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शाह के 'यू-टर्न' ने बढ़ाई शिवराज की मुसीबत, तो कुछ के लिए मुस्कान की वजह
भोपाल : भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि पार्टी में 75 वर्ष की उम्र पार कर चुके लोगों के चुनाव लड़ने पर कोई रोक नहीं है। उनके इस बयान से मध्यप्रदेश की सियासत में हलचल पैदा हो गई है और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मुसीबत भी बढ़ गई है।
शिवराज ने जून, 2016 में प्रदेश के दो मंत्रियों- बाबूलाल गौर व सरताज सिंह को 75 वर्ष की उम्र पूरी करने पर मंत्री पद से यह कहते हुए हटा दिया गया था कि पार्टी हाईकमान का ऐसा निर्देश है।
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लेकिन पार्टी अध्यक्ष शाह ने शनिवार को कहा कि किसे मंत्री बनाना है, और किसे नहीं, यह तय करना मुख्यमंत्री का अधिकार है। पार्टी में न तो ऐसा नियम है और न ही परंपरा कि 75 वर्ष की उम्र पार कर चुके लोगों को चुनाव नहीं लड़ने देना है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि 75 की उम्र पार नेता भी चुनाव लड़ सकते हैं।
शाह का बयान आने के बाद से 75 वर्ष की उम्र पार कर चुके गौर और सरताज ने पूर्व में लिए गए फैसले पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। वहीं पार्टी के भीतर और बाहर यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या इन दोनों नेताओं से झूठ बोला गया था?
शाह के बयान के बाद पूर्व मुख्यमंत्री गौर ने कहा, "मुझे तो प्रदेश प्रभारी विनय सहस्रबुद्धे और प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने पार्टी हाईकमान का हवाला देते हुए 20 जून, 2016 को घर पर आकर बताया था कि पार्टी ने 75 वर्ष की उम्र पार कर चुके नेताओं को मंत्री न बनाने का फैसला लिया है, लिहाजा आप इस्तीफा दे दें।"
उन्होंने कहा, "मैंने जब दोनों नेताओं से कोई लिखित में संदेश या फोन पर बात कराने का आग्रह किया, तो उन्होंने इससे इनकार कर दिया और इस्तीफा देने को कहा। मैंने पार्टी हाईकमान का निर्देश समझकर इस्तीफा दे दिया था।"
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गौर ने कहा कि वह पूरी तरह फिट हैं, पार्टी अध्यक्ष ने स्पष्ट कर दिया है, कि 75 वर्ष से ऊपर के लोगों के चुनाव न लड़ाने की कोई योजना नहीं है। जब ऐसा है तो उन्हें मंत्री पद से क्यों हटाया गया, यह तो वही जवाब देंगे, जिन्होंने उनसे इस्तीफा मांगा था।
वहीं सरताज सिंह का कहना है कि शाह के बयान ने उस भ्रम को दूर कर दिया है, जिसे फैलाकर पिछले दिनों उनसे इस्तीफा मांगा गया था।
शाह के बयान के बाद हर तरफ से सवाल उठ रहा है कि आखिर इन दो बुजुर्ग नेताओं के साथ ऐसा छल क्यों किया गया? इस पर पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान का कहना है कि जिसे अपनी बात कहनी है, वह राष्ट्रीय अध्यक्ष के सामने अपनी बात रखें।
इस प्रकरण पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव बादल सरोज ने कहा, "भाजपा में कोई नैतिकता नहीं है, वह नियम इस आधार पर गढ़ते रहती है कि किसे साइड लाइन करना है और किसे आगे बढ़ाना है। पहले गौर व सरताज को निपटाना था, तो 75 वर्ष वाला फार्मूला ले आए, और अब जिसके जरिए (शिवराज) दोनों नेताओं को किनारे किया गया था, उसे किनारे करने के लिए यह बात शाह कह गए। आशय साफ है कि आने वाले दिन शिवराज के लिए अच्छे नहीं हैं।"
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राज्य की भाजपा की राजनीति में देखा जाए, तो बाबूलाल गौर और सरताज सिंह का सम्मान आज भी बना हुआ है। उन्हें मंत्री पद से हटाने का व्यापक विरोध हुआ था। दोनों ही नेताओं ने सवाल भी खड़े किए थे, मगर पार्टी की ओर से यही कहा गया कि यह हाईकमान का फैसला है।
अब फिर गौर व सरताज सिंह के साथ अन्य लोगों के स्वर मुखरित होने लगे हैं और शिवराज व प्रदेशाध्यक्ष चौहान पर ही सवाल उठ रहे हैं। आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष को जवाब देना होगा कि पार्टी के निर्देश पर मंत्रियों को हटाया गया था, या वे अंदरूनी राजनीति का शिकार हुए।
जहां तक 75 वर्ष वाले फार्मूले की बात है, तो एक बात शायद सबको याद होगी कि बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद जब पार्टी के बुजुर्ग नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और शांता कुमार ने एक स्वर में कहा था कि इस हार की जिम्मेदारी पार्टी अध्यक्ष को लेनी चाहिए, क्योंकि वह पटना में लगातार दो महीने तक कैम्प किए हुए थे, तो जवाब में अमित शाह ने कहा था, "75 वर्ष पार कर चुके नेताओं को बोलने का कोई हक नहीं है।"