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अम्बेडकर और कांशीराम के बहाने BJP साध रही दलित वोट बैंक
अनुराग शुक्ला
चौंकिये मत, क्योंकि ये सच है कि अम्बेडकर की थाती को बचाने की मुहिम के बहाने भारतीय जनता पार्टी दलितों के वोट बैंक में सेंध लगाने की जुगत भिड़ाने में लगी हुई है और हथियार बने हैं कांशीराम। मौका था कांशीराम की ग्यारहवीं पुण्यतिथि पर अम्बेडकर महासभा के रमाबाई सभागार में आयोजित सेमीनार का और विषय था 'भागीदारी का प्रश्न और दलित जनप्रतिनिधियों की भूमिका एवम् समाज की अपेक्षा'। जहां परंपरागत नीले झंडे की बजाए भगवा गमछे ज्यादा लहराते देखे गए। मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थीं बहराइच की तेज-तर्रार सांसद सावित्री बाई फुले, जो कि यूपी बीजेपी की कद्दावर दलित चेहरा मानी जाती हैं। आजतक जहां दलित वोट बैंक की एक बड़ी साझीदार बसपा रही है, उसी वोट बैंक को साधने की बीजेपी की ये बड़ी मुहिम का एक हिस्सा है।
सेमीनार में अम्बेडकर महासभा और उससे जुड़े तमाम संगठनों के प्रतिनिधि, अम्बेडकर वादी बुद्धिजीवी मौजूद थे। लालजी प्रसाद निर्मल (राष्ट्रीय अध्यक्ष अम्बेडकरवादी महासभा), डॉ. कालीचरन स्नेही, रामनरेश चौधरी, बीना मौर्य, डॉ रामविलास भारती के साथ ही उत्तराखंड की तेज तर्रार उभरती हुई अम्बेडकरवादी कार्यकर्ता विद्या गौतम भी मंच पर मौजूद थीं।
बाबा साहब न होते तो मैं भी आज यहां न होती-
अपने भाषण में बीजेपी सांसद सावित्रीबाई फुले ने कहा "यदि बाबा साहब न होते तो हमे प्राप्त ये संवैधानिक अधिकार भी न होते और न ही मैं इस मंच पर मौजूद होती।" उन्होंने सड़क से लेकर संसद तक भीमराव अंबेडकर की लड़ाई जारी रखने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि मैं पार्टी में काम करते हुये भी अपनी पहचान नही भूली हूँ। मुझे एहसास है कि जिस समाज से मैं आयी हूँ उसके प्रति मेरी क्या जिम्मेदारियां हैं और मैं उसके लिये आवाज उठाती रहूंगी।
दूसरे की साख गिराने को काट लेंगे अपनी नाक -
डॉ रामविलास भारती ने दलित जनप्रतिनिधियों के ऊपर सवाल उठाते हुये कहा 'यदि दलित जनप्रतिनिधि अपने समाज की अपेक्षाओं पर खरे नही उतरते तो मजबूरन हमें अम्बेडकर के उस कथन के समर्थन में खड़ा होना पड़ेगा जिसमे उन्होंने राजनीति में आरक्षण मात्र दस वर्षों के लिये करने का प्रस्ताव दिया था।' आगे वक्ता ने कहा 'कभी कभार दूसरों की साख गिराने के लिये अपनी नाक भी काटनी पड़ती है।'
हूटिंग के चलते हटना पड़ा वक्ता को -
एक वक्ता ने जब कांशीराम की वैचारिक हत्या की टिप्पणी के साथ अपना संबोधन आगे बढ़ाया तो हाल में तेज शोर के साथ हूटिंग शुरू हो गयी। शायद उनका इशारा बसपा सुप्रीमो की तरफ था लेकिन विरोध के कारण उन्हें अपना भाषण बीच में ही रोककर माइक से हटना पड़ा ।
चार उंगलियों में पांच अंगूठियां और मनुवाद के विरोध में अम्बेडकरवाद की पैरोकारी -
एक और वक्ता जो कि अपने भाषण में लगातार ब्राह्मणवाद के विरुद्ध अम्बेडकरवाद को मजबूती से खड़ा करने की पैरवी कर रहे थे उन्होंने अपनी चार उंगलियों में पांच अंगूठियां पहन रखी थीं। सभागार में बराबर उनके विषय मे कानाफूसी बनी रही और बाद में आये एक वक्ता ने तो इशारे में चुटकी भी ले ली जिसपर वो अपना दायां हाथ छिपाते देखे गए ।
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