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नरक का द्वार: सावधान इस दरवाजे में भूल कर भी न घुसना

क्या आपको पता है कि इस धरती पर नरक का द्वार कहां है। जहां घुसने के बाद कोई जिंदा नहीं लौटता। आज भी पक्षी और सांड़ इस दवार में घुसने के बाद जिंदा बाहर नहीं आ पाते। यह जगह प्राचीन ग्रीक रोमन साम्राज्य के हीरापोलिस शहर में है। जहां प्लूटो

Anoop Ojha
Published on: 10 March 2018 6:26 PM IST
नरक का द्वार: सावधान इस दरवाजे में भूल कर भी न घुसना
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नरक का द्वार: सावधान इस दरवाजे में भूल कर भी न घुसना

लखनऊ: क्या आपको पता है कि इस धरती पर नरक का द्वार कहां है। जहां घुसने के बाद कोई जिंदा नहीं लौटता। आज भी पक्षी और सांड़ इस दवार में घुसने के बाद जिंदा बाहर नहीं आ पाते। यह जगह प्राचीन ग्रीक रोमन साम्राज्य के हीरापोलिस शहर में है। जहां प्लूटो देवता के नाम पर जानवरों को मरने के लिए इस गुफा में डाल दिया जाता था और लोग इन जानवरों के मरने का तमाशा देखते थे। अपोलो मंदिर के पीछे यह नरक का द्वार है। वर्तमान में यह शहर दक्षिण पश्चिम टर्की के पमुक्कल शहर के नाम से जाना जाता है।

नरक का द्वार: सावधान इस दरवाजे में भूल कर भी न घुसना नरक का द्वार: सावधान इस दरवाजे में भूल कर भी न घुसना

इस प्राचीन शहर क अवशेष आज पर्यटक स्थल बन गए हैं। गेट टू हेल का निर्माण ईसा के 190 साल पूर्व हुआ था और ईसा के दो सदी बाद इसका पुनर्निर्माण हुआ। लोग यहां बैठकर मौत का तमाशा देखते थे। यहां करीब ही गरम पानी का झरना भी है जिससे एक झील बनी हुई है इसके अलावा कैल्शियम का सोता भी यहां का आकर्षण है।

नरक का द्वार: सावधान इस दरवाजे में भूल कर भी न घुसना नरक का द्वार: सावधान इस दरवाजे में भूल कर भी न घुसना

वैज्ञानिकों का मानना है कि उन्होंने ग्रीको रोमन टैम्पल के रहस्य को सुलझा लिया है। प्राचीन काल में यहां धार्मिक क्रियाकलापों के नाम पर जानवरों को मरने के लिए डाल दिया जाता था। इस क्रिया को प्लूटोनियम कहा जाता था। प्राचीन काल में रोमन वासियों का विश्वास था कि नरक को जाने वाले इस द्वार के भीतर एक ऐसी दुनिया छिपी है जहां लोगों को यंत्रणादेकर मौत दी जाती है। प्लूटो इनके देवता का नाम था। मंदिर को जाने वाला रास्ता एक गुफा जैसा था जो कि ईसा के 190 साल पहले बनाया गया था। पुरातत्वविदों एक दल ने 2013 में इस गुफा की खोज की।

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दो हजार साल पहले बने हाइरापोलिस के ग्रीक-रोमन मंदिर में यह द्वार एक गुफा के ऊपर स्थित है जिसे नरक का प्रवेश द्वार माना जाता रहा। आधुनिक युग में यहां पर्यटक घूमने आते हैं। लोग चिड़ियो से लेकर सांड़ों तक को इसमें गिरकर मरते देखते रहे हैं। अब वैज्ञानिकों ने इसके रहस्य को सुलझा लिया है और यह सुपर नेचुरल नहीं है। फरवरी में पुरातत्व एवं मानव विज्ञान विभाग के विज्ञान के जर्नल द्वारा प्रकाशित अनुसंधान से पता चलता है कि पृथ्वी की सतह पर एक ऐसा छिद्र है जो कि इतनी अधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करता है, जो कि जानलेवा हो जाती है।

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हार्डी फॉन्ज और ज्वालामुखीविदों की उनकी टीम को इसके लिए पोर्टेबल गैस विश्लेषक का उपयोग करना पड़ा। जिससे पता चला कि गुफा के मुंहाने पर 4.53 प्रतिशत से लेकर तीन प्रतिशत तक के स्तर पर सीओ 2 पाया गया, और गुफा के और अंदर यह जीवित प्राणियों को मारने के लिए 91प्रतिशत अधिक था। फॉन्ज ने बताया कि स्तनधारियों (मनुष्यों सहित) के लिए समस्याएं 5 प्रतिशत सीओ 2 से नीचे शुरू हो रही हैं। 7 प्रतिशत और अधिक सीओ 2 में रहने से पसीना, चक्कर आना, दिल की धड़कन बढ़ना इत्यादि शुरू हो जाता है। एक और वृद्धि से ऑक्सीजन की कमी और खून और शरीर या मस्तिष्क कोशिकाओं के अम्लीकरण के कारण अस्थिरता बढ़ती है।

तो यह कोई आश्चर्य नहीं है कि गुफा में प्रवेश करने वाले जानवरों की तेजी से मृत्यु हुई हो। हार्डी फॉन्ज का कहना है कि अकेले शोध अवधि के दौरान उन्हें तमाम मृत पक्षी, चूहे और 70 से अधिक मृत बीटल मिले।



Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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