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अनुसूचित जाति के बाबा फलाहारी बने पटना के इस मंदिर के पुजारी

संत फलाहारी सूर्यवंशी दास- बाबा का यह नाम बहुत ही कम लोग जानते हैं। बाबा ने 39 वर्ष तक फलाहार का सेवन किया है, जिस वजह से इनका नाम फलाहारी रख दिया गया। बाबा लगभग 3 दशक से पटना के महावीर मंदिर में पुजारी हैं। इनके सहकर्मी बताते हैं कि 1993 में इनकी नियुक्ति देश के तीन बड़े धर्माचार्यों की मौजूदगी में हुई थी।

Roshni Khan
Published on: 26 Feb 2019 12:26 PM GMT
अनुसूचित जाति के बाबा फलाहारी बने पटना के इस मंदिर के पुजारी
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जन के नायक बन गए बाबा फलाहारी सूर्यवंशी दास

पटना: संत फलाहारी सूर्यवंशी दास- बाबा का यह नाम बहुत ही कम लोग जानते हैं। बाबा ने 39 वर्ष तक फलाहार का सेवन किया है, जिस वजह से इनका नाम फलाहारी रख दिया गया। बाबा लगभग 3 दशक से पटना के महावीर मंदिर में पुजारी हैं। इनके सहकर्मी बताते हैं कि 1993 में इनकी नियुक्ति देश के तीन बड़े धर्माचार्यों की मौजूदगी में हुई थी।

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वे कहा करते हैं, कि खुद से पहले मैंने कभी किसी बड़े मंदिर में दलित पुजारी के बारे में नहीं सुना था। मगर मुझे अपने ज्ञान पर भरोसा था, और आज भी इसी ज्ञान के बल पर सम्मान मिलता है। अनुसूचित जाति का होने के बावजूद बाबा को कभी ऐसा लगा नहीं की पिछड़ी जाति के हैं। उन्हें पटना के लोगों ने अप्रतिम सम्मान और अप्रतिम पद पर बैठा दिया है। उन्हें कभी यह प्रतीत नहीं हुआ की उनके किसी भी भक्त ने उनको जाति को लेकर किसी तरह का अजीब भाव किया हो। वह मानते हैं कि संत तो संत है, उसकी जात क्या पूछना। उनके लिए अब उनकी जाति का कोई महत्व नहीं रह गया है।

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वह खुद ही बताते है कि मंदिर के ब्राह्मण-संत उनकी सेवा करते हैं। बाबा खाने में जो भी बनाते हैं, मंदिर के सारे संत लोग बड़े ही प्रेमभाव से उस भोजन को खाते हैं।

आपको बता दें कि बाबा सूर्यवंशी दास वैरागी हैं। वह अपना सब कुछ परिवार वालों को सौंप दुनियादारी से मुक्त हो चुके हैं। इनकी नजर में ब्राह्मण वह है जो ब्रह्म का ज्ञाता होता हैं। बाबा से पूछा गया कि आपके जीवन मे आप ब्राह्मण कहलाना पसंद करेंगे? वे कहते हैं नहीं, कर्म अच्छे होने चाहिए, फल खुद ही प्राप्त हो जाएगा।

Roshni Khan

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