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Divorce New Rule: तलाक के बाद दोबारा शादी करने पर भी देना होगा गुजारा भत्ता

Divorce New Rule: बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुस्लिम तलाकशुदा महिलाओं के पक्ष में एक अहम फैसला सुनाते हुए व्यवस्था दी है कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला दोबारा शादी करने के बाद भी अपने पहले पति से गुजारा-भत्ता पाने की हकदार है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 7 Jan 2024 3:55 PM IST
Alimony will have to be paid even if you remarry after divorce. Protection of Rights on Divorce
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 तलाक के बाद दोबारा शादी करने पर भी देना होगा गुजारा भत्ता: Photo- Social Media

Divorce New Rule: बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुस्लिम तलाकशुदा महिलाओं के पक्ष में एक अहम फैसला सुनाते हुए व्यवस्था दी है कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला दोबारा शादी करने के बाद भी अपने पहले पति से गुजारा-भत्ता पाने की हकदार है। कोर्ट ने इस हक के लिए मुस्लिम वुमेन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन डाइवोर्स) एक्ट 1986 के प्रावधान को आधार बनाया है।

बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राजेश पाटिल ने कहा कि ऐसी कोई शर्त नहीं है जो मुस्लिम महिला को पुनर्विवाह के बाद भरण-पोषण पाने से वंचित करती हो। कोर्ट ने कहा है कि एमडब्ल्यूपीए कानून दोबारा शादी के बाद भी मुस्लिम महिला के भरण पोषण के अधिकार को सुरक्षित करता है। इसकी धारा 3(1)(ए) के तहत ऐसी कोई शर्त नहीं है, जो मुस्लिम महिला को पुनर्विवाह के बाद भरण-पोषण पाने से वंचित करती हो।

क्या है मामला

मामला यूं है कि एक व्यक्ति की तलाकशुदा बीवी ने निचली अदालतों के आदेशों को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया था और गुजारा भत्ता मांगा था। इस जोड़े की शादी 9 फरवरी, 2005 को हुई थी और उनकी एक बेटी का जन्म उसी साल दिसंबर में हुआ। शादी के बाद पति काम करने के लिए सऊदी चला गया और उसकी बीवी अपनी बेटी को लेकर रत्नागिरी के चिपलुन में अपने सास-ससुर के साथ रहने लगी। जून 2007 में बीवी अपनी बेटी के साथ ससुराल छोड़कर अपने मायके चली गई। इसके बाद, पत्नी ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत रखरखाव आवेदन दायर किया और पति ने अप्रैल 2008 में उसे तलाक दे दिया।

चिपलून कोर्ट ने शुरू में रखरखाव आवेदन खारिज कर दिया, लेकिन पत्नी ने मुस्लिम महिला ( तलाक अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986 (एमडब्ल्यूपीए) के तहत एक नया आवेदन दायर किया। जिसके बाद, अदालत ने पति को बेटी के लिए गुजारा भत्ता और पत्नी को एकमुश्त राशि देने का आदेश दिया। पति ने आदेशों को चुनौती दी और पत्नी ने भी बढ़ी हुई राशि की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया।

सत्र न्यायालय ने पत्नी के आवेदन को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए एकमुश्त भरण-पोषण राशि बढ़ाकर 9 लाख रुपये कर दिया, जिसपर पति ने रिवीजन आवेदन दाखिल किया। कार्यवाही के दौरान, यह बताया गया कि उस महिला ने अप्रैल 2018 में दूसरी शादी की थी लेकिन अक्टूबर में फिर से उसका तलाक हो गया। आवेदक यानी पूर्व पति के वकील ने दलील दी कि पत्नी, दूसरी शादी करने के बाद, अपने पहले पति से भरण-पोषण की हकदार नहीं है। उन्होंने कहा कि पत्नी केवल दूसरे पति से ही गुजारा-भत्ता मांग सकती है।

अदालत ने कहा कि अधिनियम की धारा 3(1)(ए) पुनर्विवाह के खिलाफ बिना किसी शर्त के उचित और निष्पक्ष प्रावधान और भरण-पोषण का प्रावधान करती है। अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि तलाक के बाद भरण-पोषण प्रदान करने का पूर्व पति का कर्तव्य पत्नी के पुनर्विवाह पर समाप्त हो जाता है। यानी पूर्व पति को गुजाराभत्ता देने होगा।



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Shashi kant gautam

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