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Parliament Winter Session: 'अब छोटी गलतियों पर जेल नहीं जाएंगे अखबार-मैगजीन के प्रकाशक', बोले अनुराग ठाकुर

Parliament Winter Session: केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने दावा किया कि, पहले का बिल मीडिया पर दबाव बनाने वाला था, जबकि नया बिल अवसर देने वाला है।

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Published on: 21 Dec 2023 9:26 PM IST (Updated on: 21 Dec 2023 9:43 PM IST)
Parliament Winter Session
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केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर (Social Media)

Parliament Winter Session: केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने 'प्रेस और नियतकालिक पत्रिका रजिस्ट्रीकरण विधेयक-2023' को लेकर मीडिया और विपक्षी दलों की आशंकाओं को खारिज किया। सूचना और प्रसारण मंत्री सदन में इसे अंग्रेजों और कांग्रेस शासन की गुलामी वाली मानसिकता से मुक्त बताया। अनुराग ठाकुर ने दावा किया कि, पहले का बिल मीडिया पर दबाव बनाने वाला था, लेकिन यह बिल अवसर देने वाला है।

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, 'अब अखबारों और पत्रिकाओं के रजिस्ट्रेशन के लिए दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने होंगे। न ही छोटी-छोटी गलतियों पर प्रकाशकों को जेल जाना होगा'। बता दें, गुरुवार (21 दिसंबर) को यह विधेयक लोकसभा से पारित हो गया।

'नहीं काटने होंगे स्थानीय अधिकारियों के दफ्तर के चक्कर'

'प्रेस और नियतकालिक पत्रिका रजिस्ट्रीकरण विधेयक' (Press and Registration of Periodicals Bill, 2023) पर चर्चा के दौरान अनुराग ठाकुर ने कहा कि, 'यह विधेयक गुलामी की मानसिकता और अपराधीकरण से छुटकारा दिलाने वाला है। डिजिटल इंडिया, 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' और 'ईज ऑफ लिविंग' देने वाला है। यह अंग्रेजों के जमाने के प्रेस एवं पुस्तक पंजीकरण बिल-1867 के स्थान पर लाया गया है। उन्होंने बताया, इसमें अब प्रकाशक को टाइटल या रजिस्ट्रेशन के लिए डीएम या अन्य स्थानीय अधिकारियों के दफ्तर के चक्कर नहीं काटने होंगे। बल्कि, सभी प्रक्रिया ऑनलाइन और समयबद्ध होगी। इस बिल के पारित होने से गुलामी की मानसिकता से मुक्ति मिलेगी। उस वक़्त बने कानून से मुक्ति मिलेगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा, छोटी गलितयों पर भी जेल भेजे जाने का डर चला गया'।

आजाद भारत में चक्कर काटने का नाम नहीं'

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने ये भी कहा कि, पहले के कानून से मीडिया को दबाया जाता था। मगर, अब बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि, पीआरबी कानून 1867 (PRB Law 1867) में तब एक सोच थी कि स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े लोग अपना अखबार ना निकाल पाएं। इसलिए उन्हें जिलाधिकारी दफ्तर के चक्कर काटने पड़ते थे। जेल की सजा का प्रावधान भी रखा गया था। मगर, अब आजाद भारत में चक्कर काटने का नाम नहीं। केवल बटन दबाकर डिजिटल इंडिया के जरिये आपका काम होगा।

अब एक क्लिक में होंगे सभी काम होंगे

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने बताया, 'पहले इसके 8 स्टेप थे, कई महीने लगते थे। अब एक ही बार में सभी काम होंगे। दो से तीन महीने में सभी औपचारिकताओं के बाद प्रमाण पत्र मिल जाएगा। वहीं, कांग्रेस अंग्रेजों की सोच को लेकर ही आगे चली। उस वक़्त किताब को भी इसके अधीन लिया गया था। अब उसमें से किताब को निकाल दिया गया है।'

UPA सरकार के बिल में छोटी अपराध पर भी जेल

अनुराग ठाकुर ने कहा कि, 'वर्ष 2011 में UPA सरकार इस संबंध में जो बिल लाई थी, के बिल में छोटे अपराध पर भी जेल का प्रावधान था। मोदी सरकार ने उसमें से पांच वह प्रावधान निकाल दिए। सिर्फ एक रखा है कि, बिना अनुमति के समाचार पत्र या मैगजीन निकालने पर नोटिस देकर 6 माह का समय दिया जाएगा। उसके बाद कार्रवाई होगी। कोई गैर कानूनी और आतंकवादी कार्रवाई में शामिल होगा तो उसे समाचार पत्र या पत्रिका चलाने की अनुमति नहीं मिलेगी'।



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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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