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Lakhimpur Kheri Case: आशीष मिश्रा की मुश्किलें बढ़ीं, हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने जमानत देने से किया इंकार
Lakhimpur Kheri Case: केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे और लखीमपुर मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत पर हाई कोर्ट का आज फैसला आया। कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इंकार कर दिया।
Lakhimpur Kheri Case : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मंगलवार (26 जुलाई 2022) को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया कांड मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा (Ajay Mishra) के बेटे और मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा (Ashish Mishra) उर्फ मोनू की जमानत याचिका खारिज कर दी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench) ने आज सुनवाई के दौरान कहा, कि 'रिकॉर्ड पर उपलब्ध तथ्यों के मद्देनजर आशीष मिश्रा को जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता।' याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति कृष्ण पहल (Justice Krishna Pahal) की एकल पीठ ने आशीष मिश्रा की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। बता दें कि, इससे पहले जस्टिस कृष्ण पहल की एकल पीठ ने ही बीते 15 जुलाई को सुनवाई पूरी करने के बाद आदेश सुरक्षित रखा था।
क्या है मामला?
गौरतलब है कि, बीते साल 03 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया क्षेत्र में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र 'टेनी' (Ajay Mishra Teni) के गांव में एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था। इसी में शिरकत करने जा रहे प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Deputy CM Keshav Prasad Maurya) का किसानों ने जमकर विरोध किया। जिसके बाद हिंसा भड़क गई। इस हिंसा में चार किसानों सहित 8 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में आशीष मिश्रा का नाम मुख्य आरोपी के रूप में है।
दे सकते हैं रिव्यू पिटीशन
कोर्ट ने तो अपना फैसला सुना दिया, मगर इस मामले पर अभी तक आशीष मिश्रा के वकीलों की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। जानकार मानते हैं कि आशीष के वकील एक बार अदालत में रिव्यू पिटीशन डाल सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई थी याचिका
आपको बता दें कि, इससे पहले हाई कोर्ट ने 10 फरवरी, 2022 को आशीष मिश्रा को जमानत दे दी थी। लेकिन, सर्वोच्च न्यायालय ने जमानत खारिज करते हुए सुनवाई को वापस हाई कोर्ट भेज दिया था। इसी के बाद से हाई कोर्ट नए सिरे से इस मामले की सुनवाई कर रहा है। इस बीच 09 मई 2022 को हाई कोर्ट ने इस मामले के चार सह अभियुक्तों की जमानत याचिका यह कहकर खारिज कर दी, कि वे राजनीतिक तौर पर बहुत पहुंचे हुए लोग हैं। ऐसे में छूटने पर उनके द्वारा गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास किया जा सकता है।