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लॉकडाउन में रोज भूखों को खिलाता था खाना, तीन महीने बाद कोरोना ने ले लीं जान
दिल्ली से कोरोना वायरस से जुड़ी एक ऐसी खबर आ रही है। जिसके बारे में जानकार आपकी आंखें भर आएंगी। मामला एक शख्स की मौत से जुडा हुआ है।
नई दिल्ली : दिल्ली से कोरोना वायरस से जुड़ी एक ऐसी खबर आ रही है। जिसके बारे में जानकार आपकी आंखें भर आएंगी। मामला एक शख्स की मौत से जुडा हुआ है। जो लॉकडाउन के दौरान पलायन कर रहे प्रवासी मजदूरों को लगातार तीन महीने तक फ्री में भोजन बांटता रहा।
तीन महीने बाद उसे कोरोना हो गया और उसकी जान चली गई। मरने वाले इस शख्स का अरुण सिंह बताया जा रहा है। अरुण अपनी तरह के पहले इन्सान नहीं है बल्कि कई और भी लोग थे जो अरुण की तरह ही प्रवासी मजदूरों को पानी और खाना बांट रहे थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अरुण अप्रैल से ही प्रवासी मजदूरों के लिए रोजाना सड़कों पर निकलते थे और उन्हें खाने के पैकेट बांटते थे। तीन महीने तक दिन रात बिना थके-बिना रुके वे अपने काम में जुटे रहे।
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तीन बाद बाद पता चली कोरोना की बात
तीन महीने बाद जुलाई के महीने में अचानक से एक दिन उनकी तबीयत बिगड़ी। जांच कराने पर कोरोना की रिपोर्ट पाजिटिव आई। 4 जुलाई को उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया।
सोमवार को उन्होंने द्वारका के वेंकटेश्वर हॉस्पिटल में दम तोड़ दिया। उनके दो बच्चे हैं। बेटा कक्षा 9 में है। जबकि बेटी ने पिछले दिनों इंटरमीडिएट का एग्जाम पास किया है। उनकी पत्नीं घर का काम देखती हैं।
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अरुण की मौत की खबर पाकर लोगों की आँखों में आ गए आंसू
अरुण सिंह की मौत की खबर पाकर लोगों की आँखों में आंसू आ गए। द्वारका के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट चंदर शेखर ने कहा, 'अरुण सिंह हमारे सबसे अहम कर्मियों में से एक थे।
उनकी सोच हमेशा लीक से हटकर कुछ अलग करने की थी। उनका कार्य बेहतरीन था। हम उन्हें जो भी कार्य सौंपते थे, उसे वह पूरे विश्वास के साथ करते थे।
फिर चाहे वो खाना बांटना हो या कंटेनमेंट जोन के अंदर काम करना हो, वह हर काम में अपना हंड्रेड परसेंट देते थे। उनकी मौत से हम सभी को निजी तौर पर भारी नुकसान हुआ है। जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती।
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