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Amarnath Cloudburst: अमरनाथ हादसा बादल फटने की घटना नहीं, मौसम विभाग का बड़ा बयान

Amarnath Cloudburst: भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने अमरनाथ हादसे को बादल फटने की घटना मानने से इनकार कर दिया है।

Krishna Chaudhary
Published on: 13 July 2022 11:36 AM IST
Amarnath Cloudburst
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अमरनाथ जलप्रलय (फोटो: सोशल मीडिया )

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Amarnath Cloudburst: बीते शुक्रवार आठ जुलाई को पवित्र अमरनाथ गुफा (Amarnath Gufa) के पास अचानक पानी का बड़ा सैलाब आ गया था। जिससे बड़े पैमाने पर तबाही मची थी। ऊंचाई की तरफ से आए तेज पानी में कई टैंट बह गए। जानकारी के मुताबिक, सैलाब में 25 तंबू, लंगर और तीन सामुदायिक रसोइयां बह गईं। इस घटना में अब तक 16 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है जबकि 45 लोग अब भी लापता हैं। बचाव अभियान अब भी चल रहा है।

भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने अमरनाथ हादसे को बादल फटने की घटना मानने से इनकार कर दिया है। विभाग का कहना है कि बादल विस्फोट की स्थिति में 10 सेंटीमीटर प्रति घंटे की बरसात करीब 20 से 30 वर्ग किलोमीटर के भौगोलिक क्षेत्र में होती है। अमरनाथ गुफा के पास केवल 31 मिलीमीटर बरसात शाम 4.30 से 6.30 बजे के बीच हुई। उनका ये भी कहना है कि बादल फटने की घटना बहुत ही सीमित क्षेत्र में होती है, इसलिए इसकी भविष्यवाणी करना मुश्किल होता है।

हिमालय की नाजुक स्थिति

बार – बार हो रहे हादसे इस बात की एक गंभीर याद दिलाता है कि पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र का परिदृश्य कितना नाजुक है और प्राकृतिक खतरों के प्रति इसकी अत्यधिक संवेदनशीलता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि 60 मिमी बारिश भी अचानक बाढ़ लाने के लिए पर्याप्त है, जो कहर बरपा सकती है। आईएमडी में अपने कार्यकाल के दौरान 2013 में केदारनाथ बाढ़ के पूर्वानुमान का नेतृत्व करने वाले वरिष्ठ मौसम विज्ञानी आनंद शर्मा कहते हैं कि कोई भी मौसम पूर्वानुमान 100 प्रतिशत सटीक नहीं हो सकता है।

इस क्षेत्र की ओरोग्राफी इतनी विविध है। बहुत सारी पहाड़ियाँ हैं, और प्रत्येक पहाड़ी की अपनी विविधताएँ हैं, मौसम स्टेशन कभी भी पर्याप्त नहीं होंगे। क्षेत्र में हमारे रडार नेटवर्क में सुधार की आवश्यकता है, लेकिन फिर भी, हमें यह समझना चाहिए कि यह मौसम है और इसकी भविष्यवाणी शत-प्रतिशत सटीक नहीं हो सकती है। हिमालय एक उच्च जोखिम वाला वातावरण है और संवेदनशील क्षेत्र में रहने वाले लोग न केवल खराब मौसम का खामियाजा भुगत रहे हैं, बल्कि पर्याप्त प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और आपदा तैयारियों की कमी भी झेल रहे हैं। हिमालयी संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग महत्वपूर्ण है, और इसलिए इस क्षेत्र को अत्यधिक प्रभावित होने से रोकने की आवश्यकता है। बता दें कि बीते शुक्रवार को हादसे के कारण रूकी अमरनाथ यात्रा सोमवार से शुरू हो चुकी है।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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