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Maharashtra Election: महाराष्ट्र में अजित पवार क्या गुल खिलाएंगे, पहले योगी के नारे का विरोध, फिर PM की रैली से बनाई दूरी

Maharashtra Election: इस समय महाराष्ट्र में सब की नज़ारे अजित पवार के एक्शन पर टिकी हुई है।

Anshuman Tiwari
Published on: 15 Nov 2024 12:31 PM IST
Maharashtra Election
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Maharashtra Election (social media) 

Maharashtra Election: महाराष्ट्र में 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सभी दल युद्ध स्तर पर चुनाव प्रचार करने में जुटे हुए हैं। एक ओर महायुति ने अपनी सत्ता बचाए रखने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है तो दूसरी ओर महाविकास अघाड़ी गठबंधन ने चुनावी बाजी जीतने के लिए जोरदार प्रचार अभियान छेड़ रखा है। ऐसे में सबकी निगाहें डिप्टी सीएम और एनसीपी के नेता अजित पवार पर लगी हुई हैं।

अजित पवार ने पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नारे ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का विरोध किया और फिर गुरुवार को मुंबई के शिवाजी पार्क में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में हिस्सा नहीं लिया। पीएम मोदी की रैली में अजित पवार ही नहीं बल्कि उनकी पार्टी का कोई भी नेता मौजूद नहीं था। अजित पवार के इस रुख से साफ हो गया है कि महायुति में भीतरी तौर पर सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है।

योगी के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे का विरोध

डिप्टी सीएम अजित पवार ने हाल में अपनी बीड की रैली के दौरान कहा था कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नारा ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ उत्तर प्रदेश में चल सकता है मगर महाराष्ट्र में काम नहीं करेगा। अजित पवार का कहना था कि महाराष्ट्र साधु-संतों का है,शिव प्रेमियों का है, शाहू और अंबेडकर का है। उनकी सिखाई बातें हमारे खून में हैं और इसलिए हम उसी रास्ते पर चलेंगे। हम यहां पर मुसलमानों की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचने देंगे।


उनका कहना था कि ‘बंटेंगे तो कटेंगे’, इस तरह की बातें यहां नहीं चलेंगी। महाराष्ट्र में मुस्लिम समाज के भावनाओं को आहत नहीं किया जाएगा। मैंने मुस्लिम समाज को 10 फीसदी सीटें अपने खाते से दी हैं। मैंने उन्हें ऐसी सीटें नहीं दी हैं जिन पर वे हार जाएं बल्कि ऐसी सीटें दी है जिन पर चुनकर मुस्लिम समाज के प्रतिनिधि विधानसभा में पहुंचें। उन्होंने कहा कि हमने विरोध के बावजूद नवाब मलिक और सना मलिक को टिकट दिया और उनका प्रचार भी किया। उनका कहना था कि हम महायुति में साथ काम जरूर कर रहे हैं मगर इसमें शामिल दलों की विचारधारा अलग-अलग है।

अजित पवार ने बनाई पीएम की रैली से दूरी

इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को जब मुंबई के शिवाजी पार्क में रैली को संबोधित करने पहुंचे तो इसमें अजित पवार के भी पहुंचने की उम्मीद थी मगर पवार ने इस रैली में हिस्सा नहीं लिया। इस रैली में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद थे। अजित पवार ही नहीं बल्कि उनकी पार्टी से मुंबई में विधानसभा चुनाव लड़ रहे नवाब मलिक, सना मालिक और जीशान सिद्दीकी भी रैली में हिस्सा लेने के लिए नहीं पहुंचे।


रैली में रामदास अठावले के अगुवाई वाली आरपीआई के नेता भी मौजूद थे। महायुति के लगभग सभी उम्मीदवार मंच पर मौजूद थे मगर अजित पवार और उनकी पार्टी के नेताओं की अनुपस्थिति लोगों को खटक रही थी। अब पीएम मोदी की रैली में अजित पवार की नामौजूदगी को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।

सत्तारूढ़ महायुति में दरार का संकेत

डिप्टी सीएम अजित पवार की ओर से उठाए गए इस कदम के बाद माना जा रहा है कि महायुति में भीतरी तौर पर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। अजित पवार लगातार ऐसे संकेत दे रहे हैं जिनसे महायुति में दरार झलक रही है। भाजपा नेताओं देवेंद्र फडणवीस और आशीष शेलार की कड़ी आपत्ति के बावजूद अजित पवार ने नवाब मलिक को टिकट दिया है। नवाब मलिक भी भाजपा नेताओं से पंगा लेने में पीछे नहीं हटे हैं।

इससे साफ है कि उन्हें अजित पवार का समर्थन हासिल है। पीएम की रैली से किनारा करने से पहले अजित पवार ने योगी आदित्यनाथ के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ वाले नारे का भी विरोध किया था। सियासी जानकारों का मानना है कि इन कदमों से साफ है कि अजित पवार के मन में कोई अलग खिचड़ी पक रही है।

मुस्लिम वोट बैंक पर अजित की निगाहें

जानकारों का मानना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान अजित पवार की पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। चुनाव नतीजे के विश्लेषण से साफ हो गया था कि मुस्लिम मतदाताओं ने अजित पवार का साथ नहीं दिया था। अब विधानसभा चुनाव के दौरान अजित पवार मुस्लिम मतदाताओं को लेकर सतर्क हो गए हैं।

इसी कारण उन्होंने योगी के नारे का खुलकर विरोध किया है ताकि मुस्लिम वोट बैंक को संतुष्ट किया जा सके। अब यह देखने वाली बात होगी कि योगी के नारे का विरोध करके अजित पवार मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन हासिल करने में कहां तक कामयाब हो पाते हैं।


पंकजा मुंडे और चव्हाण ने भी किया नारे का विरोध

वैसे अजित पवार के अलावा महाराष्ट्र में भाजपा की वरिष्ठ नेता पंकजा मुंडे और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने भी योगी के नारे को अप्रासंगिक बताया है। पंकजा मुंडे ने एक इंटरव्यू का दौरान कहा कि मेरी राजनीति बिल्कुल अलग है। मैं सिर्फ इसलिए इसका समर्थन नहीं करूंगी क्योंकि मैं उसी पार्टी से हूं। मेरा मानना है कि हमें सिर्फ विकास के मुद्दे पर काम करना चाहिए। एक नेता का काम धरती पर रहने वाले हर व्यक्ति को अपना बनाना है। इसलिए मेरा मानना है कि महाराष्ट्र में इस तरह का कोई मुद्दा नहीं लाया जाना चाहिए। दूसरी ओर कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने वाले सांसद अशोक चव्हाण ने भी कहा है कि यह नारा पूरी तरह अप्रासंगिक है और महाराष्ट्र की जनता इसे कभी पसंद नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि निजी तौर पर मैं इस तरह के नारे के पूरी तरह खिलाफ हूं।



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Sonali kesarwani

Sonali kesarwani

Content Writer

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