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आजादी के बाद पहली बार मुस्कुराए गरीब, कालाधन रखने वालों की उड़ी नींद
Vinod Kapoor
लखनऊ: अर्थशास्त्र की हल्की सी भी समझ रखने वालों को इस बात का अंदेशा था कि भ्रष्टाचार और कालाधन को लेकर कोई बड़ा फैसला होगा। केंद्र सरकार ने इसकी शुरुआत बहुत पहले कर दी थी। बड़ी सफाई से पूरे देश में 20 करोड़ के आसपास जन धन खाते खोले गए।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून लागू करने की जल्दबाजी दिखाई और अंत में डिसक्लोजर स्कीम लेकर आए। इसकी अंतिम तिथि 30 सितंबर रखी गई। अंतिम तारीख के नजदीक आते-आते पीएम नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बार-बार चेतावनी दी, कि जिनके पास कालाधन है वो निकाल दें, नहीं तो सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी।
आई डिसक्लोजर स्कीम
ऐसा नहीं है कि डिसक्लोजर स्कीम पहली बार आई। संभवत: हर साल ये आती है। लेकिन कालाधन वालों पर इसका कोई असर नहीं होता था। जैसा कि होता आया है, इस बार भी कोई असर नहीं हुआ। सरकार के खाते में 65 से 70 हजार करोड़ रुपए आए लेकिन ये काफी नहीं था। हां लेकिन नोट बंदी का फैसला इतनी जल्दी होगा ये किसी ने नहीं सोचा था ।
18 वस्तुओं को रखा टैक्स के दायरे से बाहर
केंद्र सरकार ने जीएसटी लागू कर भ्रष्टाचार पर रोक की पहल की। सरकार ने 18 वस्तुओं को अलग-अलग टैक्स के दायरे से बाहर कर दिया। इन चीजों पर मैन्यूफैक्चरिंग में ही टैक्स लगा दिया गया। ताकि टैक्स चुराने और उसे बचाने के लिए रिश्वत न देनी पडी और न लेनी पड़े। जाहिर है, जो टैक्स बचाने के लिए रिश्वत दे रहा है वो उससे ज्यादा कालाधन जमा करेगा।
कभी प्रणब दा ने टेके थे घुटने
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि यदि देश से भ्रष्टाचार खत्म करना है तो हर दस साल में नोट बदल दो। बाबा साहब ने जब ये बातें कही थी उस वक्त 100 रुपए से ज्यादा बडे नोट प्रचलन में नहीं थे। अब प्रेसिडेंट और तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बडी हिम्मत दिखाते हुए बडे नोटों पर हमला करने का प्रयास किया था लेकिन उनकी ही सरकार के लोगों ने इसका जोरदार विरोध किया। यहां तक की उनकी जासूसी की जाने लगी थी। नतीजा ये हुआ कि उन्होंने बड़े नोटों पर हमला करने का इरादा छोड दिया।
..लेकिन पीएम मोदी ने दिखाई हिम्मत
लेकिन इस सबके बावजूद पीएम नरेंद्र मोदी ने हिम्मत दिखाई। ऐसा नहीं था कि जनता को परेशानी होगी, इसका अंदाजा केंद्र सरकार को नहीं था। लेकिन सरकार ये जानती थी कि इस देश के आम लोग कालाधन से हो रहे नुकसान से परेशान हैं। कागज के नोटों से ही सभी काम करने की आदि हो गई जनता को परेशानी हो रही है। उसे अपने ही पैसे निकालने के लिए बैंकों में लाईन लगानी पड रही है। लेकिन ये कुछ दिनों की परेशानी है। ये इस बात का सबूत है कि इतने बड़े देश में कहीं कोई बड़ी घटना नहीं हुई ।
राजनीतिक दलों को झटका
8 नवंबर की रात 8 बजे पीएम मोदी ने जब ये कहा कि 'आज रात 12 बजे से 500 और 1000 रुपए के नोट लीगल टेंडर नहीं रह जाएंगे।' पीएम की इस घोषणा से सभी लोग चौंक गए। राजनीतिक दलों को तो समझ में ही नहीं आया कि ये क्या हो गया। इसीलिए उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया देने में इतना समय लगा दिया।
केजरीवाल-राहुल ने भी किया जमकर कोसा
हर बात पर मोदी को कोसने वाले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने इस कार्रवाई के चार दिन बाद कहा कि 'बीजेपी ने पहले से अपना इंतजाम कर लेने के बाद ये किया।' नोट एक्सचेंज कराने लाईन में खडे लोगों की सहानुभूति लेने जब वो गए तो लोगों ने उन्हें झिड़क दिया। लोगों की परेशानी से रूबरू होने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी दो करोड की रैंज रोवर और चार एसपीजी गार्ड के साथ चार हजार रुपए एक्सचेंज कराने लाईन में लग गए। उनका कहना था कि 'पीएम जनता की परेशानी नहीं समझते।' एसपीजी से हमेशा घिरे रहने वाले राहुल का कहना था कि वो हमेशा गरीबों और जनता के साथ रहेंगे।
ममता बनर्जी लेफ्ट के साथ जाने को तैयार
बसपा प्रमुख मायावती ने इसे आर्थिक आपातकाल करार दिया। संभवत: उन्हें अपने जन्मदिन पर हजार रुपए के 35 किलो की माला याद आ गई होगी। वहीं सपा के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कहा कि केंद्र सरकार को ऐसा करने के पहले कम से कम एक सप्ताह का समय देना चाहिए था। तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी इतना बौखलाई कि कह दिया कि 'केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ यदि उन्हें लेफ्ट का सहयोग लेना पड़ा तो वो भी उन्हें स्वीकार होगा।'
नीतीश-पटनायक ने सराहा भी
दरअसल ये विरोध नहीं बल्कि नेताओं की बौखलाहट थी। सिर्फ जनता दल यू के अध्यक्ष और बिहार के सीएम नीतीश कुमार, बीजू जनता दल के अध्यक्ष और उड़ीसा के सीएम नवीन पटनायक ने केंद्र सरकार के इस फैसले को सराहा।
इस फैसले से नाराज लोग अब जनता को भी कोस रहे हैं कि इस देश के लोगों को तकलीफ सहने की आदत है। कुछ भी हो जाए जनता विरोध नहीं करती, सिर्फ सहन करती है। लेकिन ऐसा कहना इस देश की जनता का अपमान करना है।
मोदी ने दिए और कड़ी कार्रवाई के संकेत
पीएम मोदी ने रविवार को गोवा में कालाधन रखने वालों के खिलाफ और कडी कार्रवाई के संकेत दिए। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग ये ना समझें कि बस ये अंतिम था। उनके दिमाग में काला धन निकलवाने के लिए कई प्रोजेक्ट हैं। काला धन जिसने भी रखा है उससे कैसे निकलवाया जाय, वो अच्छी तरह से जानते हैंं। अपनी अगली कार्रवाई का संकेत देते हुए उन्होंने कह भी दिया कि बेनामी संपत्ति अब सरकारी होगी।
नोट बंदी का ये होगा असर
कालाधन अकसर रियल इस्टेट और सोने में जाता रहा है। रियल इस्टेल में अपना काला धन लगा चुके लोग अपने पैसे को सफेद करने के लिए उसे कम कीमत पर बेचेंगे, जिससे जमीन और फ्लैट की कीमतें कम होगी। सोने की कीमतों में भी कमी आएगी।
'आजादी के बाद पहली बार गरीब हंसा'
पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा, 'नोट बंदी से गरीबों को कुछ भी नहीं मिला है। ऐसा नहीं कि उसके पास पैसे आ गए लेकिन उसके चेहरे पर हंसी साफ देखी जा सकती है। इस देश के कुछ हजारों या लाख ऐसे लोग हैं जिन्हें नींद की गोली भी सही नींद नहीं दे पा रही है। ये सिलसिला आगे भी चलता रहेगा। वर्तमान सरकार ने दिखा दिया है कि उसकी नीयत में खोट नहीं है ओर वो देश के लिए कुछ करना चाहती है।'