TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

खोजे जाएंगे भोले बाबा के दर जाने वाले प्राचीन रास्ते,पैदल चल चुकी है दो टीमें

पिछले कुछ दशकों में सड़कें बन जाने के बाद श्रद्धालु समय और शक्ति के लिहाज से खर्चीले इन पारंपरिक पैदल मार्गों से विमुख हो गये। बदरीनाथ धाम तक जहां सीधी सड़क जाती है वहीं केदारनाथ के आधार शिविर गौरीकुंड तक भी सड़क की पहुंच है।

Roshni Khan
Published on: 28 April 2019 1:32 PM IST
खोजे जाएंगे भोले बाबा के दर जाने वाले प्राचीन रास्ते,पैदल चल चुकी है दो टीमें
X

देहरादून: सातवीं—आठवीं सदी में उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय के पहाड़ों पर घनघोर जंगलों के बीच पैदल रास्ता तय करते हुए आदि गुरू शंकराचार्य ने बदरीनाथ में बद्रिकाश्रम ज्योर्तिपीठ और केदारनाथ में ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी। सदियों से श्रद्धालु भी इन्हीं पैदल पथों का अनुसरण करते हुए इन पवित्र धामों के दर्शन करने और पुण्यलाभ लेने आते रहे।

ये भी देखें:EVM पर बीजेपी के चुनाव चिन्ह के नीचे पार्टी का नाम होने के TMC के दावे को चुनाव आयोग ने किया खारिज

बहरहाल, पिछले कुछ दशकों में सड़कें बन जाने के बाद श्रद्धालु समय और शक्ति के लिहाज से खर्चीले इन पारंपरिक पैदल मार्गों से विमुख हो गये। बदरीनाथ धाम तक जहां सीधी सड़क जाती है वहीं केदारनाथ के आधार शिविर गौरीकुंड तक भी सड़क की पहुंच है।

लेकिन अब अगले महीने चारधाम यात्रा की शुरूआत से पहले उत्तराखंड पुलिस के राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) ने समय की मार से विलुप्त हो गये इन पैदल मार्गों को फिर से खोजने की पहल की है।

उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था अशोक कुमार ने बताया कि इंस्पेक्टर संजय उप्रेती की अगुवाई में एक 13 सदस्यीय टीम को बदरीनाथ और केदारनाथ के लिये भेजा गया है जो स्वयं पैदल यात्रा कर उन पारंपरिक मार्गों की तलाश करेगी । इस टीम में दो महिला सदस्य भी हैं।

ये भी देखें:साध्वी प्रज्ञा तो महान संत हैं, उनसे मेरी तुलना ना करें: उमा भारती

कुमार ने कहा, ‘‘केवल 70 साल पहले तक भी श्रद्धालु पैदल मार्गों से यात्रा करके बदरीनाथ और केदारनाथ धाम पहुंचते थे । लेकिन सड़कें बनने के बाद ये मार्ग धीरे-धीरे विलुप्त हो गये। हमने उन्हें पुन: खोजने की पहल की है।'’

एसडीआरएफ की टीम ने अपनी यात्रा की शुरूआत 20 अप्रैल को धार्मिक शहर ऋषिकेश के पास स्थित लक्ष्मणझूला क्षेत्र से की थी और अब वह गंगा नदी के साथ-साथ करीब 160 किलोमीटर की दूरी तय कर रूद्रप्रयाग पहुंच चुकी है।

रूद्रप्रयाग से उप्रेती ने बताया, ‘‘यहां से हमारी टीम दो हिस्सों में बंट गयी है। एक टीम बदरीनाथ की ओर जा रही है जबकि दूसरी टीम अलग दिशा में स्थित केदारनाथ की ओर रवाना हो गयी है।’’

उप्रेती बदरीनाथ जा रही टीम का नेतृत्व कर रहे हैं।

एसडीआरएफ की टीम रस्सियां और टॉर्च जैसे इस यात्रा के लिये जरूरी उपकरणों के अलावा अपने साथ प्राचीन साहित्य भी ले गयी है जिससे पारंपरिक पैदल मार्गों को ढूंढने में सहायता मिल सके।

उप्रेती ने बताया कि पैदल यात्रा मार्गों की तलाश के लिये ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) का सहारा भी लिया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘'इसके अलावा, इन मार्गों को ढूंढने में हम स्थानीय ग्रामीणों तथा साधुओं से भी मदद ले रहे हैं।'’

पुलिस महानिदेशक कुमार ने कहा कि टीम के लौटने के बाद एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जायेगी। उन्होंने कहा, ‘‘अगर पैदल मार्गों को ढूंढने का हमारा प्रयास सफल हो जाता है तो इससे क्षेत्र में धार्मिक के अलावा साहसिक पर्यटन को भी बहुत बढ़ावा मिलेगा।’’ अगले महीने चारधाम यात्रा की शुरूआत हो रही है।

ये भी देखें:जनता की समस्याएं हल करना और जनता का आदर करना राष्ट्रवाद है: प्रियंका गांधी

चमोली जिले में स्थित बदरीनाथ धाम के कपाट जहां 10 मई को खुल रहे हैं वहीं रूद्रप्रयाग जिले में स्थित भगवान शिव के धाम केदारनाथ मंदिर के कपाट नौ मई को खुलेंगे। उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट अक्षय तृतीया के दिन सात मई को खुलेंगे।

(भाषा)



\
Roshni Khan

Roshni Khan

Next Story