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Amit Shah Statement: अमित शाह का बड़ा हमला, बोलेः नेहरू की गलतियों की वजह से जम्मू-कश्मीर ने झेलीं समस्याएं, सही कदम उठाए होते, तो पीओके हमारा होता

Amit Shah Statement: गृह मंत्री ने राहुल गांधी का नाम लिए बगैर उन पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ओबीसी की बात करते हैं। कुछ नेता होते हैं उन्हें कुछ लिखकर हाथ में पकड़ा दो तो जब तक नई पर्ची नहीं मिलती, वह छह महीने तक एक ही बात बोलते रहते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछड़े वर्गों का सबसे बड़ा विरोध और पिछड़े वर्गों को रोकने का काम कांग्रेस ने किया है।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 6 Dec 2023 7:11 PM IST (Updated on: 6 Dec 2023 7:15 PM IST)
Amit Shah said- Jammu and Kashmir faced problems because of Nehrus mistakes, had he taken the right steps, PoK would have been ours
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अमित शाह ने कहा- नेहरू की गलतियों की वजह से जम्मू-कश्मीर ने झेलीं समस्याएं, सही कदम उठाए होते, तो पीओके हमारा होता: Photo- Social Media

Amit Shah Statement: लोकसभा से बुधवार को जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 को मंजूरी मिल गई। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि जम्मू कश्मीर से संबंधित जिन दो विधेयकों पर सदन में विचार हो रहा है, वे उन सभी लोगों को न्याय दिलाने के लिए लाए गए हैं, जिनकी 70 साल तक अनदेखी की गई और जिन्हें अपमानित किया गया।

यहीं नहीं इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने भारत के पहले प्रधानमंत्री पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर ने जवाहर लाल नेहरू की दो गलतियों की वजह से समस्याओं को झेला है। इनमें पहली संघर्ष विराम की घोषणा और फिर कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाना शामिल था। यदि जवाहरलाल नेहरू ने सही कदम उठाए होते, तो पीओके हमारा हिस्सा होता। सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गरीबों का दर्द समझते हैं तथा एकमात्र ऐसे नेता हैं जिन्होंने पिछड़ों के आंसू पोंछे हैं।

अमित शाह ने कहा कि मैं यहां जो विधेयक लेकर आया हूं, वह उन लोगों को न्याय दिलाने और उनका अधिकार दिलाने से संबंधित है, जिनके खिलाफ अन्याय हुआ, जिनका अपमान हुआ और जिनकी उपेक्षा की गई। किसी भी समाज में जो लोग वंचित हैं उन्हें आगे लाना चाहिए, यही भारत के संविधान की मूल भावना है। उन्हें इस तरह से आगे लाना होगा जिससे उनका सम्मान कम न हो। उन्होंने कहा कि अधिकार देना और सम्मानपूर्वक अधिकार देना दोनों में बहुत अंतर है। इसलिए इसका नाम कमजोर और वंचित वर्ग की बजाय अन्य पिछड़ा वर्ग किया जाना जरूरी है।

नरेंद्र मोदी गरीबों का दर्द जानते हैं-

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि कुछ लोगों ने इसे कम आंकने की भी कोशिश की। किसी ने कहा कि सिर्फ नाम बदल रहा है। मैं उन सभी से कहना चाहूंगा कि अगर हमारे अंदर थोड़ी सी भी सहानुभूति है तो हमें देखना होगा कि नाम के साथ उनका सम्मान जुड़ा है। ये वही लोग देख सकते हैं जो इन्हें अपने भाई की तरह समझकर आगे लाना चाहते हैं, वे इसे नहीं समझ सकते जो इसे अपने राजनीतिक फायदे के लिए वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करते हैं। नरेंद्र मोदी एक ऐसे नेता हैं, जिनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ और आज देश के प्रधानमंत्री बन गए। वे गरीबों का दर्द जानते हैं।

नाम लिए बगैर राहुल गांधी पर जमकर बरसे

उन्होंने राहुल गांधी का नाम लिए बगैर उन पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस के नेता ओबीसी की बात करते हैं। कुछ नेता होते हैं उन्हें कुछ लिखकर हाथ में पकड़ा दो तो जब तक नई पर्ची नहीं मिलती, वह छह महीने तक एक ही बात बोलते रहते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछड़े वर्गों का सबसे बड़ा विरोध और पिछड़े वर्गों को रोकने का काम कांग्रेस ने किया है।

पीएम मोदी ने पिछड़ा वर्ग आयोग को दी संवैधानिक मान्यता-

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पिछड़े वर्ग का सबसे बड़ा विरोध और पिछड़े वर्ग को रोकने का काम यदि किसी पार्टी ने किया है तो कांग्रेस पार्टी ने किया है। पिछड़ा वर्ग आयोग को 70 साल तक संवैधानिक मान्यता नहीं दी गई। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक मान्यता दी।

'...तो कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़कर नहीं जाना पड़ता'

अमित शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक उन सभी लोगों को न्याय दिलाने के लिए लाया गया है, जिनकी 70 साल तक अनदेखी की गई और जिन्हें अपमानित किया गया। करीब 46,631 परिवार और 1,57,967 लोग जम्मू कश्मीर से देशभर में विस्थापित होने को मजबूर हुए, उन्हें न्याय दिलाने के लिए सरकार विधेयक लाई है। अगर वोट बैंक के बारे में सोचे बिना शुरुआत में ही आतंकवाद से निपटा जाता तो कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़कर नहीं जाना पड़ता।

विधानसभा में सीट आरक्षित करने का प्रस्ताव

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर के जिन दो विधेयकों पर यहां विचार हो रहा है, उनमें से एक में एक महिला समेत कश्मीरी विस्थापित समुदाय के दो सदस्यों को विधानसभा में मनोनीत करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा एक सीट पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से विस्थापित लोगों के लिए आरक्षित की जाएगी।

जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में गूंजेगी आवाज-

गृह मंत्री के मुताबिक, विधानसभा में नौ सीट अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित की गई हैं। पीओके लिए 24 सीटें आरक्षित की गई हैं, क्योंकि पीओके हमारा है। उन्होंने कहा कि इन दोनों संशोधन को हर वो कश्मीरी याद रखेगा जो पीड़ित और पिछड़ा है। विस्थापितों को आरक्षण देने से उनकी आवाज जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में गूंजेगी। शाह ने कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी के सवालों पर कहा कि कश्मीरी विस्थापितों के लिए 880 फ्लैट बन गए हैं और उनको सौंपने की प्रक्रिया जारी है।

'अपने देश में शरणार्थी के रूप में रहने को मजबूर'

उन्होंने कहा कि 1980 के दशक के बाद आतंकवाद का दौर आया और वह बड़ा भयावह दृश्य था। जो लोग इस जमीन को अपना देश समझकर रहते थे, उन्हें बाहर निकाल दिया गया और किसी ने उनकी परवाह नहीं की। जिन लोगों पर इसे रोकने की जिम्मेदारी थी, वे इंग्लैंड में छुट्टियों का आनंद ले रहे थे। जब कश्मीरी पंडितों को विस्थापित किया गया, तो वे अपने देश में शरणार्थी के रूप में रहने को मजबूर हो गए। वर्तमान आंकड़ों के अनुसार लगभग 46,631 परिवार और 1,57,968 लोग अपने ही देश में विस्थापित हो गए। यह विधेयक उन्हें अधिकार दिलाने के लिए है, यह विधेयक उन्हें प्रतिनिधित्व देने के लिए है।

...तो लोकतंत्र कभी पवित्र नहीं हो सकता

अमित शाह ने कहा कि 5-6 अगस्त 2019 को कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त करने के संबंध में जो विधेयक संसद में लाया गया था, उसमें यह बात शामिल थी और इसलिए विधेयक में न्यायिक परिसीमन की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि अगर परिसीमन पवित्र नहीं है तो लोकतंत्र कभी पवित्र नहीं हो सकता। इसलिए हमने विधेयक में न्यायिक परिसीमन की बात की है।

विस्थापितों पर कही यह बात

अमित शाह ने कहा कि पाकिस्तान ने 1947 में कश्मीर पर हमला किया, जिसमें लगभग 31,789 परिवार विस्थापित हुए। 1965 और 1971 के युद्धों के दौरान 10,065 परिवार विस्थापित हुए। 1947, 1965 और 1969 के इन तीन युद्धों के दौरान कुल 41,844 परिवार विस्थापित हुए। यह बिल उन लोगों को अधिकार देने का, उन लोगों को प्रतिनिधित्व देने का एक प्रयास है।

अनुच्छेद 370 पर भी बोले शाह

उन्होंने कहा कि सवाल किया जाता है कि अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के बाद कश्मीर में क्या हासिल हुआ। शाह ने कहा कि पहले लोग कहते थे कि अनुच्छेद 370 समाप्त हो जाएगी तो वहां खून की नदियां बह जाएंगी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने इसके प्रावधानों को समाप्त कर दिया और एक कंकड़ तक नहीं उछाला गया।



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Shashi kant gautam

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