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'मुसलमानों के लिए हुई थी AMU की स्थापना, इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकते', SC में सुनवाई के दौरान बोले CJI चंद्रचूड़
Aligarh Muslim University Minority Status: एएमयू के अल्पसंख्यक संस्थान के दर्जे पर सुप्रीम कोर्ट में बहस जारी है। इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से बहस पूरी हो चुकी है।
Aligarh Muslim University Minority Status: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक संस्थान (Minority Status) पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रहे है। एएमयू के स्पेशल स्टेटस मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय में संविधान पीठ सुनवाई कर रही है। सुनवाई के सातवें दिन शीर्ष अदालत ने इस मामले में अहम टिप्पणी की। जिसमें कहा गया है कि, 'अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना मुस्लिमों के लिए की गई थी, इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है'।
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice of India DY Chandrachud) की अध्यक्षता में सात जजों की संविधान पीठ इस मामले में तथ्य की कानूनी छानबीन और जांच कर रही है। संविधान के अनुच्छेद- 30 के तहत क्या अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) अल्पसंख्यक संस्थान के दर्जे का दावा कर सकता है या नहीं?
संविधान पीठ में कौन-कौन?
आपको बता दें, संविधान पीठ में सीजेआई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस संजीव खन्ना (Justice Sanjeev Khanna), जस्टिस सूर्यकांत (Justice Suryakant), जस्टिस जे बी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala), जस्टिस दीपांकर दत्ता (Justice Dipankar Dutta), जस्टिस मनोज मिश्रा (Justice Manoj Mishra) और जस्टिस सतीश सी शर्मा (Justice Satish C Sharma) शामिल हैं।
'मुसलमानों के अल्पसंख्यक अधिकार खतरे में'
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) बनाम नरेश अग्रवाल और अन्य मामले में संविधान पीठ ने सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट किया है कि, 'एक अल्पसंख्यक संस्थान भी संसद से राष्ट्रीय महत्व की संस्था (Institute of National Importance) का दर्जा पा सकता है। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सीनियर वकील नीरज किशन कौल, 'जो प्रतिवादियों की ओर से उपस्थित हुए थे, ने अपनी दलील में कहा कि यह तर्क देना पूरी तरह गलत है कि मुसलमानों के अल्पसंख्यक अधिकार खतरे में हैं'।
'अल्पसंख्यकों का कौन सा अधिकार छीना जा रहा'
इस मामले में केंद्र सरकार की तरफ से बहस में स्पष्ट किया गया है कि, AMU की स्थापना अल्पसंख्यकों ने नहीं की है। विश्वविद्यालय का प्रशासनिक अधिकार भी अल्पसंख्यकों (Minorities) के पास नहीं है। बार एंड बेंच की खबर के अनुसार, नीरज किशन कौल ने कहा, कि 'आरक्षण या अल्पसंख्यकों का कौन सा अधिकार छीना जा रहा है? ऐसा क्या किया जा रहा है कि देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे (Secular Framework) को नुकसान पहुंचाने की बात हो रही है? ऐसा कुछ भी नहीं है। सभी नागरिक समान हैं।'
CJI बोले- अल्पसंख्यक संस्था भी राष्ट्रीय महत्व की हो सकती है
दलील सुनने के बाद जवाब में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, 'हमें यह भी समझना होगा कि एक अल्पसंख्यक संस्था भी राष्ट्रीय महत्व की संस्था हो सकती है। संसद एक अल्पसंख्यक संस्था को भी राष्ट्रीय महत्व की संस्था के रूप में नामित कर सकती है। हम इस तथ्य को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) की स्थापना मुस्लिम के लिए हुई थी। जब इसे बनाया गया था तो यह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की तर्ज पर था। यह एक मिसाल थी।'