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West Bengal: 'अपराजिता विधेयक' पर छिड़ी जंग, अब पहुंचा राष्ट्रपति के पास
Aparajita Bill Row: अपराजिता विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजने पर राजभवन के मीडिया सेल की तरफ से कहा गया कि पश्चिम बंगाल सरकार से अनिवार्य तकनीकी रिपोर्ट प्राप्त होने पर राज्यपाल ने अपराजिता विधेयक को भारत के राष्ट्रपति के विचारार्थ भेजा है।
Aparajita Bill Row: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ हुए रेप-हत्या के बाद प्रदेश में ऐसी घटना दोबारा ना हो, इसको लेकर ममता बनर्जी सरकार सख्त हो गई है। महिलाओं के खिलाफ होने वाली घटनाओं को रोकने के लिए ममता सरकार ने कुछ दिन पहले विधानसभा से अपराजिता विधेयक लेकर आई, जिसको विधासभा मंजूरी भी मिल गई, लेकिन विधानसभा से पारित अपराजिता विधेयक को राज्यपाल की ओर से राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेज गया है। बिल को राष्ट्रपति के पास भेजने पर ममता सरकार राज्यपाल सी. वी आनंद बोस पर हमलवार हो गई है और राज्यपाल भवन के सामने प्रदर्शन करने की धमकी दी है।
जानिए क्यों भेजा गया बिल राष्ट्रपति के पास?
अपराजिता विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजने पर राजभवन के मीडिया सेल की तरफ से कहा गया कि पश्चिम बंगाल सरकार से अनिवार्य तकनीकी रिपोर्ट प्राप्त होने पर राज्यपाल ने अपराजिता विधेयक को भारत के राष्ट्रपति के विचारार्थ भेजा है। साथ ही, राजभवन ने राज्य विधानसभा सचिवालय की तरफ से नियमों के तहत बहस का पाठ और उसका अनुवाद उपलब्ध कराने में विफलता पर अपनी कड़ी नाराजगी भी जताई। राज्यपाल ने जल्दबाजी में पारित विधेयक में चूक और कमियों की ओर इशारा किया और कहा कि जल्दबाजी में जवाब देने के बजाय सरकार इस पर अपना होमवर्क करे।
ममता सरकार ने दी राज्यपाल को धमकी
सरकार को चेतावनी देते हुए राज्यपाल ने कहा कि सरकार 'जल्दबाजी में काम न करें। लोग विधेयक के लागू होने तक इंतजार नहीं कर सकते। वे न्याय चाहते हैं और उन्हें मौजूदा कानून के दायरे में न्याय मिलना चाहिए। सरकार को प्रभावी तरीके से काम करना चाहिए, लोगों को न्याय मिलना चाहिए। उधर, बिल को राष्ट्रपति के के पास भेजने पर ममता सरकार ने राज्यपाल सी. वी आनंद बोस को धमकी दी है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल की तरफ से विधेयक को मंजूरी न दिए जाने पर राजभवन के बाहर धरना देने की धमकी दी थी।
मुख्य सचिव ने राज्यपाल से की मुलाकात
राजभवन मीडिया सेल के पोस्ट के अनुसार, आज मुख्य सचिव ने दिन में राज्यपाल से मुलाकात की। दोपहर में सरकार की तरफ से अनिवार्य तकनीकी रिपोर्ट राज्यपाल को उपलब्ध कराई गई। राज्यपाल ने विधेयक को भारत के राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रख लिया है।
टीएमसी नेता कहा, बिल देरी करनी की रणनीति
इस मामले में टीएमसी नेता कुणाल घोष ने कहा कि राज्यपाल को अपराजिता बिल को तुरंत पास कर देना चाहिए था, क्योंकि यह महिलाओं की सुरक्षा और महिलाओं के खिलाफ अपराध के खिलाफ सबसे सख्त कदम उठाने के लिए एक आदर्श बिल है। लेकिन वह देरी करने की रणनीति अपना रहे हैं।
जानिए क्या है बिल
बता दें कि तीन सितंबर को ममता बनर्जी सरकार की तरफ से विधानसभा में पेश दुष्कर्म रोधी विधेयक सर्वसम्मति से पारित किया गया था। इस बिल का नाम अपराजिता विधेयक रखा गया। इस बिल में पीड़िता की मौते होने या फिर उसके 'कोमा' जैसी स्थिति में जाने पर आरोपियों के खिलाफ मौत की सजा के प्रावधान हैं। इस बिल का मकसद दुष्कर्म और यौन अपराधों से संबंधित नए प्रावधानों को लागू करना और प्रदेश में महिलाओं और बच्चों के बढ़ते अपराध को रोकना है।