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महंगाई पर चर्चा का अरुण जेटली ने दिया जवाब, बोले- सीजनल है महंगाई

Newstrack
Published on: 28 July 2016 11:17 AM GMT
महंगाई पर चर्चा का अरुण जेटली ने दिया जवाब, बोले- सीजनल है महंगाई
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नई दिल्ली: लोकसभा में शुक्रवार को नियम 193 के तहत महंगाई पर चर्चा हुआ। राहुल गांधी सहित कई सदस्यों ने इसमें हिस्सा लिया। चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष की चिंता दूर करने की कोशिश की। उन्होंने महंगाई को सीजनल बताते हुए सरकार का बचाव किया और भरोसा दिलाया कि जल्द ही कीमतें कम होंगी।

जेटली ने और क्या कहा...

राहुल गांधी के भाषण पर निशाना साधते हुए जेटली ने कहा- जिक्र आया कि 14 फरवरी को 14 को मोदी जी ने भाषण दिया था। वो दो-तीन वर्ष थे देश में बढ़ती महंगाई की क्या स्थिति थी और आज क्या है। ये विषय आंकड़ों का है नारों का नहीं। कोई भी आंकड़ें ले लिए जाएं तो यूपीए राज से बेहतर स्थिति है। 12-13 में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स दोहरे अंक में थी। फूड प्राइस इंडेक्स 12 प्रसेंट था। यूपीए गई तो देश में महंगाई छोड़कर गई। होल से प्राइस इंडेक्स भी बहुत थी। 18 महीने लगातार महंगाई में कमी आई। मई में यह 0.8 प्रसेंट था।

ये सच्चाई है कि कुछ खाद्य कीमतों में वृद्धि हुई है । ये बरसात का महीना है। इसमें एक सीजनल राइज का है। फसल आती है तो दाम गिरता है। जिक्र किया गया चीनी का। जब हम सरकार में आए तो हमारी सबसे बड़ी समस्या थी किसान को लागत ना मिलना। चीनी का दाम 22-23 रुपए महीनों तक था। किसान को रकम नहीं मिलने से मिलें बंद होने लगी। पासवान जी का विभाग एक के बाद एक योजनाएं ला रहा था। दाम 40 रुपए से अधिक जाने लगा तो वापस 33-34 रुपए पर लाया गया ताकि उपभोक्ता को भी नुकसान ना हो।

मैंने प्याज का जिक्र सुना। तीन-चार महीने पहले स्थिति थी कि किसान को प्याज का दाम कैसे मिलेगा। प्याज का दाम माइनस में था। लोग सड़कों पर फेंक रहे थे।

दाल पर तर्क

टमाटर तीन महीने तक माइनस में रहा। मानसून में बढ़ा। व्यापक चिंता दालों की है। दाम डिमांड और सप्लाई पर डिपेंट करता है। दाल दुनिया में सबसे ज्यादा दाल भारत में उत्पादन होता है। खपत और आयात भी सबसे ज्यादा है। आप दाल की एमएसपी बढ़ा देंगे और उत्पादन ना बढ़े तो ऐसा होगा। 23 मिलियन टन दाल की आज आवश्यकता है। पैदावार करीब 17 मिलियन टन है। 6 हजार टन दुनिया से खरीदते हैं। दो साल में दुनिया के बाजार में भी उपलब्धता कम थी। बहुत से व्यापारियों ने जमाखोरी की। सरकार ने कार्रवाई की तो दाम में कमी भी आई। हम उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। पैदावार बाजार में आएगी तो दाम कम होगा। हम बफर स्टॉक को 20 लाख टन तक ले जाएंगे।

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