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Amit Kumar Mall: अमित कुमार मल्ल के नवीनतम काव्य संग्रह ‘आवारा सड़कें’ का लोकार्पण, वक्ताओं हर कोण से किया विश्लेषण

Amit Kumar Mall: आवारा सड़कें, पुस्तक पर चर्चा परिचर्चा का कार्यक्रम ,साहित्य अकादमी,दिल्ली के तृतीय तल के सभागार में हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. राज शरण शाही, राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने की।

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Newstrack Network
Published on: 30 Nov 2024 3:44 PM IST
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Amit Kumar Mall: अमित कुमार मल्ल के छठा काव्य संग्रह पर चर्चा परिचर्चा के दौरान वक्ताओं ने इनकी रचनाओं पर प्रकाश डालते हुए, इसे आम आदमी के दैनिक जीवन संघर्ष का काव्य बताया। इस कार्यक्रम के प्रारंभ में आयोजक कस्तूरी के पदाधिकारियों द्वारा सभी पैनल व रचनाकार का स्वागत किया गया।

चर्चा की शुरुआत डा. प्रदीप ने करते हुए, इस काव्य संग्रह की अन्य काव्य संग्रहों की तुलना करते हुए, आम जीवन का संघर्ष बताया। शुभ्रा दुबे ने काव्य संग्रह में अप्रत्यक्ष लय की बात कही। अमरेन्द्र पांडे ने तेरे हाथ कविता का विश्लेषण किया। ज्ञानेंद्र ने इसे सामान्य बताया, जो विशिष्ट है। सारिका कालरा ने पहले के काव्य संग्रहों की तुलना में इसे मैच्योर बताया। सुधीर प्रताप ने शीर्षक के विश्लेषण से, अपना वक्तव्य शुरू किया। राज शरण शाही ने सामान्य जीवन का विशिष्ट संघर्ष बताते हुए, परिचर्चा समाप्त की।


आवारा सड़कें, पुस्तक पर चर्चा परिचर्चा का कार्यक्रम ,साहित्य अकादमी,दिल्ली के तृतीय तल के सभागार में हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. राज शरण शाही, राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने की। मुख्य वक्ता, प्रो. सुधीर प्रताप सिंह, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली थे। विशिष्ट वक्ता प्रोफ़ेसर सारिका कालरा, लेडी श्रीराम कालेज, दिल्ली थीं। बीज वक्तव्य, डा. प्रदीप सिंह, सहायक प्रोफेसर,दिल्ली विश्वविद्यालय ने दिया।


वक्ता के रूप में डा. ज्ञानेंद्र, सहायक प्रोफेसर, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, डा अमरेंद्र पांडे, सहायक प्रोफेसर,खालसा कॉलेज, शुभ्रा दुबे, सहायक प्रोफेसर, रामजस कालेज ने अपने विचार रखे। रचनाकार के रूप में अमित कुमार मल्ल ने अपनी साहित्यिक यात्रा को याद किया। सभागार पूरी तरह से भरा हुआ था, जिसमें विद्वत जन के साथ साथ ,काफी संख्या में छात्र छात्राएं भी उपस्थित थे।

कुछ कड़वे अनुभव कभी हंसी की चमक कभी आंसू कभी मीठी बातें... अमित कुमार मल जी की लिखी हुई इस कविता के साथ कस्तूरी की ओर से इस कार्यक्रम की शुरुआत हुई। कस्तूरी साहित्य कला और संस्कृति का मंच है जिसे विभिन्न विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों, प्रवक्ताओं एवं मीडिया बंधुओ द्वारा चलाया जा रहा है कस्तूरी की स्थापना 23 मई 2021 को की गई थी।



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Shalini singh

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