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रामलला प्राण प्रतिष्ठा पर बिफरे अनुराग कश्यप, बोले- राम मंदिर था ही नहीं, धर्म के धंधे को पास से देखा है
Anurag Kashyap Ram Mandir: अनुराग कश्यप ने कहा, 'मेरे नास्तिक होने की बड़ी वजह यह है कि मैं वाराणसी में पैदा हुआ। मैंने धर्म के धंधे को बहुत पास से देखा है।'
Anurag Kashyap on Pran Pratishtha: बॉलीवुड के चर्चित फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap Statement) अकसर अपने बयानों की वजह से सुर्ख़ियों में रहते हैं। इस बार उनके बेबाक बोल करोड़ों हिन्दू रामभक्तों की आस्था के केंद्र अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर आया है। कोलकाता में एक प्रोग्राम में अनुराग ने कहा, 'उन्हें ये सब विज्ञापन जैसा लगता है। जब इंसान के पास कुछ नहीं बचता तो वह धर्म पर आ जाता है।'
फिल्म निर्माता-निर्देशक अनुराग कश्यप यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा, 'अयोध्या में राम नहीं बल्कि राम लला का मंदिर (Shri Ramlala Mandir) है। लोगों को फर्क नहीं पता'। अनुराग कश्यप ने धर्म सहित कई अन्य मुद्दों पर भी अपनी राय रखी।
अनुराग कश्यप ने प्राण प्रतिष्ठा को बताया ऐड
अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap Ram Mandir) को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन दिखावा लगा। अंग्रेजी दैनिक 'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट की मानें तो यह आयोजन कोलकाता में हुआ था। इस इवेंट में अनुराग ने अपने विचार रखे। अनुराग कश्यप ने कहा, '22 जनवरी (राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा) को जो भी हुआ, वह सिर्फ विज्ञापन था। मैं तो इसे ऐसे ही देखता हूं। ठीक वैसा ही विज्ञापन जैसा कि खबरों के बीच में चलता है। उन्होंने कहा, ये 24 घंटे का विज्ञापन था।
'धर्म के धंधे को बहुत पास से देखा है'
अपने संबोधन में अनुराग कश्यप ने खुद को नास्तिक बताया। वो बोले, 'मेरे नास्तिक होने की बड़ी वजह यह है कि मैं वाराणसी में पैदा हुआ। मैंने धर्म के धंधे को बहुत पास से देखा है।' बता दें, अनुराग पहले भी कई मौके पर हिन्दू धर्म की खिलाफत वाली बातें करते रहे हैं।
यह कभी राम मंदिर नहीं था, ये तो...
अनुराग कश्यप यहीं नहीं रुके उन्होंने आगे कहा, 'आप इसे राम मंदिर (Ram Mandir) कहते हैं, दरअसल यह कभी राम मंदिर था ही नहीं। यह लला का मंदिर था। पूरा देश इसमें अंतर नहीं बता सकता।' इशारों-इशारों में अनुराग कश्यप ने तंज कसते हुए कहा, 'किसी ने कहा है दुष्टों का धर्म ही आखिरी सहारा है। जब आपके पास कुछ नहीं बचता, तो धर्म पर आ जाते हो।'
अनुराग- मैं नास्तिक..निराश लोग मंदिर जाते हैं
फिल्म निर्देशक ने आगे कहा, 'मैंने खुद को हमेशा नास्तिक कहा। क्योंकि, मैंने बड़े होते समय देखा है, कैसे निराश लोग रक्षा के लिए मंदिर जाते हैं। ठीक वैसे ही जैसे वहां कोई बटन हो, जिसे दबाते ही उनकी परेशानियां दूर हो जाएंगी। क्या वजह है कि अब आंदोलन नहीं होते? लोग दिखने से डरते हैं।'