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Abdul Kalam Death Anniversary: किसी को हराने से ज्यादा मुस्किल किसी को जीतना है, जानिए अब्दुल कलाम का महान व्यक्तित्व

APJ Abdul Kalam Death Anniversary: 27 जुलाई, 2015 को देश के 11वें राष्ट्रपति महान वैज्ञानिक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम नें इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।

Vertika Sonakia
Published on: 27 July 2023 2:47 AM GMT
Abdul Kalam Death Anniversary: किसी को हराने से ज्यादा मुस्किल किसी को जीतना है, जानिए अब्दुल कलाम का महान व्यक्तित्व
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APJ Abdul Kalam Death Anniversary (Photo: Social Media)

APJ Abdul Kalam Death Anniversary: 27 जुलाई, 2015 को देश के 11वें राष्ट्रपति महान वैज्ञानिक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम नें इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। कलाम जी का निधन मेघालय राज्य के शिलोंग मेँ हुआ था जब वह आईआईएम का लेक्चर ले रहे थे। इस दिन लोग ए. पी. जे. अब्दुल कलाम को उनके योगदान को याद करते हैं और उनके जीवन और कार्यों को सम्मान करते हैं।

एपीजे अब्दुल कलाम का प्रारंभिक जीवन (APJ Abdul Kalam Jivan Parichay)

उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम नामक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम जैनुलाबदीन था और माँ का नाम आशिया बी था। उनके पिता एक नाविक थे और माँ एक घरेलू महिला। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति मध्यम थी। छोटे होने के बाद, अब्दुल कलाम ने पढ़ाई की शुरुआत रामेश्वरम के गांव में स्थानीय पाठशाला में की। बाद में उन्होंने त्रिपलीचरी पब्लिक स्कूल, रामनाथपुरम के एक सरकारी स्कूल में अध्ययन किया। एक महत्वपूर्ण घटना उनके जीवन में उनके पढ़ाई के दौरान हुई थी जब एक दिन उनके गुरुकुल में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (National Defence Academy - NDA) के एक वायुसैनिक ऑफिसर ने एक दिवस प्रेरित किया कि उन्हें नाविक बनने का सपना देखना चाहिए। इस प्रेरणा से उन्होंने एयरक्राफ्ट इंजीनियर बनने का संकल्प बनाया और आगे बढ़ने का निर्णय किया। उनके उच्चतर माध्यमिक पूरा होने के बाद, वे एम.एस्सी. और डॉक्टरेट (Ph.D.) के लिए भारतीय इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मद्रास (IIT Madras) में एयरक्राफ्ट इंजीनियरिंग में अध्ययन करने चले गए।

राष्ट्रपति के रूप मेँ केवल दो बार ली थी छुट्टी

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने भारत के राष्ट्रपति के रूप में भारतीय राजनीति के इतिहास में कार्यकाल बिताया। उन्हें 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में चुना गया था। जहां बात उनकी छुट्टियों की है, तो यह सच है कि वे राष्ट्रपति बने हुए समय में अपनी छुट्टियों को बहुत कम लेते थे। अब्दुल कलाम को अपने काम में उत्साह और समर्पण के कारण जाना जाता था। राष्ट्रपति के कार्यकाल मेँ उन्होंनें कैवाल दो बार छुट्टी ली थी। पहली जब उनके पिता की मृत्यु हुई थी और दूसरी जब उनकी माता की मृत्यु हुई थी।

कर्मचारी के बच्चों को खुद घुमाया

डीआरडीओ मेँ कार्य करने के समय उनके एक कर्मचारी नें बच्चों को प्रदर्शनी दिखाने के लिए जल्दी छुट्टी मांगी लेकिन ज़रूरी काम की वजह से वह जल्दी माहि जा पाया। रात मेँ देर मेँ घर पहुंचने पर बच्चें न दिखने पर पता चला की कलाम जी उन्हें शाम को खुद घुमाने ले गए।

किसी से नहीं लेते थे कोई तोहफा

डॉ कलाम एक बहुत साधारण व्यक्ति थे।तोहफ़े लेना उन्हें नहीं पसंद था।वह इतने सीधे थे की दूसरों का आशीर्वाद और ख़ुशी ही उन्हें जीवन का सबसे बड़ा तोहफा था।

स्पेशल कुर्सी पर बैठने से किया था इंकार

एक बार आईआईटी बीएचयू मेँ गेस्ट के तौर पर आमंत्रित किये जाने पर जब वह पहुंचे तो देखा की उन्हें अलग से अच्छी और ऊंची कुर्सी पर बैठाया जा रहा हैं तो उन्होंने इंकार कर दिया और सभी मेहमानों के साथ एक जैसी कुर्सी पर ही बैठे।

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