कार्यों पर अस्थायी रोक, वाहनों की आवाजाही पर नियंत्रण और सड़कों पर पानी का छिड़काव जैसे कदम शामिल हैं। हालांकि, इन कदमों के बावजूद, समस्या पूरी तरह से हल नहीं हो सकी है। इसके समाधान के लिए और अधिक व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
ऑड-ईवन नियम : दिल्ली सरकार ने ऑड-ईवन नियम लागू किया है, जिसके तहत निजी वाहनों के इस्तेमाल पर उनके रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर प्रतिबंध लगाया गया है। इस पहल का उद्देश्य वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करना और विशिष्ट अवधि के दौरान वायु गुणवत्ता में सुधार करना है।
निर्माण संबंधी दिशा-निर्देश : सरकार ने धूल उत्सर्जन को कम करने के लिए निर्माण गतिविधियों के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित किए हैं। इन दिशा-निर्देशों का पालन करने से हवा में कणों के उत्सर्जन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
कचरा जलाने पर प्रतिबंध : दिल्ली में कचरा जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, उल्लंघन करने वालों के लिए सख्त दंड का प्रावधान है। खुले में जलाने से होने वाले हानिकारक प्रदूषकों को कम करने के लिए यह विनियमन महत्वपूर्ण है।
हरित पहल को बढ़ावा देना : दिल्ली में शहरीकरण और बुनियादी ढांचे के विकास के कारण वनों की कटाई बड़ी समस्या रही है। इस समस्या को हल करने के लिए, दिल्ली सरकार ने 2020 में वृक्ष प्रत्यारोपण नीति लागू की। इसके तहत निर्माण परियोजनाओं के लिए काटे जाने वाले पेड़ों का कम से कम 80 फ़ीसदी प्रत्यारोपण करना अनिवार्य है।हालांकि, नीति की सफलता इस पर निर्भर करती है कि प्रत्यारोपित वृक्षों की देखभाल और उनकी जीवित रहने की दर कितनी अधिक है।
कड़े औद्योगिक नियम : सरकार ने उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए उद्योगों के लिए कड़े नियम लागू किए हैं। नियमित जांच और सख्त प्रवर्तन औद्योगिक प्रदूषण में कमी लाने में योगदान देता है।
पराली जलाने का समाधान : किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए नई तकनीकों जैसे बायो-डीकंपोजर का उपयोग किया जा रहा है। दिल्ली सरकार ने किसानों को मुफ्त उपकरण भी प्रदान किए हैं।
एंटी-स्मॉग गन और टावर : दिल्ली के बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए, स्मॉग टॉवर्स स्थापित किए गए हैं।दिल्ली में पहला बड़ा स्मॉग टॉवर कनॉट प्लेस में अगस्त 2021 में लगाया गया। इसकी क्षमता प्रतिदिन लगभग 1,000 घन मीटर प्रदूषित हवा को शुद्ध करने की है।यह टॉवर PM 2.5 और PM 10 जैसे सूक्ष्म कणों को शुद्ध कर हवा की गुणवत्ता में सुधार करता है।टॉवर के निचले हिस्से में उच्च-दक्षता फिल्टर लगाए गए हैं, जो प्रदूषकों को हटाते हैं।
इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रचार: दिल्ली सरकार ने ‘दिल्ली इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2020’ लागू की, जिसका उद्देश्य शहर में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को बढ़ावा देना है।2024 तक, दिल्ली सरकार का लक्ष्य है कि नए रजिस्टर किए जाने वाले कुल वाहनों में से कम से कम 25% इलेक्ट्रिक वाहन हों।पेट्रोल और डीजल के विकल्प के रूप में इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करने से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी।
शून्य एफआईआर और हॉटस्पॉट मॉनिटरिंग: दिल्ली सरकार ने प्रदूषण हॉटस्पॉट की पहचान की है और वहां प्रदूषण को कम करने के लिए विशेष कदम उठाए हैं।
यमुना नदी की सफाई: दिल्ली की प्रदूषण समस्या में यमुना की सफाई भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके लिए सरकार ने कई योजनाएँ बनाई हैं।
ग्रीन बजट: दिल्ली सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के लिए 'ग्रीन बजट' पेश किया है, जिसमें पर्यावरणीय जागरूकता अभियानों और प्रदूषण नियंत्रण परियोजनाओं के लिए विशेष निधि आवंटित की गई है।
समाधान और सुधार के सुझाव
प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों और व्यक्तियों पर सख्त जुर्माने का प्रावधान किया जाना चाहिए। नागरिकों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाने की आवश्यकता है।मेट्रो और बस सेवाओं को और अधिक सुलभ और किफायती बनाना चाहिए ताकि लोग निजी वाहनों के बजाय सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें।सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा जैसे हरित ऊर्जा स्रोतों का अधिक से अधिक उपयोग किया जाना चाहिए।
सर्दियों में प्रदूषण के विशेष उपाय लागू करना और एयर क्वालिटी फॉरकास्टिंग सिस्टम को मजबूत करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को प्रदूषण कम करने के लिए सख्त नियम लागू करने चाहिए।नागरिकों को पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी के लिए जागरूक करना जरूरी है। कचरा प्रबंधन, सार्वजनिक परिवहन का उपयोग, और ऊर्जा बचत जैसे मुद्दों पर अभियान चलाना चाहिए।
दिल्ली सरकार का प्रदूषण विरोधी अभियान
‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ अभियान: इस पहल का उद्देश्य लोगों को ट्रैफिक सिग्नल पर इंजन बंद करने के लिए प्रेरित करना है ताकि ईंधन का दहन कम हो।
ग्रीन दिल्ली ऐप: नागरिक इस ऐप का उपयोग प्रदूषण फैलाने वाले स्रोतों की जानकारी देने के लिए कर सकते हैं।
पटाखों पर प्रतिबंध: दिल्ली में दीपावली और अन्य उत्सवों के दौरान पटाखों पर प्रतिबंध लगाया गया है ताकि वायु प्रदूषण पर नियंत्रण रखा जा सके।
पराली प्रबंधन: पराली जलाने के मुद्दे से निपटने के लिए, दिल्ली सरकार ने किसानों को बायो-डीकंपोजर समाधान दिया है, जो पराली को खाद में बदल देता है।
दुनिया भर में सबसे प्रदूषित दिल्ली
पिछले महीने नवंबर में एक रिपोर्ट पब्लिश हुई थी ।Swiss group IQAir के अनुसार, दिल्ली का AQI 418 तक पहुंच गया है।यानि दिल्ली लाहौर से भी ज्यादा प्रदूषित है ।
दिल्ली में वायु प्रदूषण से खुद को बचाने के लिए व्यक्तिगत कार्रवाई और सरकार द्वारा की जाने वाली पहलों के संयोजन की आवश्यकता है। जानकारी प्राप्त करके, जीवनशैली में बदलाव करके और प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से नियमों और पहलों का समर्थन करके, निवासी शहर में एक स्वस्थ और अधिक टिकाऊ वातावरण बनाने में योगदान दे सकते हैं।दिल्ली के प्रदूषण की समस्या केवल स्थानीय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर चिंता का विषय है।
इस समस्या का समाधान केवल सरकार के प्रयासों से संभव नहीं है; इसमें नागरिकों की भागीदारी भी महत्वपूर्ण है। दीर्घकालिक योजनाओं और ठोस क्रियान्वयन के साथ ही दिल्ली अपने पर्यावरण को पुनर्जीवित कर सकती है। प्रदूषण से मुक्त एक स्वच्छ और हरित दिल्ली का सपना तभी साकार होगा, जब सरकार और समाज मिलकर इस दिशा में काम करेंगे।यह समय है कि हम अपने पर्यावरण को बचाने के लिए ठोस कदम उठाएँ, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर दिल्ली का निर्माण हो सके।