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11 पॉइंट्स में जानिए क्या कहता है भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370

जम्मू और कश्मीर का भारत में विलय करना ज़्यादा बड़ी ज़रूरत थी और इस काम को अंजाम देने के लिये धारा 370 के तहत कुछ विशेष अधिकार कश्मीर की जनता को उस समय दिये गये थे। ये विशेष अधिकार निचले अनुभाग में दिये जा रहे हैं।

Manali Rastogi
Published on: 3 Aug 2019 5:24 AM GMT
11 पॉइंट्स में जानिए क्या कहता है भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370
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11 पॉइंट्स में जानिए क्या कहता है भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर पर सियासत तेज हो गई है। अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए को लेकर देश दो गुटों में बंट गया है। एक ओर जहां बीजेपी अनुच्छेद 370 हटाना चाहती है तो वहीं विपक्ष इसके समर्थन में है। विपक्ष का कहना है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटना नहीं चाहिए। ऐसे में गृह मंत्री अमित शाह का बयान आया है।

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शाह का कहना है कि भारतीय संविधान में अनुच्छेद 370 अस्थायी है। शाह ने ये बात संसद में कही, जिसके बाद उन्हे संसद में मिली-जुली प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ा। ऐसे में आज हम 11 पॉइंट्स के जरिये जानेंगे कि आखिर अनुच्छेद 370 है क्या।

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  1. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 एक ऐसा लेख है जो जम्मू और कश्मीर राज्य को स्वायत्तता का दर्जा देता है।
  2. संविधान के भाग XXI में लेख का मसौदा तैयार किया गया है: अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान।
  3. जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा को, इसकी स्थापना के बाद, भारतीय संविधान के उन लेखों की सिफारिश करने का अधिकार दिया गया था जिन्हें राज्य में लागू किया जाना चाहिए या अनुच्छेद 370 को पूरी तरह से निरस्त करना चाहिए।
  4. बाद में जम्मू-कश्मीर संविधान सभा ने राज्य के संविधान का निर्माण किया और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की सिफारिश किए बिना खुद को भंग कर दिया, इस लेख को भारतीय संविधान की एक स्थायी विशेषता माना गया।
  5. धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिये।
  6. इसी विशेष दर्ज़े के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती।
  7. इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं है।
  8. 1976 का शहरी भूमि क़ानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता।
  9. इसके तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि ख़रीदने का अधिकार है। यानी भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में ज़मीन नहीं ख़रीद सकते।
  10. भारतीय संविधान की धारा 360 जिसके अन्तर्गत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती।
  11. जम्मू और कश्मीर का भारत में विलय करना ज़्यादा बड़ी ज़रूरत थी और इस काम को अंजाम देने के लिये धारा 370 के तहत कुछ विशेष अधिकार कश्मीर की जनता को उस समय दिये गये थे। ये विशेष अधिकार निचले अनुभाग में दिये जा रहे हैं।

Manali Rastogi

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