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Amarnath Cloudburst: अमरनाथ हादसे में 40 से अधिक लोग अब भी लापता, 15 हजार तीर्थयात्रियों को सुरक्षित निकाला गया
Amarnath Cloudburst: अब तक 16 लोगों की लाश बरामद की जा चुकी है। वहीं 40 से अधिक लोग अब भी लापता हैं।
Amarnath Cloudburst: जम्मू कश्मीर में पवित्र अमरनाथ गुफा के पास शुक्रवार 8 जुलाई को बादल फटने (Amarnath Cloudburst) की घटना से आए सैलाब में जानमाल को काफी नुकसान पहुंचा है। हादसे के तीन दिन हो जाने के बाद भी अभी तक लापता लोगों की तालाशी पूरी नहीं हो पाई है। आईटीबीपी और एनडीआरएफ की टीमें शुक्रवार शाम से ही बचाव अभियान में जुटी (rescue operation) हुई हैं। इस अभियान में कुत्तों का सहारा भी लिया जा रहा है।
मिली जानकारी के मुताबिक, अब तक 16 लोगों की लाश बरामद की जा चुकी है। वहीं 40 से अधिक लोग अब भी लापता हैं, उनकी तालाश जारी है। इस हादसे में 105 से अधिक लोग घायल हुए हैं। सभी घायलों का बेस अस्पताल में उपचार चल रहा है। मरीजों की देखभाल के लिए 28 डॉक्टर, 98 पैरामेडिकल स्टाफ और 16 एंबुलेंस को ड्यूटी पर लगाया गया है। वहीं 15 हजार तीर्थयात्रियों को अब तक वहां से निकाला जा चुका है।
फारूक अब्दुल्ला ने उठाए सवाल
जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कांफ्रेंस के लीडर फारूक अब्दुल्ला ने इस घटना को लेकर सरकार और प्रशासन पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि इतने सालों में आज तक वॉटर बेड ( पानी बहने का रास्ता) पर टेंट नहीं लगाए गए, पहली बार ऐसा हुआ है। पंजतरणी में किसी को भी कुछ लगाने की अनुमति नहीं है। मेरे हिसाब से इसकी जांच होनी चाहिए।
टेंट लगाने में बरती गई लापरवाही
मीडिया रिपोर्ट्स में इस हादसे में हुई जान माल की क्षति के पीछे प्रशासन को भी जिम्मेदार बताया जा रहा है। तीर्थयात्रियों को जिस टेंट में ठहराया गया था, वो वॉटर बेड यानी कि जिस रास्ते से पानी आगे की ओर जाता है, वहां पर लगाया था। 8 जुलाई को बादल फटने के बाद जब सैलाब ऊपर से नीचे आया तो इसी रास्ते से गया और साथ में रास्ते में आने वाले सभी चीजों को अपने साथ बहाकर ले गया। इसलिए कहा जा रहा है कि टेंट लगाने में प्रशासन द्वारा लापरवाही बरती गई है, अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या कार्रवाई करती है।