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अमित शाह: राज्यसभा में पेश किया जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने का प्रस्ताव
राज्यसभा में सभापति ने कहा कि जम्मू कश्मीर आरक्षण बिल और राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के प्रस्ताव पर चर्चा के लिए 5 घंटे का वक्त तय किया गया है। उन्होंने कहा कि इस पर चर्चा करें लेकिन समय का जरूर ख्याल रखें।
नई दिल्ली : राज्यसभा में सभापति ने कहा कि जम्मू-कश्मीर आरक्षण बिल और राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के प्रस्ताव पर चर्चा के लिए 5 घंटे का वक्त तय किया गया है। उन्होंने कहा कि इस पर चर्चा करें लेकिन समय का जरूर ख्याल रखें। कांग्रेस की ओर से विप्लव ठाकुर ने इस मुद्दे पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि लोकसभा के साथ विधानसभा के चुनाव क्यों नहीं कराए गए।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने सरकार बनाने का दावा किया था लेकिन इनका फैक्स तब काम नहीं कर रहा था। ठाकुर ने कहा कि आप लोग नहीं चाहते हैं कि वहां चुनाव हो। आप लोग जम्मू कश्मीर के लोगों के साथ धोखा कर रहे हैं। कांग्रेस ने प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि राष्ट्रपति शासन न बढ़ाया जाए और वहां चुनाव का ऐलान किया जाए।
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राष्ट्रपति शासन बढ़ाने का प्रस्ताव जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव पर बोलते हुए शाह ने कहा कि 2 जुलाई को राष्ट्रपति शासन की अवधि खत्म हो रही है। उन्होंने कहा कि 20 जून 2018 को पीडीपी सरकार के पास समर्थन न होने की वजह और फिर किसी भी पार्टी ने सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया गया।
इसके बाद वहां 6 माह के लिए राज्यपाल शासन लगाया गया, इसके बाद राज्यपाल ने 21 नवंबर 2018 को विधानसभा भंग कर दी। राज्यपाल शासन के बाद केंद्र सरकार ने 256 का इस्तेमार कर 20 दिसंबर 2018 से राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला किया। आज का प्रस्ताव इस शासन को और 6 माह बढ़ाने का प्रस्ताव है।
आरक्षण बिल राज्यसभा में पेशगृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक राज्यसभा में पेश किया। आरक्षण बिल को लोकसभा से मंजूरी मिल चुकी है।
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अमित शाह ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रह रहे लोगों की समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा, एलओसी के लोगों की समस्याओं एक जैसी हैं और उन पर भी पाकिस्तान की ओर से की जाने वाली गोलीबारी का असर होता है, ऐसे में उन लोगों को भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए।