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अरुण जेटली: जब पाक से आने पर किराये के मकान के लिए करनी पड़ी थीं मशक्कत
जब देश का बंटवारा हुआ तब उनकी दादी छह बेटों और दो बेटियों के साथ कुछ कपड़े और गहने लेकर दिल्ली आ गई थीं। जब ये लोग 1947 में दिल्ली आए थे तब जेटली के पिता की अभी शादी ही हुई थी।
लखनऊ: पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का 66 की उम्र में आज दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में निधन हो गया। जेटली करीब दो हफ्ते से दिल्ली के एम्स में भर्ती थे। वे लम्बे समय से बीमार चल रहे थे और आज दोपहर 12:07 पर आखिरी सांस लीं।
इसके बाद दुनिया को अलविदा कह दिया। न्यूजट्रैक.कॉम आज आपको अरुण जेटली और उनके परिवार से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहा है। जो शायद कम ही लोग जानते होंगे।
पंजाब से था खास लगाव
भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली को पंजाब से विशेष लगाव था। केंद्र की राजनीति में अपना अलग स्थान बनाने वाले जेटली का अमृतसर से तो अटूट या यूं कहें कि खून का रिश्ता था।
यहीं कारण है कि वह यहां से चुनाव लड़े और पराजय के बावजूद यहां से उनका खास लगाव कायम रहा।
दरअसल उनके परिवार को भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद यहीं आसरा मिला था। लाहौर से आने पर उनकी बुआ ने उनके पिता और पांचों भाइयों को अपने घर आश्रय दिया था।
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सिर्फ कुछ गहने और कपड़े लेकर भारत आया था परिवार
एबीवीपी से जुड़े रहे जेटली का परिवार देश विभाजन के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार मानता रहा है।
उनका परिवार देश बंटवारे के बाद पाकिस्तान से भागकर भारत आया था। जेटली अक्सर कहा करते थे कि उनका परिवार पार्टिशन फैमिली है। जेटली कहते थे कि उनके पिता ने बंटवारे का बहुत बड़ा दंश झेला है।
एक इंटरव्यू में जेटली ने बताया था कि उनका परिवार पाकिस्तान के लाहौर में रहता था। 1920 में दादा जी का निधन हो चुका था।
जब देश का बंटवारा हुआ तब उनकी दादी छह बेटों और दो बेटियों के साथ कुछ कपड़े और गहने लेकर दिल्ली आ गई थीं। जब ये लोग 1947 में दिल्ली आए थे तब जेटली के पिता की अभी शादी ही हुई थी।
किराए के मकान के लिए करनी पड़ी थी मशक्कत
बतौर जेटली जब उनका परिवार दिल्ली आया था तब उन्हें किराए पर कोई घर नहीं देता था। बाद में पुरानी दिल्ली की तंग गलियों में एक मुस्लिम परिवार जो पाकिस्तान चला गया था, उसका घर किराए पर मिला। जेटली के पिता महाराज किशन जेटली वकील थे।
जेटली ने बताया था कि उनके पिता को वकालत करने में भी काफी परेशानी आई थी। उन्हें रिफ्यूजी कहा जाता था।
आखिरकार 13 साल के बाद उनके पिता ने दिल्ली के नारायणा विहार में जमीन का एक टुकड़ा खरीदा और उस पर आशियाना बसाया था।
जेटली की दादी बच्चों की पढ़ाई को लेकर काफी सजग थीं। इसी वजह से जेटली और उनकी बड़ी बहन का दाखिला इंगलिश मीडियम कॉन्वेन्ट स्कूल में हुआ था। बाद में जेटली ने सेंट जेवियर्स स्कूल और फिर श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में पढ़ाई की।
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अमृतसर में थी जेटली की ननिहाल
पंजाबी होने के नाते जेटली का पंजाब की राजनीति में हमेशा दखल रहा। अमृतसर की सियासत उन्हीं से शुरू होती थी। उनसे ही आशीर्वाद लेकर अमृतसर के कई नेता फर्श से अर्श पर पहुंचे। विडंबना यह रही कि जेटली को सियासी हार का दर्द भी इसी धरती पर झेलना पड़ा।
विभाजन के समय फुल्ला वाला चौक में जेटली की बुआ रहती थीं। पाकिस्तान से विस्थापित होकर आया उनका परिवार सबसे पहले अमृतसर में बुआ के घर रुका था। जेटली का ननिहाल भी अमृतसर में ही है।
खूह सुनियारिया में उनके मामा मदन लाल वट्टा भी रहते थे। जेटली का जन्म तो दिल्ली में हुआ लेकिन अमृतसर से उनका लगाव हमेशा बना रहा। विशेषकर बुआ जी के पौत्र नरेंद्र शर्मा आज भी उनके बहुत करीब हैं।
पारिवारिक समारोह में उनका हमेशा ही आना जाना रहा। यह अलग बात रही कि राजनीति में ननिहाल परिवार से कोई भी आगे नहीं आया। जेटली की पत्नी का ननिहाल भी अमृतसर की नमक मंडी में है। इस नाते भी उनका जुड़ाव अमृतसर के साथ रहा।
अब यहां रहता है जेटली का परिवार
जेटली परिवार के बेहद नजदीकी अनूप त्रिखा बिट्टा ने बताया कि अरुण जेटली के ननिहाल अमृतसर में था। चौक फुल्ला वाला में उनकी बुआजी का घर था।
विभाजन के दौरान अरुण जेटली के पिता अपने पांच भाइयों के साथ लाहौर से अमृतसर आए थे और फुल्लां वाला चौक स्थित अपनी बहन के घर रुके थे।
अरुण जेटली जब भी अमृतसर आते अपनी बुआजी के घर जरूर जाते। उनके मामा जी मदन लाल वट्टा खूह सुनियारिया में रहते रहे है और अब उनके बच्चे वहां रहते हैं।
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