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इलाहाबाद हाईकोर्ट के रेप संबंधी फैसले पर बढ़ा विवाद, सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका, केंद्रीय मंत्री ने भी उठाए सवाल

Allahabad High Court Controversy: इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले पर सवाल उठने लगे हैं और 17 मार्च को दिए गए इस विवादित फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है।

Anshuman Tiwari
Published on: 21 March 2025 1:23 PM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट के रेप संबंधी फैसले पर बढ़ा विवाद, सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका, केंद्रीय मंत्री ने भी उठाए सवाल
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इलाहाबाद हाईकोर्ट के रेप संबंधी फैसले पर बढ़ा विवाद  (photo: social media )

Allahabad High Court Controversy: नाबालिग लड़की से रेप के एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर बड़ा विवाद पैदा हो गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकल पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि नाबालिग के ब्रेस्ट का स्पर्श और पायजामे का नाड़ा तोड़ना बलात्कार या बलात्कार की कोशिश के मामले में नहीं गिना जा सकता। हालांकि हाईकोर्ट ने यह ढी कहा कि यह मामला गंभीर यौन अपराध की श्रेणी में आता है। न्यायमूर्ति राममनोहर नारायण मिश्र की एकल पीठ ने कासगंज के स्पेशल जज (पोक्सो कोर्ट) का समन आदेश संशोधित कर दिया है और नए सिरे से समन जारी करने का आदेश दिया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले पर सवाल उठने लगे हैं और 17 मार्च को दिए गए इस विवादित फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने भी हाईकोर्ट के इस फैसले को गलत ठहराया है। राज्यसभा सदस्य रेखा शर्मा ने भी फैसले पर सवाल उठाते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग को सुप्रीम कोर्ट जाने की सलाह दी है। इस बाबत देश के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर मामले का स्वत: संज्ञान लेने की भी अपील की गई है।

फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका

इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ वकील अंजले पटेल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में फैसले के विवादित हिस्से को हटाने की मांग की गई है। याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट केन्द्र सरकार/ हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दे कि वो फैसले के इस विवादित हिस्से को हटाएं। इसके साथ ही याचिका में मांग की गई है कि जजों की ओर से की जाने वाली ऐसी विवादित टिप्पणियों को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से गाइडलाइन बनाई जानी चाहिए।

केंद्रीय मंत्री ने फैसले को गलत बताया

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से की गई टिप्पणी की कड़े शब्दों में निंदा की है। हाईकोर्ट की टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह फैसला पूरी तरह गलत है। उन्होंने कहा कि इस तरह की टिप्पणी से समाज में गलत संदेश जाएगा। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले पर ध्यान देने की भी अपील की।

महिला आयोग को सुप्रीम कोर्ट जाने की सलाह

राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य रेखा शर्मा ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की यह टिप्पणी पूरी तरह गलत है और राष्ट्रीय महिला आयोग को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए। सांसद ने कहा कि अगर न्यायाधीश संवेदनशील नहीं हैं, तो महिलाएं और बच्चे क्या करेंगे? उन्हें इस कृत्य के पीछे की मंशा को देखना चाहिए। यह पूरी तरह से गलत है और मैं इसके खिलाफ हूं।

सीजेआई से मामले का संज्ञान लेने की मांग

इस बीच वरिष्ठ अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने अपने और संगठन वी द वूमेन ऑफ़ इंडिया की ओर से देश के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है। उन्होंने सीजेआई से न्यायिक और प्रशासनिक दोनों पक्षों से मामले का स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश ने कानून की उनकी समझ को झकझोर दिया है। वे इस संबंध में रिपोर्ट देखने के बाद टूट गई हैं और बुरी तरह परेशान हैं।

उन्होंने कहा कि सीजेआई को मामले का स्वत: संज्ञान लेने के साथ ही संबंधित न्यायाधीश को आपराधिक रोस्टर से तत्काल प्रभाव से हटाने पर विचार करना चाहिए। न्यायाधीश की व्याख्या पूरी तरह गलत है और उनकी सोच और संवेदनशील और गैर जिम्मेदाराना है। इससे समाज में गलत संदेश जाता है जहां महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध पहले से ही समस्या बने हुए हैं।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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