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केशव मौर्य के बोल पर 'महाभारत', अब तो नाराज हो गए नीतीश भी
शिशिर कुमार सिन्हा
पटना: बिहार बीजेपी पिछले चार महीने से नीतीश पर सीधे-सीधे हमला नहीं कर रही थी। पार्टी के निशाने पर सिर्फ राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और उनका परिवार था। बीजेपी कोटे से पूर्ववर्ती राजग सरकार में नीतीश के साथ उप मुख्यमंत्री रहे सुशील मोदी ( सुमो) ने यह मोर्चा संभाल रखा था। सुमो लगातार लालू पर हमला कर रहे हैं। लगभग हर हफ्ते नया खुलासा करते हुए वह लालू परिवार को ‘दान’ में मिली जमीन को लेकर उन्हें घेर रहे हैं, लेकिन इस बीच जुबानी जंग अचानक बीजेपी-नीतीश के बीच शुरू हो गई है।
11 जून को बिहार में यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के एक बयान के बाद यह महाभारत शुरू हो गया। इस महाभारत की सबसे खास बात यह थी कि अब तक महागठबंधन की एकता को लेकर सशंकित लालू अचानक फीलगुड करने लगे हैं। क्योंकि बीजेपी और नीतीश एक-दूसरे पर काफी समय बाद हमलावर हुए हैं।
नीतीश थे नरम, मौर्य की बात से हुए गरम
बिहार की राजनीति का सारा सीन 11 जून को राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के जन्मदिन पर एक झटके में बदलता नजर आया, जब एक तरफ नीतीश कुमार सीधे-सीधे पीएम नरेंद्र मोदी का नाम लिए बगैर अपनी बात कह रहे थे। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के मंच से केशव प्रसाद मौर्य ने नीतीश को ही टारगेट पर रखा। बीजेपी जेपी जयंती पर दीघा-पहलेजा पुल का शुभारंभ कराना चाहती थी, लेकिन एक तरह से राजद की जिद के आगे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मान गए और लालू के जन्मदिन 11 जून को इसका शुभारंभ किया। दीघा-पहलेजा के बीच गंगा नदी पर बने जयप्रकाश सेतु के उद्घाटन पर नीतीश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (नमो) को लेकर नरम थे। उन्होंने केंद्र सरकार के बारे में कहा कि वह बिहार से किए वायदों को पूरा करे, स्पेशल पैकेज दे, विशेष राज्य का दर्जा दे, लेकिन एक बार भी नमो का नाम नहीं लिया।
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'कुछ का साथ, कुछ का विकास'
दूसरी तरफ केंद्र सरकार के तीन साल पूरे होने पर पटना के सबसे बड़े ऑडिटोरियम श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित कार्यक्रम 'सबका साथ-सबका विकास' को संबोधित करते हुए यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सीधे-सीधे नीतीश कुमार पर हमला बोल दिया। मौर्य ने कहा कि 'नीतीश को खुद पर भरोसा है तो चुनाव कराएं। अगर वह चुनाव कराते हैं तो निश्चित तौर पर यूपी की तरह बिहार में भी कमल खिल जाएगा।' मौर्य यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा, कि 'नीतीश को सत्ता मोह हो गया है। वह लालू प्रसाद जैसे भष्ट राजनेता से साझेदारी कर सत्ता चला रहे हैं। नीतीश ने कुछ का साथ और कुछ का विकास की राह पकड़ी है, जिसके कारण महागठबंधन के अच्छे-ईमानदार नेता छटपटा रहे हैं।'
लालू तो पहले हुए खुश, अब खिल उठे
लालू प्रसाद पिछले चार महीने से महागठबंधन के टूटने की आशंका और नीतीश के हाथ से निकलने की उठती चर्चाओं से परेशान थे, लेकिन जन्मदिन पर उन्हें पहले खुशी मिली और फिर खिलने का कारण सामने आ गया। लालू के जन्मदिन पर पुल के शुभारंभ को लेकर खूब राजनीति हो रही थी। इतनी राजनीति कि बेटे तेजस्वी यादव को खुलकर कहना पड़ा कि 'वह अगर अपने पिता को गिफ्ट ही करना चाह रहे तो परेशानी क्या है?' दूसरी तरफ सरकार ने रास्ता निकाला और मुख्यमंत्री ने अपने भाषण की शुरुआत ही इस विवाद को खत्म करते हुए की, कि 11 जून को पुल निर्माण निगम के 24वें स्थापना दिवस पर वह बिहारवासियों को यह सौगात देने आए हैं। इस तरह लालू परिवार की जिद भी रह गई और तारीख को चल रहा बवाल भी खत्म हो गया। राजनीतिक महकमे में इसे लालू की खुशी का एक बड़ा कारण माना गया और इसका इजहार लालू ने इसी मंच से किया।
पहले जदयू, फिर नीतीश भी मैदान में
लालू ने कहा, कि 'सब भले कहें कि नीतीश गठबंधन से अलग होने वाले हैं लेकिन वह एक दांव से सभी को चुप करा देते हैं।' जेपी सेतु के साथ आरा-छपरा के बीच वीर कुंवर भसह पुल के उद्घाटन के इस कार्यक्रम में नीतीश का मूड देखकर सहयोगी कांग्रेस ने भी महागठबंधन की मजबूती का शंखनाद किया। इधर, जैसे ही श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में केशव प्रसाद मौर्य के नीतीश कुमार पर किए जुबानी हमले की खबर फैली, लालू की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। नीतीश पर बीजेपी के हमलावर रुख के बाद जवाब मिलना भी तय था। जदयू तो बीजेपी के खिलाफ उतरी ही, नीतीश भी उतर आए। इस पूरे घटनाक्रम ने लालू प्रसाद को महागठबंधन की टूट के खतरे से काफी हद तक उबार दिया।
बीजेपी से जुबानी जंग तेज
पड़ोसी राज्य के भाजपाई उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बोल से खफा बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने 12 जून को लोक संवाद के रूटीन कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं से बातचीत में साफ-साफ कहा कि 'उन्हें बीजेपी की चुनौती स्वीकार है, लेकिन बिहार के मध्यावधि चुनाव के साथ यूपी विधानसभा का चुनाव भी कराया जाए और बिहार-यूपी के बीजेपी के सभी सांसदों को भी एक बार चुनाव मैदान में उतारा जाए।' जुबानी जंग यहीं नहीं थमी। अगले दिन बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय ने बाकायदा संवाददाता सम्मेलन कर कहा कि 'बिहार बीजेपी तैयार है, इस्तीफे की शुरुआत हम करेंगे और यहां के सभी सांसद भी इस्तीफा देकर मैदान में उतर जाएंगे। लेकिन नीतीश विधानसभा भंग करने की अनुशंसा तो करें।'
नित्यानंद ने कहा कि 'नीतीश कुमार यूपी की योगी सरकार से अपनी तुलना नहीं करें। वहां अभी चुनाव हुआ ही है और 100 दिनों के अंदर सरकारी प्रभाव दिखने लगा है। जबकि बिहार में नीतीश सरकार हर मोर्चे पर फेल साबित हुई है। नीतीश-लालू राज में अपराध चरम पर है, विकास ठप है और शिक्षा को लेकर हर तरफ फजीहत हो रही है।'
उभर उठे महागठबंधन में फिर एकता के स्वर
बीजेपी का हमलावर रुख जैसे ही लालू की जगह नीतीश की ओर आया, महागठबंधन के तीनों मुख्य दल राजद, जदयू और कांग्रेस में एकता के स्वर उभर आए। लालू पर हमला हो रहा था तो जदयू कुछ खास नहीं बोल रहा था, लेकिन जैसे ही नीतीश पर जुबानी हमला हुआ तो महागठबंधन में शामिल दलों ने भाजपा को घेरना शुरू कर दिया। अरसे से चुप्पी लगाए बैठे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व कांग्रेसी नेता सदानंद भसह तक निकले और बीजेपी की राजनीति को घटिया बताते हुए महागठबंधन की एकता को अटूट बताया। जदयू ने भी अब तक चुप बैठाए प्रवक्ताओं को एक बार फिर से बोलने की आजादी दे दी तो बिहार बीजेपी से नरेंद्र मोदी तक पर जुबानी हमला शुरू हो गया।