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Article 370 Abrogation: हटने का दिखा बड़ा असर, जानें मोदी सरकार के फैसले से जम्मू-कश्मीर में क्या हुए बदलाव

Article 370 Abrogation: मोदी सरकार ने करीब तीन साल पहले जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 (Article 370) को खत्म करने का बड़ा फैसला लिया था। इस बड़े फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर में कई बदलाव दिख रहे हैं।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 3 Aug 2022 2:05 PM GMT
Article 370 Abrogation: हटने का दिखा बड़ा असर, जानें मोदी सरकार के फैसले से जम्मू-कश्मीर में क्या हुए बदलाव
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Article 370 Abrogation: मोदी सरकार (Modi government) ने करीब तीन साल पहले जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में आर्टिकल 370 (Article 370) को खत्म करने का बड़ा फैसला लिया था। 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) अपने पहले कार्यकाल के दौरान तो इस दिशा में कदम नहीं उठा सके थे मगर अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान उन्होंने यह बड़ा कदम उठाकर सबको हैरान कर दिया था। वैसे भाजपा की ओर से लंबे समय से यह मांग उठाई जा रही थी।

मोदी सरकार की ओर से लिए गए इस बड़े फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर में कई बदलाव दिख रहे हैं। हालांकि अभी तक प्रदेश में नई विधानसभा का गठन नहीं हो सका है। नए सिरे से परिसीमन किए जाने के कारण विधानसभा के गठन में विलंब हुआ है। वैसे केंद्र सरकार (Central government) की ओर से कहा गया है कि जल्दी ही राज्य में चुनाव कराकर नई विधानसभा के गठन की दिशा में कदम उठाए जाएंगे। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आर्टिकल 370 को खत्म किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर का क्या माहौल है और वहां की फिजां में क्या बदलाव महसूस किए जा रहे हैं।

पत्थरबाजों की आई शामत

जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं में काफी कमी आ गई है। पहले घाटी में छोटी-मोटी बातों को लेकर भी पत्थरबाजी की घटनाएं होती थीं और सेना के जवानों और पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया जाता था। शुक्रवार को जुम्मे के दिन में प्राय: ऐसी घटनाएं हुआ करती थीं। अब जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से इन घटनाओं में शामिल होने वाले तत्वों के खिलाफ शिकंजा कस दिया गया है। पत्थरबाजी और दूसरी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने वाले लोगों को पासपोर्ट जारी करने पर भी रोक लगाई जा चुकी है। सरकारी नियुक्तियों में भी ऐसे तत्वों को सुरक्षा एजेंसियों ने हरी झंडी देने से मना कर दिया है। इस कारण जम्मू-कश्मीर के युवाओं को बहका कर पत्थरबाजी की घटना को अंजाम देने वालों की कोशिशें विफल होती दिख रही हैं।

पत्थरबाजों की आई शामत: Photo- Social Media

आतंकियों पर कसा शिकंजा

जम्मू-कश्मीर में एक बड़ा बदलाव यह भी दिखा है कि आतंकवाद की घटनाओं में काफी कमी (Reduction in incidents of terrorism) आई है। पिछले 3 वर्षों के दौरान सुरक्षा एजेंसियों ने सैकड़ों आतंकियों को मार गिराया और उनके ठिकाने नेस्तनाबूत कर दिए। अब आतंकियों के शव उनके परिजनों को सौंपे जाने का सिलसिला भी खत्म कर दिया गया है। कई आतंकी संगठनों के कमांडरों को मार गिराए जाने से आतंकी संगठनों में नेतृत्व का संकट भी पैदा हो गया है। आतंकियों को सीमा पार से पैसा और हथियार मिलने पर भी काफी हद तक रोक लगाई जा चुकी है।

अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने से पहले घाटी में चरमपंथी और आतंकी गुट पूरी तरह हावी थे मगर अब माहौल बदल रहा है। आतंकी संगठनों के आकाओं को पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर में दखल देने का मौका नहीं मिल रहा है। अलगाववादी गुट की गतिविधियां भी पूरी तरह ठप पड़ गई हैं। यही कारण है कि निराश आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर में टारगेट किलिंग की घटनाओं को अंजाम देना शुरू किया है मगर सुरक्षा एजेंसियां अब इसके खिलाफ भी कड़े कदम उठा रही हैं।

निवेश करने वालों की बढ़ी दिलचस्पी

अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद शुरुआती दौर में व्यापारियों और उद्योग-धंधा चलाने वाले लोगों ने कुछ समय के लिए बंद का आह्वान किया था और इसका व्यापारिक गतिविधियों पर काफी असर पड़ा था। वक्त के साथ अब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं और व्यापारिक गतिविधियां भी तेज हो रही हैं।

राज्य में डोमेसाइल के नियम लागू करने के कारण रोजगार और व्यापार के अवसरों में बढ़ोतरी हुई है। राज्य के बाहर के लोग भी अब घाटी में निवेश करने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इसका काफी बड़ा असर दिखेगा।

राजनीतिक गतिविधियां बढ़ाने के प्रयास

राज्य में राजनीतिक गतिविधियां बढ़ाने की दिशा में भी मजबूती से प्रयास किया जा रहा है। परिसीमन की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिए जाने के बाद राज्य में विधानसभा चुनाव की उम्मीद जताई जा रही है। केंद्र सरकार की ओर से भी स्पष्ट किया जा चुका है कि वह राज्य में नई विधानसभा के गठन के प्रति काफी गंभीर है।

राज्य के विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं की राय जानने के लिए प्रधानमंत्री सर्वदलीय बैठक का आयोजन भी कर चुके हैं। हालांकि इस बैठक के दौरान कुछ क्षेत्रीय दलों के नेताओं ने अनुच्छेद 370 और 35ए की बहाली का मुद्दा भी उठाया। मोदी सरकार की ओर से इस बाबत अपना रुख पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है। माना जा रहा है कि सरकार जल्द ही राज्य में नए चुनाव की दिशा में भी मजबूत कदम उठाएगी।


जम्मू-कश्मीर में भूमि खरीदने की अनुमति: Photo- Social Media

घाटी में जमीन खरीदने का मिला मौका

केंद्र सरकार की ओर से और घाटी के बाहर के लोगों को भी कश्मीर में गैर कृषि योग्य भूमि खरीदने की अनुमति (permission to buy land) दी जा चुकी है। पहले सिर्फ जम्मू कश्मीर के लोगों को ही ऐसा करने की अनुमति थी। अब जम्मू-कश्मीर का दरवाजा प्रदेश के बाहर के लोगों के लिए भी खोल दिया गया है।

दूसरे राज्यों के ऐसे पुरुषों को वहां का स्थायी निवासी बनाने की व्यवस्था की गई है जिन्होंने जम्मू-कश्मीर की लड़की से शादी की हो। पहले महिला के पति और और उसके बच्चों को जम्मू-कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं माना जाता था मगर अब व्यवस्था पूरी तरह बदल चुकी है।

जम्मू-कश्मीर की इमारतों पर अपना प्यारा तिरंगा

मौजूदा समय में देश आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है और घर-घर तिरंगा अभियान जोर-शोर से चलाया जा रहा है। अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद जम्मू कश्मीर की सरकारी इमारतों पर भी अपना प्यारा तिरंगा आन-बान और शान के साथ लहराता दिख रहा है।

अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के 20 दिन बाद ही श्रीनगर स्थित सचिवालय से जम्मू कश्मीर का झंडा हटाकर तिरंगा फहराया गया था। अब घाटी के सभी सरकारी कार्यालयों और संवैधानिक संस्थाओं पर भी राष्ट्रीय ध्वज फहराया जा रहा है। यह अजीब विडंबना है कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी जम्मू कश्मीर में तिरंगा नहीं दिखता था मगर अब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं।

Shashi kant gautam

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