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UP: 12 साल बाद जेल से बाहर आएंगे माफिया डॉन बृजेश सिंह, जानें बाहुबली मुख्तार अंसारी से अदावत की कहानी
Brijesh Singh Bail : पूर्वांचल के चर्चित माफिया डॉन बृजेश सिंह को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है। उन पर मऊ से तत्कालीन विधायक मुख्तार अंसारी के काफिले पर जानलेवा हमला करने का आरोप है।
Mafia Don Brijesh Singh Bail : पूर्वांचल के माफिया डॉन बृजेश सिंह (Brijesh Singh) को कोर्ट ने सशर्त जमानत दे दी है। बृजेश सिंह 21 साल पुराने मामले में अभी वाराणसी जेल (Varanasi Jail) में बंद हैं। बृजेश पिछले 12 सालों से वाराणसी की जेल में कैद हैं। उन पर मऊ (Mau) के तत्कालीन विधायक और बाहुबली मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) पर जानलेवा हमला करने का आरोप है। गौरतलब है कि, मुख्तार अंसारी भी इन दिनों उत्तर प्रदेश की जेल में बंद हैं। मुख्तार लंबे समय से बांदा जेल (Banda Jail) में बंद हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court ) ने बाहुबली मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) पर हुए जानलेवा हमले के आरोपी माफिया डॉन बृजेश सिंह उर्फ अरुण कुमार सिंह (Mafia Don Brijesh Singh) की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है। जस्टिस अरविंद कुमार मिश्र (Justice Arvind Kumar Mishra) की एकल पीठ ने ये आदेश दिया है। बृजेश सिंह सहित अन्य के खिलाफ गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में जानलेवा हमला और हत्या सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ था।
कभी दोनों में थी दोस्ती
यूपी के अपराध जगत में मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह का नाम सूची में हमेशा ही ऊपर रहा है। आज दोनों में भले ही अदावत हो, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब इन दोनों बाहुबली में घनिष्ठता थी। दोनों मित्र हुआ करते थे। लेकिन, फिर ऐसा क्या हुआ कि, ये एक-दूसरे की जान के दुश्मन बन गए। तो आइए जानते हैं कि बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी की वो कहानी जो आज तक आपने नहीं सुनी हो।
कहानी फिल्मी..हीरो कौन, ढूंढते रह जाएंगे
बृजेश सिंह अपराध की दुनिया का बड़ा नाम रहा है। वहीं, मुख्तार अंसारी बाहुबली होने के साथ-साथ राजनीति की दुनिया में भी कदम रख चुके थे। बृजेश सिंह और मुख्तार की कहानी थोड़ी-थोड़ी फिल्मी है। लेकिन, आप कंफ्यूज हो जाएंगे कि इस फिल्म का 'नायक' कौन है। क्योंकि, उत्तर प्रदेश के अपराध की दुनिया के ये दो 'विलेन' जो ठहरे। इनकी दुश्मनी कोई ऐसी-वैसी नहीं थी। आपको पता है, इनकी अदावत ने पूरे पूर्वांचल को हिला कर रख दिया था। गैंगवार में कई लोगों की जानें भी गईं।
यूं दुश्मनी में बदल गई दोस्ती
बृजेश सिंह (Brijesh Singh) और मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) की दोस्ती, दुश्मनी में बदलने की कहानी भी जुदा है। दोनों बाहुबलियों के रिश्ते तब बिगड़े जब वर्ष 1991 में वाराणसी के पिंडरा विधानसभा सीट से विधायक अजय राय (Ajay Rai) के भाई अवधेश राय की हत्या (Awadhesh Rai Murder) हो गई। कहते हैं, अवधेश राय के मर्डर की खबर सुनते ही बृजेश सिंह का पारा चढ़ गया। अवधेश राय की हत्या में मुख्तार अंसारी और उनके गैंग का नाम आया।
बढ़ता गया मुख्तार का कद, बृजेश का रुतबा घटा
अवधेश राय की हत्या के बाद बृजेश और मुख्तार के बीच म्यान खिंच गई। तब तक मुख़्तार राजनीति में कदम रख चुके थे। साल 1996 में मुख्तार अंसारी पहली बार जीतकर विधानसभा पहुंचे। धीरे-धीरे उनका रुतबा और कद बढ़ने लगा। फिर क्या था, बृजेश सिंह के पीछे प्रदेश की पुलिस लग गई। धीरे-धीरे बृजेश सिंह की ताकत सिमटती जा रही थी। ऐसे में साल 2001 में बृजेश ने मुख्तार को खत्म करने की योजना बनाई।
क्या है उसरी चट्टी मामला?
गाजीपुर जिले में 15 जुलाई 2001 का दिन तय हुआ। मोहम्मदाबाद थाना क्षेत्र के उसरी चट्टी (Usri Chatti) इलाके में तत्कालीन मऊ एमएलए मुख्तार अंसारी के काफिले पर बृजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह (Tribhuvan Singh) ने जानलेवा हमला किया। इस वारदात को भरी दोपहरी में अंजाम दिया गया। अचानक हुए इस हमले में मुख्तार अंसारी के गनर सहित 3 लोगों की मौत हुई थी। जवाबी कार्रवाई में बृजेश सिंह भी घायल हुए थे।
सालों अंडरग्राउंड रहा बृजेश
उसरी चट्टी वारदात के बाद चर्चा रही कि बृजेश सिंह, मुख्तार की ओर से जवाबी फायरिंग में मारा गया। मगर, बृजेश जिन्दा था। वह सालों तक अंडरग्राउंड रहा। उसने अपना कारोबार छिपकर चलाया। बृजेश सिंह पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने 5 लाख रुपए इनाम घोषित किया था। लेकिन, एक नाटकीय घटनाक्रम में दिल्ली स्पेशल सेल ने उसे भुवनेश्वर से गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद बृजेश सिंह को यूपी लाया गया। लंबे समय से वो वाराणसी जेल में बंद हैं। अब जमानत मिलने के बाद वो बाहर आएंगे।