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Air Pollution in India: भारत में लगातार बढ़ रहा वायु प्रदूषण, इसके पीछे क्या है बड़े कारण और सरकार क्यों हो रही विफल
Air Pollution in India: वायु प्रदूषण को रोकने की दिशा में सरकार के स्तर पर गंभीर प्रयासों की जरूरत है मगर सरकार भी इसे रोकने की दिशा में गंभीरता से प्रयास करती हुई नहीं दिखती।
Air Pollution in India: देश के विभिन्न हिस्सों में हवा में फैला प्रदूषण अब लोगों के स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बन गया है। राजधानी दिल्ली समेत देश के कई अन्य शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) काफी गंभीर स्थिति में पहुंच चुका है। बढ़ते वायु प्रदूषण ने ताजी और स्वच्छ हवा में सांस लेना असंभव बना दिया है। वायु प्रदूषण के कारण हर वर्ष दुनिया में काफी संख्या में लोगों की मौत हो जाती है मगर इसे रोकने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता।
ऐसे में यह जानना जरूरी है कि वायु प्रदूषण को बढ़ाने वाले कौन से महत्वपूर्ण कारण हैं। वायु प्रदूषण को रोकने की दिशा में सरकार के स्तर पर गंभीर प्रयासों की जरूरत है मगर सरकार भी इसे रोकने की दिशा में गंभीरता से प्रयास करती हुई नहीं दिखती। सबसे पहले वायु प्रदूषण को बढ़ाने वाले पांच प्रमुख कारणों को जानना जरूरी है।
सड़कों पर वाहनों की बढ़ती संख्या
सड़कों पर वाहनों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। अभी हाल में नवरात्रि और धनतेरस के मौके पर देश के विभिन्न हिस्सों में काफी संख्या में वाहनों की बीक्री की खबरें मीडिया में छाई रहीं। ग्रामीण इलाकों के अपेक्षा शहरी इलाकों में वाहनों की बढ़ती संख्या ने नया संकट पैदा कर दिया है। यही कारण है कि ग्रामीण इलाकों की हवा अभी शहरी इलाकों की अपेक्षा काफी साफ मानी जाती है।
वाहनों से निकलने वाला धुआं,कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, नाइट्रोजन ऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर वायु प्रदूषण फैलाने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। वातावरण में वाहन प्रदूषण के कारण ओजोन परत के लिए भी खतरा पैदा होता है। सड़कों पर बड़ी संख्या में कारें और अन्य वाहन सड़कों पर केवल यातायात की समस्या ही नहीं पैदा करते बल्कि वाहनों के इस दबाव से उस क्षेत्र की वायु गुणवत्ता भी काफी प्रभावित होती है।
पराली और कूड़ा जलाने का बड़ा असर
पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में ठंड का मौसम शुरू होने के साथ ही पिछली फसलों के बचे हुए हिस्से को जलाने का काम शुरू हो जाता है। इसे पराली जलाना कहा जाता है। इस बार मानसून की विदाई देरी से हुई है और इस कारण पिछली फसल की सफाई और अगली फसल की तैयारी भी विलंब से शुरू हुई है। इस कारण इन राज्यों के ग्रामीण इलाकों में पराली जलाने का काम भी विलंब से शुरू हुआ है।
अब यह काम लंबे समय तक चलने वाला है, जिसका हवा की गुणवत्ता में बड़ा असर दिखेगा।
कचरे को खुले में जलाना भी आम लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए काफी हानिकारक साबित हो रहा है। राजधानी दिल्ली और देश के कई अन्य हिस्सों में हजारों टन कचरे का ढेर लगा हुआ है और इसे जलाए जाने से हवा में काफी प्रदूषण फैल रहा है।
बड़े निर्माण कार्यो ने बढ़ाया संकट
राजधानी दिल्ली समेत अन्य बड़े शहरों में चल रहे बड़े निर्माण कार्य भी प्रदूषण को बढ़ाने वाले साबित होते हैं। बड़े शहरों में इन दिनों बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य से जुड़ी गतिविधियां चल रही हैं। इससे भी हवा में काफी प्रदूषण फैलता है। यही कारण है कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता खराब होने पर निर्माण संबंधी गतिविधियों पर तुरंत रोक लगाई जाती रही है। हालांकि व्यवहारिक स्तर पर इस पर रोकथाम लगाने में कभी पूरी तरह कामयाबी नहीं मिल सकी।
औद्योगिकीकरण भी बढ़ा रहा मुसीबत
विभिन्न शहरों में बढ़ता औद्योगिकीकरण भी प्रदूषण बनाने का बड़ा कारण बनता जा रहा है। जिन क्षेत्रों में ज्यादा उद्योग हैं,वहां की वायु गुणवत्ता विशेष रूप से खराब है। जीवाश्म ईंधन को जलाने और रसायनों के उपयोग के कारण कारखाने से हवा को प्रदूषित करने वाली गैस निकलती है। यह गैस एक-दूसरे के साथ और अन्य वायुमंडलीय घटकों के साथ प्रतिक्रिया करती है। एक अनुमान के मुताबिक कारखाने से निकलने वाली हवा में करीब 80 प्रकार के विभिन्न विषाक्त पदार्थ पाए जा सकते हैं।
इन कारणों से भी बढ़ता है प्रदूषण
सूखे इलाकों से आने वाली सूखी हवा के साथ आने वाले रेत के कण, पटाखों से निकलने वाले केमिकल और घरेलू बायोगैस को जलाना भी प्रदूषण को बढ़ाने वाला साबित होता है। भारत सहित दुनिया के कई अन्य इलाकों में काफी संख्या में लोग अभी भी खाना पकाने के लिए ठोस ईंधन पर निर्भर है। लकड़ी और कोयले आदि सहित अन्य ईंधनों को जलाने से
आस-पास के वातावरण में बड़ी मात्रा में स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले कण फैलते हैं। इससे वायु प्रदूषण बढ़ने के साथ ही सांस और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है।
सरकार को क्यों नहीं मिल रही कामयाबी
ऐसे में वायु प्रदूषण को खत्म किए जाने की दिशा में सरकार की ओर से महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने चाहिए। तमाम कोशिशों के बावजूद अभी तक पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश नहीं लगाया जा सका है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बाबत कड़ा निर्देश जारी किया था मगर देश की शीर्ष अदालत के आदेश का अनुपालन भी नहीं हो पा रहा है। पराली जलाने की घटनाओं को लेकर विभिन्न सरकारों के बीच बयानबाजी में एक-दूसरे को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की जाती है।
वाहनों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा दिया जाना चाहिए मगर सरकारी स्तर पर इस दिशा में भी गंभीरता से प्रयास नहीं किया जा रहा। वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार के साथ ही आम लोगों की भी बड़ी भागीदारी की जरूरत है जबकि आम लोग भी इस मुद्दे पर उदासीन नजर आते हैं। सरकार को स्वास्थ्य के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए भी ठोस उपाय करने होंगे।