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कांग्रेस की शक्ल-सूरत बदलने के लिए भारी भरकम एजेंडा है राहुल गांधी के सामने, जानें क्या?
उमाकांत लखेड़ा
नई दिल्ली, ब्यूरो: यूपी विधानसभा चुनाव में बुरी हार के बाद राहुल गांधी अब क्या करेंगे। तीन बरस पहले लोकसभा चुनावों में हार के कारणों का पोस्टमॉर्टम किए बिना 2017 का कमजोर 'एक्शन प्लान' बनाने की पूरी की पूरी व्यूह रचना क्यों और कैसे ध्वस्त हुई? राहुल गांधी कांग्रेस को पुनर्जिवित करने के लिए कोई एक्शन प्लान बनाने में और कितना वक्त लगाएंगे?
दो दिन पहले संक्षिप्त विदेश यात्रा से भारत लौटे राहुल गांधी इन सारे सवालों से चौतरफा जूझ रहे हैं। टीम राहुल के सूत्रों का कहना है, कि विदेश यात्रा से लौटने के बाद राहुल गांधी पार्टी में नई जान फूंकने के उपायों पर व्यापक रूपरेखा तैयार करने में जुटे हैं।
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..जुटें तैयारी में, नहीं तो आएंगे और बुरे दिन
कांग्रेस पार्टी यूपी और उत्तराखंड की बुरी पराजय से बेहद विचलित है। नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा हुआ है। अगले लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए अब डेढ़ बरस का वक्त ही शेष बचा है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेता मानते हैं कि राहुल गांधी को दो बरस बाद की इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए अभी से कमर कसनी होगी, वर्ना कांग्रेस को और भी बुरे दिन देखने पड़ सकते हैं।
कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक खिसका
पार्टी के पुराने नेताओं ने निजी बातचीत में माना कि पिछले तीन चार साल से संगठन और राज्यों में पार्टी के ढांचे को मजबूत बनाने की दिशा में कोई काम नहीं हुआ। पार्टी में यह मानने वालों की कमी नहीं है जो खुलकर कहते हैं कि यूपी विधानसभा चुनावों में सिंगल डिजिट में आने की सबसे बड़ी वजह परंपरागत वोट बैंक का खो जाना है। पार्टी को उसे वापस अपने पाले में लाना बदले हालात में और भी मुश्किल काम हो गया है।
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राहुल को संभालना होगा अध्यक्ष पद
हालांकि, राहुल गांधी के वफादार और एक दशक से उनके साथ काम कर रहे एक युवा नेता का कहना है कि 'पार्टी संगठन के मामलों में अभी तक राहुल गांधी को फ्री हैंड नहीं मिलना भी कांग्रेस की दिशाहीनता का सबसे बड़ा कारण है।' एक अन्य नेता का कहना है कि 'कांग्रेस को पुनर्जिवित करने के लिए राहुल गांधी को सबसे पहले पार्टी अध्यक्ष का पद संभालना होगा, ताकि बिना किसी आंतरिक दबाव के कांग्रेस को देशभर में अपने पैरों पर खड़ा करने के बारे में वो जोखिम उठा सकें।'
यूपी में शीला का चेहरा भी नुकसान की वजह
राहुल गांधी के काम करने के तौर तरीकों को लेकर पार्टी में एक बड़ा वर्ग सवाल उठा रहा है। ऐसे नेताओं का कहना है कि 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद भी उनसे कई ऐसे गलत फैसले हुए हैं जिनसे पार्टी की फजीहत हुई है। कांग्रेस में कई लोग मानते हैं कि यूपी चुनावों की तैयारियां में बहुत देर हुई। शीला दीक्षित को यूपी का सीएम प्रोजेक्ट करने से कांग्रेस को यूपी में सबसे ज्यादा नुकसान मानने वाले कांग्रेस नेताओं की लंबी सूची है।
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सपा से गठबंधन ने बाकी कसर पूरी की
यूपी में पार्टी के साथ चार दशकों से जुड़े एक पूर्व वरिष्ठ पदाधिकारी का मानना है कि 'बिना ग्रासरूट पर कांग्रेस का ढांचा खड़ा किए ही एक उम्रदराज महिला को सीएम बनाकर पेश करना और कुछ सप्ताह में ही यूपी में अराजकता, जातिवाद औए अपराधिकरण की राजनीति करने वाली जमात के साथ हाथ मिलाकर कांग्रेस ने पार्टी को जनता व प्रबुद्ध वर्ग में हंसी-मजाक का पात्र बना दिया। कांग्रेस में कई असरदार पदों व यूपी की रग-रग से वाकिफ नेताओं की अनदेखी भी राहुल को भारी पड़ी है।'
अब जल्द बनाएं एक्शन प्लान
कांग्रेस में राहुल गांधी की कार्यशैली पर सवाल उठाने वाले नेता इस बात को भी शिद्दत से महसूस करते हैं कि गांधी-नेहरू परिवार से बाहर के नेता को सामने रखकर कांग्रेस को दोबारा जिंदा करने की कोई संभावनाएं नहीं है। जो नेता राहुल गांधी से अप्रसन्न बताए जाते हैं, वे इस सच्चाई को भी स्वीकार करते हैं कि राहुल के नेतृत्व में ही कांग्रेस आगे बढ़ सकती है। ऐसी सूरत में अब राहुल को पार्टी का एक्शन प्लान जितना जल्दी हो घोषित करना चाहिए।