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UP चुनाव: कांग्रेस लड़ी अकेले तो ज्यादातर सीटों पर SP, BSP और BJP के बीच सिमट जाएगी त्रिकोण लड़ाई

यूपी में में टिकटों के बंटवारे में सपा के बीच चल रही पारिवारिक रस्साकसी के बीच कांग्रेस और सपा की तालमेल की कोशिशें मुश्किल में फंस गई हैं।

tiwarishalini
Published on: 27 Dec 2016 1:11 AM IST
UP चुनाव: कांग्रेस लड़ी अकेले तो ज्यादातर सीटों पर SP, BSP और BJP के बीच सिमट जाएगी त्रिकोण लड़ाई
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नई दिल्ली: यूपी में में टिकटों के बंटवारे में सपा के बीच चल रही पारिवारिक रस्साकसी के बीच कांग्रेस और सपा की तालमेल की कोशिशें मुश्किल में फंस गई हैं। सपा से समझौते की शर्त के लिए कम से कम सौ सीटों की राहुल गांधी की मांग को सपा ने सिरे से खारिज कर दिया है। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह के कड़े रवैए के बाद कांग्रेस के साथ साझा मोर्चा बनाने की सीएम अखिलेश यादव की रणनीति को झटका लगता नजर आ रहा है।

सपा और कांग्रेस के बीच सीटों के तालमेल की बातें सीधे सीएम अखिलेश यादव और राहुल गांधी के बीच निजी स्तर पर हो रही हैं। दूसरी कांग्रेस के यूपी के रणनीतिकार इस बात से भी हतप्रभ हैं कि जब करीब आधी सीटों पर उम्मीदवारों के चयन के मामले में अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच तलवारें खिंचती नजर आ रही हैं तो ऐसी दशा में दोनों गुटों के बीच कांग्रेस को समझौते में तरजीह देने का सवाल ही नहीं उठता।

सपा सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस से तालमेल के लिए भले ही यूपी के मुस्लिम बुद्धिजीवी और सामाजिक कार्यकर्ताओं का सपा पर विगत कुछ महीनों से दबाव बना हुआ था, लेकिन मुलायम ने अब कांग्रेस से इसलिए तौबा कर ली क्योंकि सपा के परंपरागत वोटों के मुकाबले कांग्रेस का वोट बैंक ज्यादातर यूपी में कुछ ही सीटों तक सिमट चुका है। दूसरा सपा को लगता है कि उसके पास ऐसी सीटों पर तगड़े उम्मीदवार हैं जहां वह बीजेपी और बसपा के साथ त्रिकोणी लड़ाई में वोट बैंक की तुलना में आगे रहेगी।

कांग्रेस के साथ तालमेल में सपा को सबसे बड़ी समस्या यह है कि करीब दो दर्जन ऐसी सीटें मुश्किल में फंसी हैं, जहां पिछले चुनाव में सपा के उम्मीदवार चुनाव जीत कर आए थे। सपा को लगता है कि ऐसे वक्त जब चुनाव सिर पर आ गए हैं तो उसके कार्यकर्ता उन सीटों पर विद्रोह में उतर आंएगे जो सीटों के समझौते में कांग्रेस के खाते में जाएंगी। इससे सीधा नुकसान सपा को यह होगा कि राज्य की 403 सीटों में 100 यानी एक चौथाई या उससे कुछ कम सीटें भी समझौते में कांग्रेस को कुर्बान कर दी गईं तो इससे राज्य में सपा के अपने वोट बैंक में औसतन एक चौथाई वोटों की गिरावट आ जाएगी। जिसे भविष्य में दोबारा पाना सपा के लिए बहुत ही मुश्किल हो जाएगा।

कांग्रेस और सपा के बीच तीसरा कोण चौधरी अजित सिंह की पार्टी आरएलडी है। जिसका पश्चिमी यूपी में जाटों में मजबूत जनाधार है। कांग्रेस ने हाल ही में सपा को इस बात पर राजी करने की पुरजोर कोशिशें की हैं कि पश्चिमी यूपी के करीब दो दर्जन जिलों में जाटों का वोट हासिल करने के लिए बीजेपी और बसपा को टक्कर देने के लिए ऐसा किया जाना जरूरी है। इस एवज में अजित सिंह की सीटों की मांग को सपा ने पूरी तरह नकार दिया है। सपा को यह भी लगता है कि पश्चिमी यूपी में भले ही उसका असर मुसलमान वोटों तक सीमित है लेकिन तीन साल से वहां जाटों और मुसमानों के पूरी तरह सांप्रादायिक आधार पर बंटे होने के कारण सपा का अपना वोट बैंक विमुख हो जाएगा।

बसपा का दावा हम सब पर भारी

बसपा सुप्रीमो मायावती ने कांग्रेस के साथ सपा की सीटों के तालमेल पर बीजेपी के परोक्ष समर्थन का आरोप लगाकर सियासी खेमेबंदी को और तेज कर दिया है। बसपा के एक वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद अंबेठ राजन के मुताबिक, हम पहले से तैयार हैं कि हमारी सीटों को कम करने और बसपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए बसपा विरोधी पार्टियां आपस में किसी भी हद तक समझौता करने से पीछे नहीं हटेंगी। उनका दावा था कि समूचे यूपी की जनता सपा राज में गुंडा तत्वों और पुलिस तंत्र का अपराधीकरण करने पर तुली है। सपा का विकास का नारा खोखला है।

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tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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