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महत्वाकांक्षा महान चरित्रों की एक अभिलाषा है : नेपोलियन

Newstrack
Published on: 3 Nov 2017 12:41 PM GMT
महत्वाकांक्षा महान चरित्रों की एक अभिलाषा है : नेपोलियन
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लखनऊ : किसी भी इंसान के लिए जीवन में महत्वाकांक्षा एक अनिवार्य तत्व है। महत्वाकांक्षा के बिना जीवन की कल्पना किसी सूखे पत्ते की तरह है, जिसे डाली पर रहने या जमीन पर गिरे रहने में कोई फर्क ही नजर नहीं आता है। इसलिए हर व्यक्ति को महत्वाकांक्षा होना चाहिए, लेकिन इसके साथ कुछ बातों का भी ध्यान देने की जरुरत होती है। आइए जानें कैसे हम खुद को महत्वाकांक्षी बनाकर लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं।

उदेश्य तय करें

महत्वाकांक्षा के बिना जीवन नीरस होता है। इसके बिना जीवन अधूरा माना जाता है। कहते हैं कि अगर महत्वाकांक्षा न हो तो जीवन का उददेश्य ही नहीं होता। हम बचपन से ही सुनते आ रहे हैं कि हम जितना ज्यादा महत्वाकांक्षी बनेंगे, हम उतना ही खुद के लिए परिश्रम करेंगे और अपनी सोच और लक्ष्य को ऊंचा करेंगे। नेपोलियन बोनापार्ट का मानना था कि महान महत्वाकांक्षा महान चरित्रों की एक अभिलाषा है। जो इसमें निपुण है वह जीवन में या तो बहुत अच्छा कर सकता है या तो बहुत बुरा कर सकता है।

कठिन परिश्रम करें

अब विचार करने वाली बात यह है कि अगर जीवन में महत्वाकांक्षा की इतनी ही उपयोगिता और महत्ता है तो फिर हम इस पर कार्य क्यों नहीं करते हैं? क्यों नहीं सोचते हैं कि बेहतर महत्वाकांक्षा की सीपी में ही सफलता के मोती मिलते हैं। किसी ने ठीक ही कहा है कि जीवन जीने के बहुत से तरीके हैं। तय आपको करना है कि आप किस तरह का जीवन अपने हिस्से में पाना चाहते हैं क्योंकि जैसी सोच रखेंगे उसे पूरा करने का दम भी आपमें होना चाहिए और कठिन परिश्रम करने की ललक ही उस जीवन को पाने के लिए आपको महत्वाकांक्षी बनाएगी और आप जी जान से उसे पूरा करने में जुट जाएंगे।

पॉजिटिव रिस्क लें

कई बार युवाओं द्वारा यह सवाल पूछा जाता है कि हम कैसे खुद को सकारात्मक महत्वाकांक्षी बनाएं? तो इसका जवाब सिर्फ यही है कि जब आपको जो भी जिम्मेदारी दी जाए आप उसे पूरा करें और हमेशा कुछ नया करने की प्रतिबद्धता रखें। आप जब भी इस सोच के साथ कोई काम करेंगे उसमें कुछ न कुछ नयापन आ ही जाएगा। रिस्क लेना भी सकारात्मक महत्वाकांक्षी होने की निशानी है।

चुनौतियों को स्वीकारें

कई बार हम खुद की हिम्मत नहीं जान पाते हैं और चुनौती मिलने या कुछ नया करने की परिस्थिति आने पर जब वह कार्य कर लेते हैं तो अंदर से अच्छा महसूस होता है और उस दिन ही आपको अपनी किसी नई काबिलियत के बारे में पता चलता है। महत्वाकांक्षा किसी बाहरी दुनिया में मिलने वाली कोई चीज नहीं, जिसे आपने कुछ पैसे से खरीद लिया या किसी से मांग लिया। यह तो मानव मन की भीतर से आने वाली आवाज है। एक ऐसी आवाज जो वक्त रहते अगर किसी ने पहचान ली तो जीवन के समस्त सुख और उत्सव उसके हक में गवाही देंगे।

प्रभात दीक्षित

कॅरियर एक्सपर्ट

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