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केजरीवाल की दिल्ली में आक्रामक रणनीति, दूसरे दलों के मजबूत नेताओं पर भी भरोसा, चुनावी तैयारी में BJP से आगे निकले
Delhi Election: दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियां शुरू हो गई है।
Delhi Election: दिल्ली में अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी के मामले में आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल भाजपा और कांग्रेस से आगे निकलते दिख रहे हैं। दिल्ली पर पूरी तरह फोकस करने के लिए उन्होंने महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवार नहीं उतारे थे। उन्होंने अपना ध्यान पूरी तरह दिल्ली पर केंद्रित करते हुए जनसंपर्क अभियान तेज कर दिया है। गुरुवार को उन्होंने विधानसभा चुनाव के लिए अपने 11 उम्मीदवारों का भी ऐलान कर दिया। केजरीवाल ने भाजपा और कांग्रेस से आए तीन-तीन उम्मीदवारों को भी टिकट देकर विधानसभा चुनाव के लिए अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं।
दूसरे दलों से आए छह नेताओं पर भरोसा
चुनाव आयोग की ओर से अभी तक दिल्ली के विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं किया गया है। ऐसे में केजरीवाल की ओर से 11 उम्मीदवारों की सूची जारी करने का कदम काफी हैरानी वाला माना जा रहा है। आम आदमी पार्टी की सूची में ग्यारह उम्मीदवारों के नाम देखकर लोग चौंक गए। सूची में शामिल नाम दूसरी राजनीतिक पार्टियों को भी अचरज में डालने वाले थे। खुद आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता भी केजरीवाल के कदम से हैरान रह गए क्योंकि इस सूची में छह ऐसे नेताओं के नाम शामिल हैं जो दूसरे दलों से आए हुए हैं।
केजरीवाल ने भाजपा और कांग्रेस छोड़कर आप में शामिल होने वाले तीन-तीन नेताओं को पहली सूची में ही अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। आप का टिकट पाने वाले ये सभी नेता कुछ समय पहले ही अपनी पार्टियों को छोड़कर आप में शामिल हुए हैं। इन नेताओं को टिकट देने के लिए केजरीवाल ने अपनी ही पार्टी के तीन विधायकों का टिकट काट दिया।
इसलिए काट दिए तीन विधायकों के टिकट
केजरीवाल ने अपने जिन तीन विधायकों का टिकट काटा है, उनमें किराड़ी से ऋतुराज झा, मटियाला से गुलाब सिंह यादव और सीलमपुर से अब्दुल रहमान शामिल हैं। दिलचस्प बात यह है कि ऋतुराज सिंह और गुलाब सिंह की अपेक्षा केजरीवाल ने उन दो नेताओं को वरीयता दी है जो पांच साल पहले इन दोनों से चुनाव हार गए थे। पांच साल पहले कांग्रेस के टिकट पर चुनाव हारने वाले मतीन अहमद के बेटे जुबैर अहमद चौधरी को सीलमपुर से टिकट दिया गया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इन तीनों सीटों पर क्षेत्र के लोग अपने विधायकों के कामकाज से संतुष्ट नहीं थे और उन्हें हारे हुए उम्मीदवारों के प्रति सहानुभूति थी। इसलिए केजरीवाल ने लोगों का मूड भांपते हुए इन तीनों सीटों के टिकटों में बदलाव किया है। केजरीवाल ने दूसरी पार्टी से आने वाले हारे हुए उम्मीदवारों के नाम पर दांव लगाकर एक तीर से दो निशाना साधने का प्रयास किया है।
जीत की गारंटी ही टिकट का आधार
केजरीवाल ने हाल में है स्पष्ट तौर पर कहा था कि वे अपने किसी दोस्त या रिश्तेदार को टिकट नहीं देंगे। केवल जीत की गारंटी ही टिकट देने का आधार बनेगी। उनका इशारा बिल्कुल साफ था की टिकट बंटवारे में नाम नहीं बल्कि काम और उम्मीदवार के भीतर जीत का दम देखा जाएगा। अब तीन विधायकों का टिकट काटकर केजरीवाल ने यह भी साफ कर दिया है कि जिन लोगों से क्षेत्र के लोगों को शिकायतें हैं या जिन्होंने अपने क्षेत्र में काम नहीं किया है पार्टी ऐसे लोगों को अब चुनावी अखाड़े में नहीं उतारेगी।
विधानसभा चुनाव क्यों बना अहम
केजरीवाल के इस कदम से साफ हो गया है कि भाजपा को हराने के लिए हुए साम,दाम, दंड भेद सब कुछ अपनाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। दिल्ली का विधानसभा चुनाव केजरीवाल के लिए सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है। जेल से बाहर निकलने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और आतिशी को सीएम पद की कुर्सी सौंप दी थी। इसके बाद उनका कहना था कि वे जनता का समर्थन मिलने के बाद ही अब मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेंगे। इसी कारण दिल्ली के विभिन्न कार्यक्रमों में वे लोगों से पिछले चुनावों से भी ज्यादा समर्थन देने की अपील कर रहे हैं।