×

कैरा विरोध से जन्मी अमूल, आज है भारत का नंबर ONE ब्रांड, जानिए इसकी दिलचस्प कहानी?

Amul Company: अगर कैरा विरोध न होता और इसकी भूमिका का नेतृत्व सरदार वल्लभभाई पटेल के हाथों न होता तो अमूल ब्रांड छोड़िए, शायद देश में डेयरी उद्योग ही न पनपता पाता।

Viren Singh
Written By Viren Singh
Published on: 22 Feb 2024 2:36 PM IST
Amul Company
X

Amul Company (सोशल मीडिया) 

Amul Company: दुग्ध सेक्टर में भारत में वैसे तो कई बड़ी कंपनियां हैं, लेकिन अमूल इंडिया ब्रांड जैसा कोई नहीं। दुग्ध कंपनी अमूल इंडिया की सबसे बड़ी कंपनी है। इस बात की पुष्टि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद अपने भाषण में कर दी। गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ (GCMMF) 22 फरवरी को अपना गोल्डन जुबली सेलिब्रेट कर रहा है। इस गोल्डन जुलबी कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के अहमदाबाद पहुंचे और यहां पर नरेंद्र मोदी स्टेडियम कार्यक्रम को संबोधित करने के साथ साथ अमूल की लगी प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। GCMMF वही संगठन है, जो अमूल इंडिया ब्रांड को संचालित करता है। वर्तमान में देश का सबसे बड़ा डेयरी ब्रांड अमूल है। इसके बाजार में दूध पैकेट से लेकर डेयरी से जुड़े कई प्रोडक्ट आते हैं। क्या युवा क्या जवान या फिर क्या बुर्जुग...हर कोई अमूल ब्रांड से वाकिफ है। पीएम मोदी ने भी अमूल को भारत का नंबर वन ब्रांड होने की गारंणी दे दी।

अमूल ब्रांड भले ही आज भारत की नंबर वन डेयरी कंपनी है, लेकिन इस कंपनी को खड़ा करने करने के पीछे बड़ा संघर्ष करना पड़ा है। अगर कैरा विरोध न होता और इसकी भूमिका का नेतृत्व सरदार वल्लभभाई पटेल के हाथों न होता तो अमूल ब्रांड छोड़िए, शायद देश में डेयरी उद्योग ही न पनपता पाता। तो आईए जानते हैं क्या है कैरा विरोध और इसके पीछे सरदार वल्लभभाई पटेल की क्या भूमिक रही।

क्या है कैरा विरोध और सरदार पटेल की भूमिका

दरअसल, बात भारत आजादी के समय की है, जब देश में अंग्रेजों से मुक्त होने की सुगबुगाहट तेज थी और आजादी का आंदोलन अपने आखिरी दौर में था। लेकिन गुजरात के कैरा के लोगों के एक ऐसी मुसीबत में फंसे थे, जो उनके लिए गुलामी की बेड़ियों से अधिक काल बनी हुई थी। यहां के किसान दलालों के दलदल में फंस हुए थे। किसानों को दलालों की वजह से दूध का उचित दाम नहीं मिल पा रहा था, जिस वजह से उन्हें दो वक्त की रोटी तक नसीब नहीं हो पा रही थी, क्योंकि कैरा का पूरा दूध का कारोबार ठेकेदार और दलाल के बीच चल रहा था। किसान काफी परेशान हो चुके थे, उनकी मेहनत का हिस्सा कोई और खा रहा था और वह खुद दिन पर दिन आर्थिक तंगी में फंसते हुए जा रहे थे।

इस समस्या से निकलने के लिए कैरा के लोगों ने खुद ही विरोध का बुगल फूंक दिया। यानी दलालों और ठेकेदारों के शोषण के खिलाफ कैरा के किसानों से विरोध करना शुरू कर दिया। इस विरोध के स्वर जब सरदार वल्लभभाई पटेल के पास पहुंचे तो उन्हें आंदोलन का नेतृत्व करते हुए कैरा के लोगों को दूध के दलालों और ठेकेदारों से मुक्त करना के लिए अपनी बड़ी भूमिका निभाई। यहां के दूध के कारोबार के लिए सहकारी समिति बनाने का विचार आया और किसानों ने एक सहकारी समिति बना दी, जिसका नाम कैरा जिला कॉपरेटिव दूध उत्पादक संगठन रखा गया है। इस समिति से ही अमूल ब्रांड का जन्म हुआ जो आज अपने दम पर भारत और दुनिया में अपना कारोबार लगातार फैला रहा है। अमूल कंपनी शुरूआत गुजरात के आणंद में साल 1946 में हुई, जिसका पूरा नाम आनंद मिल्क यूनियन लिमिटेड (amul)डेयरी सहकारी संस्था है।

पीएम ने दी अमूल दुनिया बड़ी डेयरी कंपनी बनाने की गांरणी

साल 1946 में एक छोटे से गांव में शुरू हुई अमूल कंपनी आज भारत का डेयरी प्रोडक्ट में नंबर वन ब्रांड बना हुआ है और GCMMF अपना गोल्डन जुबुली बना रहा है। इस कार्यक्रम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि गुजरात के गांवों ने मिलकर 50 वर्ष पहले जो पौधा लगाया था, वो आज विशाल वटवृक्ष बन चुका है, जिसकी शाखाएं देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक फैल गई हैं आज Amul दुनिया की आठवीं सबसे बड़ी डेयरी कंपनी है और इसे दुनिया की नंबर एक डेयरी कंपनी बनाना है। ऐसा होगा और ये 'मोदी की गारंटी' है।

जानिए कंपनी के बारे में

अमूल ब्रांड गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (GCMMF) के आधानी है। इस संगठन के पास राज्य में करीब 3 मिलियन दूध उत्पादकों के पास संयुक्त रूप से स्वामित्व है। अमूल को देश भर में 144,500 डेयरी सहकारी समितियों से 15 मिलियन से अधिक दुग्ध उत्पादक यानी दूध बेचने वाले दूध पहुंचाते हैं। कंपनी का दूध को 184 जिला सहकारी संघों में प्रोसेस किया जाता है और 22 राज्य मार्केटिंग संघों द्वारा मार्केटिंग की जाती है और सप्लाई की जाती है। कंपनी की शुरुआत साल 1946 में हुई थी।

Viren Singh

Viren Singh

पत्रकारिता क्षेत्र में काम करते हुए 4 साल से अधिक समय हो गया है। इस दौरान टीवी व एजेंसी की पत्रकारिता का अनुभव लेते हुए अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहा हूँ। वैसे तो सुई से लेकर हवाई जहाज की खबरें लिख सकता हूं। लेकिन राजनीति, खेल और बिजनेस को कवर करना अच्छा लगता है। वर्तमान में Newstrack.com से जुड़ा हूं और यहां पर व्यापार जगत की खबरें कवर करता हूं। मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई मध्य प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्विविद्यालय से की है, यहां से मास्टर किया है।

Next Story