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'महिला उद्यमिता दिवस': आसान नहीं है महिलाओं के लिए उद्यमी बनना

seema
Published on: 24 Nov 2017 11:29 AM GMT
महिला उद्यमिता दिवस: आसान नहीं है महिलाओं के लिए उद्यमी बनना
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नई दिल्ली: महिला उद्यमी बनना कई लोगों की आकांक्षा हो सकती है, लेकिन क्या उद्यमी बनना इतना आसान है? कुछ दिन पहले ही 'महिला उद्यमिता दिवस' मनाया गया है। सामाजिक उद्यमी वेंडी डायमंड ने महिला उद्यमिता दिवस की शुरुआत की थी, जो अब महिला उद्यमिता दिवस संगठन की सीईओ हैं, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर महिलाओं और लड़कियों को सशक्त करना है।

कई लोगों का कहना है कि उद्यमिता डरपोक लोगों के लिए नहीं है। नौकरशाही और लैंगिक बाधाओं से भरे मार्ग के लिए आत्मविश्वास से लबरेज होना जरूरी है। लेकिन भारत वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी के निचले स्तर की वजह से बदनाम है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कुल बिजनेस मालिकों में सिर्फ 14 प्रतिशत महिलाएं हैं। इनमें भी अधिकांश वे महिलाएं हैं जो स्व रोजगार वाली उद्यमी हैं जबकि बहुत ही कम महिलाएं ऐसी हैं जो स्वयं बिजनेस चला रही हैं। लेकिन महिलाओं के लिये वित्तीय रूप से स्वावलंबी बनने के लिए उद्यमिता का रास्ता अख्तियार करना सबसे जरूरी है। तमाम महिलाओं ने स्वयं का उद्यम करने सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित भी किये हैं।

लें सरकारी योजनाओं का लाभ

किसी भी महिला के लिए परिवार और दोस्तों के सहयोग ही अपना स्टार्टअप शुरू करने की नींव बनती है। लेकिन फंडिंग योजनाओं और वित्तीय सहयोग एक बड़ी दिक्कत है जो महिलाओं को अपना स्टार्टअप शुरू करने से रोकती है। इस दिशा में सरकर महिलाओं की मदद को आगे आयी है। अप्रैल 2016 में भारत सरकार ने 'स्टैंड अप इंडिया' स्कीम शुरू की जिसका मुख्य उद्देश्य एससी/एसटी और महिलाओं के बीच उद्यमिता को प्रोत्साहन देना है।

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इसके लिए 10 लाख से लेकर एक करोड़ रुपए तक के कर्ज अपना खुद का कारोबार स्थापित करने के लिए दिए जाते हैं। जो महिलाएं इस स्कीम के तहत फायदा उठाती हैं, उन्हें अपने कारोबार के लिए अन्य सहयोगी सेवाओं का लाभ भी मिल सकता है। उन्हें सरकार के सामाजिक कल्याण कार्यक्रम के दायरे में भी लाया जा सकता है। इतना ही नहीं, राष्ट्रीय बैंकों को महिला उद्यमियों के लिए खास तौर पर कर्ज की योजनाएं शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इनमें अन्नपूर्णा योजना, देना शक्ति योजना, उद्योगिनी योजना, स्त्री शक्ति योजना, महिला उद्यम निगम योजना शामिल है।

अन्नपूर्णा योजना : यह स्टेट बैंक ऑफ मैसूर द्वारा चलायी जाती है। इसके तहत खाद्य व कैटरिंग के क्षेत्र में काम करने की इच्छुक महिलाओं को 50 हजार रुपये तक का वर्किंग कैपिटल दिया जाता है।

स्त्री शक्ति पैकेज : यह भारतीय स्ïटेट बैंक की स्कीम है जो उन महिलाओं के लिए है जिनका किसी बिजनेस में 50 फीसदी शेयर है और जिन्होंने सरकार की उद्यमिता विकास योजना में हिस्सा ले रखा है।

उद्योगिनी स्कीम : पंजाब एंड सिंध बैंक की इस योजना में कृषि, खुदरा व लघु व्यापार में संलिप्त महिलाओं को 1 लाख रुपये तक का लोन दिया जाता है।

महिला उद्यम निधि : पंजाब नेशनल बैंक की इस स्कीम में ब्यूटी पार्लर, क्रेश आदि लघु उद्यम के लिये 10 लाख रुपये तक का लोन दस साल के लिये दिया जाता है।

मुद्रा योजना : भारत सरकार द्वारा चलायी जा रही इस योजना में 50 हजार से 10 लाख रुपये तक का लोन महिलाओं को दिया जाता है। इस योजना में लोन लेने के लिये किसी कोलेटरल सिक्योरिटी की जरूरत नहीं पड़ती।

प्रेरक महिला उद्यमी

कुछ सफल उद्यमियों के नाम जानिये जो आपको प्रेरित कर सकती हैं:

सायरी चहल : सायरी चहल शेरोज की संस्थापक और सीईओ है। महिलाओं के लिए करियर प्लेसमेंट की दुनिया में वह बड़ा अंतर पैदा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

फाल्गुनी नायक: 27 साल तक बैंकर रहने के बाद फाल्गुनी नायर ने अपना खुद का कारोबार शुरू करने की ठानी और ब्यूटी व वेलनेस ई-स्टोर 'न्याका' शुरू किया।,

सिमोन टाटा: जन्म से फ्रांसीसी सिमोन टाटा रतन टाटा की सौतेली मां हैं। लक्मे कंपनी की पूर्व अध्यक्ष को भारत का कॉस्मेटिक क्वीन कहा जाता है। उन्होंने बेचे जाने से पहले टाटा की इस छोटी कंपनी को भारत का सबसे बड़ा कॉस्मेटिक ब्रांड बना दिया।

किरण मजुमदार शॉ: 59 वर्षीया किरण मजुमदार शॉ ने 1978 में बायोकॉन कंपनी शुरू की और उसे बायोमेडिसिन रिसर्च का अगुआ बना दिया।

प्रिया पॉल : 22 साल की आयु में पारिवारिक बिजनेस में शामिल होने वाली प्रिया पॉल एपीजे पार्क होटल्स कंपनी की अध्यक्ष हैं। उद्योग जगत के अलावा सरकार ने भी हॉस्पिटेलिटी उद्योग को उनके योगदान की सराहना की है।

एकता कपूर: फिल्म स्टार जीतेंद्र की बेटी एकता कपूर बालाजी टेलीफिल्म्स कंपनी की संयुक्त मैनेजिंग डाइरेक्टर है। उन्होंने टीवी धारावाहिकों और फिल्म निर्माण के क्षेत्र में अपनी खास जगह बनाई है। सबसे सफल महिला प्रोड्यूसर्स में एकता का नाम आता है।

मीना बीन्द्रा: मीना इस तथ्य का प्रमाण है कि उम्र का सफलता के साथ कुछ नहीं करना है। फैशन ब्रांड 'बीबा' के पीछे दिमाग और हाथ मीना का है। उसने 50 साल की उम्र में भारत के सबसे बड़े रेडीमेड कपड़े ब्रांडों में बीबा को स्थापित कर दिखाया।

सुची मुखर्जी: लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री और कॉरपोरेट सेक्टर में पांच साल काम करने के बाद सुची मुखर्जी ने अपना खुद का फैशन रिटेल पोर्टल, लाइमरोड शुरू किया है।

सबीना चोपड़ा: सबीना चोपड़ा ने जब अपने ऑनलाइन ट्रैवल मैनेजमेंट का अनुभव का इस्तेमाल अपने उपक्रम में करने की सोची तो वह 'यात्रा ' के स्वरूप में सामने आया। जो आज बेहद सफल साबित हुआ है।

क्या कहती हैं सफल महिलाएं

सिस्को ग्रुप की अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक अनुसूया गुप्ता के अनुसार, 'हां, यह पुरुषों की दुनिया रही है। जब 10 साल पहले मैंने कारोबार की कमान संभाली थी, उस समय लोगों के दिमाग में असुरक्षा की भावना थी। लोगों ने कारोबार खरीदने की कोशिश की, लेकिन मैं अडिग रही। मुझे अपना मिशन पूरा करना था। मुझे अपने कारोबार को फैलाना था।' अनुसूया जब महज गृहिणी थीं, लेकिन उस समय की परिस्थितियों की वजह से उद्यमी बन पाईं। उन्होंने अपने पति की मौत के बाद कामकाज संभाला। 'आज मुझे उद्यमी होने के अवसरों का अहसास है। मुझे औचक ही उद्यमी बनने का अवसर मिला, लेकिन अब मैं उद्यमी बनने के मायने समझती हूं। मैंने सिस्को के वरिष्ठ नेतृत्व में लैंगिक अनुपात को बदला है। अब कंपनी का 50 फीसदी नेतृत्व महिलाओं के पास है।' 'यदि हम महिला सशक्तीकरण चाहते हैं तो हमें पुरुषों के अनुरूप समान अवसर चाहिए। हम महिला होने के नाते अतिरिक्त अवसरों की मांग नहीं कर सकते।'

मोबिक्विक की सहसंस्थापक और निदेशक उपासना टाकू कहती हैं - 'उद्यमिता बहुत ही चुनौतीपूर्णकाम है। यह अकेला मार्ग है। हमें नकारात्मक टिप्पणियां करने वालों से उलट खद में आत्मविश्वास रखना बहुत जरूरी है। दृढ़ता उद्यमिता के मुख्य तत्वों में से एक है।' वह बताती हैं कि महिला उद्यमियों के लिए पारिवारिक पृष्ठभूमि बहुत जरूरी है। ' कुछ परिवार इसे आसान बनाते हैं और कुछ कठिन बना देते हैं। मैंने उस वक्त कंपनी शुरू की थी, जब मैं सिंगल थी। मेरे माता-पिता मेरे करियर के समर्थक थे, इसलिए यह मेरे लिए आसान था। 'मेरा स्टाटअर्प मेरा बच्चा है। अब बच्चा आठ साल का हो गया है। मेरा खुद का बच्चा दो साल का है।

पीपुलस्ट्रांग की सहसंस्थापक और मुख्य कारोबारी अधिकारी शेली सिंह को लगता है कि महिलाओं को जीवन में बड़े लक्ष्य रखने चाहिए।

सिंह कहती हैं - 'मैं मध्यमवर्गीय परिवार से आती हूं। मेरे माता-पिता ने मुझे सर्वोत्तम शिक्षा दी। मैं उद्यमी बनने की यात्रा शुरू करने से पहले दो जगह काम करती थी। इन दोनों जगहों पर मैंने एचआर विकास टीम में काम किया है। मुझे हमेशा लगता रहा कि एचआर क्षेत्र में कुछ करने की जरूरत है। देश में महिला उद्यमियों को सलाह देने की व्यवस्था बहुत कमजोर है। यदि आपको सही मेंटर मिल गया तो आपकी यात्रा आसान हो जाएगी। महिलाओं के अपने मानसिक अवरोध हैं। यदि वे अपना उद्देश्य सामने रखें तो वे इसे हासिल कर सकती हैं।'

'हमें खुद के लिए नियम निर्धारित करने पड़ेंगे। उद्यमिता एक अंदरूनी यात्रा है। यदि किसी को लग्जरी पसंद है, तो उद्यमिता से नहीं जुड़े। यहां असफलताएं होंगी और व्यापक असफलताएं होंगी। ये डरपोक लोगों के लिए नहीं है।'

'महिलाएं वास्तव में बड़े सपने नहीं देखतीं। महिलाओं का उद्देश्य सीमित आर्थिक आजादी होता है। महिलाएं जन्मजात नेटवर्कर हैं, वे सामाजिक जीवन में बेहतर होती हैं और बॉस के रूप में अधिक संवेदनशील होती हैं।'

जरूरी है महिला उद्यमिता

महिला उद्यमी परिवार एवं समुदायों की आर्थिक संपन्नता, गरीबी उन्मूलन और महिला सशक्तीकरण में विशेष रूप से अत्यंत सहयोग दे सकती हैं, और इस प्रकार सहस्राब्दी विकास लक्ष्य प्राप्त करने में योगदान कर सकती है। इसलिए, पूरे विश्व में सभी सरकारें और साथ ही साथ विकास संगठन विभिन्न योजनाओं, प्रोत्साहनों और संवर्द्धन उपायों के माध्यम से महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित करने और उनके संवर्द्धन के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं।

केंद्र एवं राज्य स्तर की ऐसी अनेक सरकारी योजनाएँ भी हैं, जो ज़रूरतमंद महिलाओं को प्रशिक्षण-सह-आय उपार्जक गतिविधियों की स्थापना के लिए सहायता उपलब्ध कराती है, ताकि उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया जा सके। भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) भी महिला उद्यमियों के लिए विशेष योजनाओं का कार्यान्वयन करता है।

भारत में कार्यरत विभिन्न महिला संघों का विवरण :

भारतीय महिला उद्यम परिसंघ

https://www.fiwe.org/

महिला उद्यमी सहायता-संघ

https://www.cwei.org/

स्व-रोजग़ार महिला संघ

https://www.sewa.org/

बिहार महिला उद्योग संघ

https://www.biharmahilaudyogsangh.com/

एसएएआरसी चैम्बर महिला उद्यमिता परिषद

https://www.scwec.com/inde&.htm

टीआईई स्त्री शक्ति

https://www.tiestreeshakti.org/

महिला सशक्तीकरण निगम

https://www.wecindia.org

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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