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Mission 2024: अब आंध्र प्रदेश में दिखेगी भाई-बहन की दिलचस्प टक्कर, जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ कांग्रेस का बड़ा सियासी दांव
Mission 2024: किसी जमाने में शर्मिला ने राज्य में अपने भाई को सियासी रूप से मजबूत बनाने के लिए बड़ी भूमिका निभाई थी मगर अब भाई-बहन के सियासी रास्ते अलग हो चुके हैं।
Mission 2024: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने बड़ी सियासी रणनीति तैयार की है। पिछले दो लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान इस राज्य में पार्टी का खाता नहीं खुल सका था और इस कारण पार्टी ने जगन मोहन रेड्डी की बहन वाईएस शर्मिला को पार्टी में शामिल करके पार्टी को राज्य में पुनर्जीवित करने का बड़ा प्लान तैयार किया है।
किसी जमाने में शर्मिला ने राज्य में अपने भाई को सियासी रूप से मजबूत बनाने के लिए बड़ी भूमिका निभाई थी मगर अब भाई-बहन के सियासी रास्ते अलग हो चुके हैं। आने वाले दिनों में कांग्रेस की ओर से शर्मिला अपने भाई के खिलाफ आंध्र प्रदेश में बड़ा मोर्चा खोलने की तैयारी में जुटी हुई हैं।
2014-2019 में कांग्रेस का नहीं खुला था खाता
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएसआर रेड्डी को कांग्रेस का कद्दावर नेता माना जाता था। उनके जमाने में कांग्रेस राज्य में सियासी रूप से काफी मजबूत थी मगर बाद में धीरे-धीरे पार्टी की स्थिति लगातार कमजोर होती गई। आंध्र प्रदेश में लोकसभा की 25 सीटें हैं मगर 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का राज्य में खाता तक नहीं खुल सका था। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेस को काफी शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था और पार्टी शून्य पर पहुंच गई थी।
आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस के नेता जगनमोहन रेड्डी ने खुद को सियासी रूप से काफी मजबूत बना लिया है। ऐसे में जगन मोहन रेड्डी की घेरेबंदी के लिए कांग्रेस ने शर्मिला को पार्टी में शामिल करके बड़ा सियासी दांव चला है। राज्य में पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए किसी करिश्मे की जरूरत है और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि शर्मिला उस करिश्मे को दिखाने में सक्षम साबित हो सकती हैं।
शर्मिला को लेकर कांग्रेस की बड़ी रणनीति
कर्नाटक और तेलंगाना में सत्ता पर काबिज होने के बाद दक्षिण भारत में कांग्रेस के हौसले बुलंद नजर आ रहे हैं। तेलंगाना की जीत के बाद कांग्रेस को आंध्र प्रदेश में भी बड़ी सियासी संभावनाएं नजर आने लगी हैं। शर्मिला को तेलंगाना के विधानसभा चुनाव से पहले ही पार्टी में शामिल करने की तैयारी थी मगर बाद में इसे टाल दिया गया था। वाईएसआर तेलंगाना पार्टी की नेता शर्मिला ने तेलंगाना के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया था। उसके बाद से ही यह तय माना जाने लगा था कि वे जल्द ही कांग्रेस का दामन थाम कर अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय करेंगी।
कांग्रेस के जानकार सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस ने दीर्घकालीन राजनीति के मद्देनजर शर्मिला को पार्टी में शामिल किया है। आने वाले दिनों में शर्मिला को कर्नाटक से राज्यसभा का सदस्य बनाए जाने की भी संभावना जताई जा रही है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि शर्मिला को आंध्र में बड़ी जिम्मेदारी सौंप कर कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की कोशिश की जाएगी।
राहुल के लिए क्या था वाईएसआर का सपना
शर्मिला को कांग्रेस में शामिल करने के कार्यक्रम को पार्टी की ओर से रणनीति के तहत बड़ा रूप देने की कोशिश की गई। गुरुवार को इस मौके पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी समेत पार्टी के अन्य सभी वरिष्ठ नेता मौजूद थे। इस मौके पर शर्मिला ने तेलंगाना में पार्टी की जीत में अपने योगदान पर खुशी जताई।
इसके साथ ही उन्होंने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की वकालत भी की। उन्होंने कहा कि मेरे पिता वाईएसआर रेड्डी का राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने का सपना था। मैं अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोडूंगी। उन्होंने कांग्रेस को देश की सबसे बड़ी धर्मनिरपेक्ष पार्टी बताया और कहा कि यह पार्टी देश में सभी वर्गों के लोगों का प्रतिनिधित्व करती है।
अब भाई-बहन के बीच होगी दिलचस्प टक्कर
सियासी जानकारों का मानना है कि शर्मिला को कांग्रेस में शामिल करके पार्टी ने बड़ा सियासी दांव चला है। अब आंध्र प्रदेश की सियासी जंग में भाई-बहन के बीच दिलचस्प टक्कर का नजारा दिखेगा। हालांकि आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी को सियासी रूप से काफी मजबूत माना जा रहा है मगर अपनी बहन से आमने-सामने के मुकाबले में वे क्या रणनीति अपनाएंगे,यह देखने वाली बात होगी। वाईएसआर रेड्डी की राजनीतिक विरासत को लेकर छिड़ने वाला यह संघर्ष काफी दिलचस्प होने की संभावना है।