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Farmers Protest: किसान आंदोलन के बीच 22 दिन बाद खुला राजमार्ग, वाहनों ने भरी रफ्तार, कल फिर 'दिल्ली कूच' की तैयारी

Farmers Protest: आंदोलनकारी किसान अपनी मांगों को लेकर 06 मार्च को फिर से दिल्ली चलो मार्च का आह्वान किया है और तैयार कर रहे हैं, जबकि किसान यूनियनों ने 10 मार्च रेल रोको ऐलान किया है।

Viren Singh
Published on: 5 March 2024 4:51 AM GMT (Updated on: 5 March 2024 4:59 AM GMT)
Farmers Protest: किसान आंदोलन के बीच 22 दिन बाद खुला राजमार्ग, वाहनों ने भरी रफ्तार, कल फिर दिल्ली कूच की तैयारी
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Farmers Protest: किसान आंदोलन के विरोध के बीच 22 दिनों तक बंद रहने के बाद अंबाला-चंडीगढ़ राजमार्ग मंगलवार को फिर से खोला गया है। हरियाणा सरकार ने अंबाला और चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग के बीच लगाए गए बैरिकेड हटा दिए हैं और वाहनों का आवागमन शुरू हो गया है। वहीं, अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन में बैठे प्रदर्शनकारी किसान स्थल पर अपना प्रदर्शन जारी रखा है।

06 मार्च को फिर से दिल्ली की तैयारी

आंदोलनकारी किसान अपनी मांगों को लेकर 06 मार्च को फिर से दिल्ली चलो मार्च का आह्वान किया है और तैयार कर रहे हैं, जबकि किसान यूनियनों ने 10 मार्च रेल रोको ऐलान किया है। किसान 10 मार्च को दोपहर 12 बजे से शाम चार बजे तक रेलवे ट्रैक पर बैठकर अपना विरोध प्रदर्शन जाहिर करेंगे।

13 फरवरी से किसान आंदोलन पर

बीते 13 फरवरी को पंजाब के अलग अलग जगहों से किसानों समर्थन मूल्य सहित कई सूत्रीय मांगों को लेकर दिल्ली चलो मार्च के ऐलान पर राजधानी में प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली की ओर निकले थे। मगर पंजाब-हरियाणा की शंभू और खनौरी सीमाएं सील होने की वजह से किसान आगे नहीं बढ़ पाए, तब से वे इन दोनों बार्डरों पर अपना डेरा डालते हुए लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों का विरोध प्रदर्शन शुरू हुए 21 दिन हो गए हैं। इन आंदोलनकारियों को सीमाओं पर रोक दिया गया है। किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली की सीमाएं पहले से ही सील की जा चुकी हैं।

ये हैं किसानों की मांगे

प्रदर्शनकारी किसानों की सभी फसलों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी के साथ कई सूत्रीय मांगे शामिल हैं। इसमें स्वामीनाथन आयोग के फॉर्मूले को लागू करने, किसानों के लिए पूर्ण कर्ज माफी, किसानों और मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं करने, वापस लेने सहित 10 मांगें रखी थीं। पुलिस मामलों की संख्या और 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए "न्याय", भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की बहाली। और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा शामिल है। इन्हीं मांगों को लेकर किसान प्रदर्शन पर बैठे हैं।

कई बैठकों में भी नहीं बनी बात

बता दें कि जब से किसान आंदोलन 2.0 की शुरुआत हुई है, तब इन सूत्रीय मांगों पर किसानों नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच कई दौरों की बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन हर बैठक बेनतीजा रही। किसान लगातार आंदोलनरत हैं और तरह तरह के विरोध प्रदर्शन जाहिर करके अपनी मांग मनवाने में लगे हुए हैं।

Viren Singh

Viren Singh

पत्रकारिता क्षेत्र में काम करते हुए 4 साल से अधिक समय हो गया है। इस दौरान टीवी व एजेंसी की पत्रकारिता का अनुभव लेते हुए अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहा हूँ। वैसे तो सुई से लेकर हवाई जहाज की खबरें लिख सकता हूं। लेकिन राजनीति, खेल और बिजनेस को कवर करना अच्छा लगता है। वर्तमान में Newstrack.com से जुड़ा हूं और यहां पर व्यापार जगत की खबरें कवर करता हूं। मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई मध्य प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्विविद्यालय से की है, यहां से मास्टर किया है।

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