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भारत में हुए आविष्कार सबको करते हैं गौरवान्वित, जिसने बदल दी दुनिया
आज विकास के मामले में हम भले कई लदेशों से भी पीछे रह गए है, कुछ बुलंदियों को छुए है और कुछ सफलताओं को छुते छूते रह गएं हो।लेकिन आज भी हम अपनी हम अपने इतिहास की बात करें तो हम भारतीयों को उस गर्व है। आज चंद्रयान-2 भले पहुंचते –पहुंचते रह गया है है,लेकिन हम उससे भी
जयपुर: आज विकास के मामले में हम भले कई देशों से भी पीछे रह गए है, कुछ बुलंदियों को छुए है और कुछ सफलताओं को छूते छूते रह गए हो।लेकिन आज भी हम अपने इतिहास की बात करें तो हम भारतीयों को उस पर गर्व है। आज चंद्रयान-2 भले पहुंचते –पहुंचते रह गया है है,लेकिन हम उससे भी बड़ी सफलता हासिल करेंगे। ये उम्मीद है। आज के दौर में पश्चिमी देश विज्ञान में बुलंदियों पर भले है पर अगर पुराने भारत की बात करें तो वो कभी पीछे नहीं रहा है। हमारे यहां के विद्वानों ने कई आविष्कार किये है जिसके आगे आज भी विश्व नतमस्तक है। ऐसे ही भारत विश्व का गुरू नहीं कहलाता है। चंद्रयान की असफलता से हताश न होकर हरिवंश रायजी बच्चन की इस पंक्ति को सदैव याद रखकर मनोबल को ऊंचा रखना चाहिए। मन का हो तो अच्छा, मन का ना हो तो और भी अच्छा,
हमारा देश विज्ञान के क्षेत्र में कई सफलताएं व उपलब्धियां पहले भी हासिल कर चुका और आगे भी करेगा। जिसको पूरी दुनिया सलाम करती है। अगर देश की प्राचीन सफलताएं व आविष्कार देखे तो...
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*पश्चिमी देशों ने विज्ञान में कितनी तरक्की कर ली है, चांद तक पहुंच गया है। लेकिन आयरन केज रॉकेट का इस्तेमाल भी सबसे पहले भारत में ही टीपू सुल्तान ने किया था। यानी कि आज की मॉडर्न मिसाइल की शुरुआत भी भारत में ही हुई थी।
* सबसे पहले जिक्र जीरो से यानी की शून्य का आता है।। शून्य (0) का इस्तेमाल करना आर्यभट्ट ने सिखाया था। उस समय जब सिर्फ इकाइयों का इस्तेमाल होता था उस समय आर्यभट्ट ने जीरो का इस्तेमाल किया। जिसके बदौलत विज्ञान आज इस ऊंचाई पर है।
*स्केल की खोज भी सबसे पहले भारतीयों ने ही की थी। एक्सपेरिमेंट में लगभग 35 साल पुराने स्केल पाए गए हैं। जिनकी सटीकता पूरी तरह सही थी। यानी जो पश्चिमी देश खुद को मॉडर्न आर्किटेक्ट कहते हैं उन को मापना भी भारतीयों ने ही सिखाया था।
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*सूती वस्त्र को पूरी दुनिया में हमारे देश से ही पहुंचाया गया। जब 5000 साल से भी ज्यादा पहले पूरी दुनिया जानवरों की चमड़ी पहनती थी, तब भारत में रुई से कपड़े बनाने की कला का ईजाद हुआ था। यानि आधुनिकता की शुरुआत भी हमारे देश से ही हुई है।
*दुनिया जब नई-नई बीमारियों से लड़ रही थी तब भारतीयों ने आयुर्वेद विज्ञान की खोज की थी। जिस प्लास्टिक सर्जरी को पश्चिमी देश की देन समझते हैं, उसे 2600 साल पहले ही सुश्रुत संहिता में बताया गया था।
*जो वायरलेस फोन चलाकते हैं वो भी भारत की सबसे बड़ी देन है।जगदीश चंद्र बोस ने 1895ईसवी में पहली बार पब्लिकली वायरलेस कम्युनिकेशन डेमोंस्ट्रेशन करके दिखाया था।
*हमारे ज्योतिषीय गणना व रहस्य के आगे पश्चिमी देश भी नतमस्तक है जिसे विज्ञान भी मानता है। तो हम कल भी गौरवान्वित थे आज भी है और कल भी सफलता की ऊंचाई हासिल करेंगे। एक मिशन से देश के मनोबल को झटका नहीं लगता है। लड़खाएंगे, लेकिन गिरेंगे नहीं ,बल्कि संभलकर उठने का इतिहास रहा है। जो कल था आज है और कल भी रहेगा।
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