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Aligarh Muslim University: शिक्षा के गढ़ के साथ कई नामचीन हस्तियों की फैक्ट्री रहा है AMU

Aligarh Muslim University: कई विभागों और स्थापित संस्थानों के साथ यह प्रमुख केन्द्रीय विश्वविद्यालय दुनिया के सभी कोनों से, विशेष रूप से अफ्रीका, पश्चिमी एशिया और दक्षिणी पूर्व एशिया के छात्रों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है।

Jyotsna Singh
Written By Jyotsna Singh
Published on: 8 Nov 2024 1:05 PM IST (Updated on: 8 Nov 2024 4:38 PM IST)
Aligarh Muslim University
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Aligarh Muslim University   (photo: social media )

Aligarh Muslim University: बेहद चर्चित और लोकप्रिय अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय भारत के प्रमुख केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में से एक है जो उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में स्थित है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एक आवासीय शैक्षणिक संस्थान है। इसकी स्थापना 1920 में सर सैयद अहमद खान द्वारा की गई थी और 1921 में भारतीय संसद के एक अधिनियम के माध्यम से इसे केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया।कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की तर्ज पर ब्रिटिश राज के समय बनाया गया पहला उच्च शिक्षण संस्थान था। मूलतः यह मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज था, जिसे महान मुस्लिम समाज सुधारक सर सैयद अहमद खान द्वारा स्थापित किया गया था।कई प्रमुख मुस्लिम नेताओं, उर्दू लेखकों और उपमहाद्वीप के विद्वानों ने विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त कर रखी है।

एएमयू की स्थापना के लिए इस राजा ने दी थी इतने एकड़ जमीन

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के लिए साल 1929 में राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने 3.04 एकड़ जमीन दान दी थी।


आधुनिक शिक्षा की आवश्यकता बनी एएमयू स्थापना की प्रेरणा

अपने समय के महान समाज सुधारक सर सैयद अहमद खान ने आधुनिक शिक्षा की आवश्यकता को महसूस किया और 1875 में एक स्कूल शुरू किया, जो बाद में मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज और अंततः 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना। कई विभागों और स्थापित संस्थानों के साथ यह प्रमुख केन्द्रीय विश्वविद्यालय दुनिया के सभी कोनों से, विशेष रूप से अफ्रीका, पश्चिमी एशिया और दक्षिणी पूर्व एशिया के छात्रों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है।


सार्क और राष्ट्रमंडल देशों के छात्रों के लिए भी यहां सीटें

कुछ पाठ्यक्रमों में सार्क और राष्ट्रमंडल देशों के छात्रों के लिए सीटें आरक्षित हैं। विश्वविद्यालय सभी जाति, पंथ, धर्म या लिंग के छात्रों के लिए खुला है। अलीगढ़ दिल्ली के दक्षिण पूर्वी में 130 किमी दूरी पर दिल्ली-कोलकाता रेलवे और ग्रांड ट्रंक रूट की स्थित है।अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में शिक्षा के पारंपरिक और आधुनिक शाखा में 250 से अधिक पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते हैं।


1951 में मिला 5 लाख रुपये का दान

हैदराबाद के सातवे निज़ाम- मीर उस्मान अली खान ने वर्ष 1951में इस विश्‍वविद्यालय के प्रति 5 लाख रुपैये का दान दिया।


बेहद खास है एएमयू का संग्रहालय में मुख्य वस्तुएँ तथा पांडुलिपियां

एएमयू की मौलान आजाद लाइब्रेरी में 13.50 लाख पुस्तकों के साथ तमाम दुर्लभ पांडुलिपियां भी मौजूद है। एएमयू के संग्रहालय में बेशकीमती वस्तुएँ तथा पांडुलिपियां मौजूद हैं। ।1877 इस्वी में लाइब्रेरी की स्थापना हुई थी।यह रखी इंडेक्स इस्लामिक्स की कीमत 12 लाख रुपये है। इसके अलावा फारसी पांडुलिपि का कैटलॉग और साढ़े चार लाख दुर्लभ पुस्तकें पांडुलिपिया व शोधपत्र ऑनलाइन इसे बेहद लोकप्रियता प्रदान करता है। अकबर के दरबारी फैजी की फारसी में अनुवादित गीता, 400 साल पहले फारसी में अनुवादित महाभारत की पांडुलीपि, तमिल भाषा में लिखे भोजपत्र, 1400 साल पुरानी कुरान, मुगल शासकों के कुरान लिखे विशेष कुर्ते जिन्हे रक्षा कवच कहते हैं, सर सैयद की पुस्तकें व पांडुलिपिया, जहांगीर के पेंटर मंसूर नक्काश ती अद्भुत पेंटिग जैसी बेहद कीमती वस्तुएं यहां मौजूद है।


1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पहले कुलाधिपति कौन थे?

वर्ष 1875 में बने मुहम्मडन एंग्लो-ओरियंटल कॉलेज, अलीगढ़ को ही 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय नाम दिया गया था। यहां के पहले कुलपति महमूदाबाद के राजा मोहम्मद अली मोहम्मद खान बने थे। तब इस विश्वविद्यालय की कुलाधिपति एक महिला बेगम सुल्तान जहां बनीं थीं।


अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से निकली नामचीन हस्तियां

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) से पढ़ने वाले कई लोग बड़े नेता, कवि, पत्रकार, लेखक, गीतकार, शायर वगैरह रहे हैंः

जिनमें से मुख्य तौर पर डॉ॰ ज़ाकिर हुसैन. भारत के तीसरे राष्ट्रपति, ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान, मोहम्मद अमीन दीदी, मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति,

मंसूर अली बांग्लादेश के पूर्व प्रधानमंत्री, हामिद अंसारी भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति, साहब सिंह वर्मादिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री,

मोहसिना किदवई पूर्व केंद्रीय मंत्री, अब्दुल्ला शेख मोहम्मद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री,

अनवरा तैमूर आसाम की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं,

इरफ़ान हबीब इतिहासकार,

नसीरुद्दीन शाह अभिनेता,

आरफ़ा ख़ानम शेरवानी पत्रकार,

बशारत पीर कवि,

हसरत मोहानी कवि,

जिब्रान उद्दीन पत्रकार,

असगर वजाहत लेखक,

असरारुल हक़ मजाज़ कवि वहीं समाज वादी पार्टी के कद्दावर नेता रहे आजम खान भी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पढ़ कर निकले हैं।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हस्तियां

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से भारत को कई महान हस्तियां मिली हैं। जिन्हें भारत के प्रतिष्ठित सम्मान मिले हैं। जैसे कि-भारतरत्न हासिल करने वाले व्यक्तियों में डॉ0 जाकिर हुसैन (1963) , खान अब्दुल गफ्फार खान (1983) ,

पद्मविभूषण हासिल करने वाले,

हाफिज मुहम्मद इब्राहिम (1967),

सैयद बसीर हुसैन जैदी (1976), प्रो. आवेद सिद्दीकी (2006),

प्रो. राजा राव (2007),

प्रो. एआर किदवई (2010)

ज्ञानपीठ पुरस्कार हासिल करने वाली लिस्ट में कुर्रतुलऐन हैदर (1989) अली सरदार जाफरी (1997, प्रो. शहरयार (2008) का नाम आता है।

पद्मभूषण पुरस्कार हासिल करने के लिए शेख मोहम्मद अब्दुल्लाह (1964),

प्रो. सैयद जुहूर कासिम (1982), प्रो. आले अहमद सुरुर (1985), नसीरुद्दीन शाह (2003), प्रो. इरफान हबीब (2005), कुर्रातुल एन हैदर (2005), जावेद अख्तर (2007)

डॉ. अशोक सेठ (2014) जैसी नाम चीन हस्तियां शामिल हैं।

पद्मश्री अवॉर्ड विजेता की लिस्ट में विश्वविद्यालय के अब तक कुल 53 महानुभावों को पद्मश्री सम्मान हासिल हो चुका है।


एएमयू ने देश के विभिन्न कोर्ट को दिए कई जज

एएमयू के संस्थापक सर सैयद अहमद खां का सपना था कानून की पढ़ाई करने वाले छात्र यहां से शिक्षा हासिल करें और मुल्क में संविधान का उजाला फैलाएं। जो सपना उनके द्वारा देखा गया वो 1960 में साकार हुआ और फेकल्टी में कानूनी पढ़ाई शुरू कराई गई। जिसके महज एक साल बाद 1961 में यहां पीएचडी का प्रोग्राम भी सुचारू रूप से शुरू हो गया ।

यहां के प्रोफेसर वसीम अली बताते है कि यह प्रोग्राम देश विदेश के उन चुनिंदा प्रोग्राम में शामिल हो चुका था। यहां से शिक्षा हासिल करने के बाद काफी छात्र देश व विदेश के लिए पहचान बन चुके हैं। जिसमें एएमयू के स्टूडेंट्स रहे जस्टिस बहादुर इस्लाम सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के चीफ जस्टिस बने। वहीं फजले अली मुर्तजा सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बने,साथ ही जस्टिस सगीर अहमद व जस्टिस आरपी सेठी सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बने।वहीं अगर बात अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से शिक्षा हांसिल करनेवाले हिंदुस्तान से बाहर चीफ जस्टिस बनने वालों की अगर बात कही जाए तो उनमें अब्दुल हलीम खान का नाम सुर्खियों में आता है जो पेशावर के चीफ जस्टिस बने। साथ ही चीफ जस्टिस हलीम पाकिस्तान के चीफ जस्टिस बने। वहीं रूहल इस्लाम साहब बांग्लादेश के चीफ जस्टिस बने। बशीर अहमद साहब तंजानिया के चीफ जस्टिस बने। लेकिन सभी की शिक्षा हासिल करने की अगर बात कही जाए तो सभी के द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से शिक्षा हासिल की गई थी।


AMU के अल्पसंख्यक स्वरूप को लेकर क्या था विवाद

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से जुड़ा अल्पसंख्यक स्वरूप को लेकर 1965 से विवाद चला आ रहा है। उस समय की केंद्र सरकार ने 20 मई, 1965 को एएमयू एक्ट में संशोधन कर इसकी स्वायत्तता को खत्म कर दिया था, जिसके विरोध में अजीज बाशा ने 1968 में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।


पांच जजों की बेंच ने सुनाया फ़ैसला

पांच जजों की बैंच ने फैसला दिया कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। इसमें खास बात ये रही कि एएमयू को पार्टी नहीं बनाया गया था। 1972 में इंदिरा गांधी सरकार ने भी माना कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। यूनिवर्सिटी में इसका विरोध भी हुआ। बाद में इंदिरा गांधी सरकार ने 1981 में एएमयू एक्ट में बदलाव कर यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक संस्थान माना।

2006 में एएमयू के जेएन मेडिकल कॉलेज में एमडी, एमएस की 50 प्रतिशत सीट मुसलमानों को आरक्षित करने के विरोध में हिंदू छात्र इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गए। हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं हो सकता। इस फैसले के विरोध में एएमयू सुप्रीम कोर्ट चला गया। तभी से यह केस विचाराधीन था जिसका अब फैसला आ चुका है।


क्या एएमयू को अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त है?

यह भारत की प्रमुख शैक्षिक संस्थाओं में से एक है।अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दोनों ही तरह से मान्यता प्राप्त है।


अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में हिंदू छात्र और छात्राओं की संख्या लगभग क्या होगी?

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में हिंदू छात्र और छात्राओं की संख्या की बात करें तो इसमें 70 प्रतिशत मुस्लिम और 30 प्रतिशत हिंदू स्टूडेंट्स पठन पाठन करते हैं। जबकि चिकित्सा और कानून जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में हिंदू स्टूडेंट्स की संख्या 40 प्रतिशत तक होने का अनुमान है।


खेलकूद में एएमयू क्यों प्रसिद्ध है?

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय न सिर्फ अपने उत्कृष्ट शैक्षिक स्तर के अलावा खेलकूद के लिए भी एएमयू की एक विशिष्ट विशेषता रही है। यह एकमात्र विश्वविद्यालय है जिसमें राइडिंग क्लब है। स्केटिंग और राइडिंग टीमों ने अंतर-विश्वविद्यालय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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