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Congress President: गहलोत पर दांव खेलने का बड़ा है मकसद, कांग्रेस को क्या हो सकता है फायदा

Congress President: कांग्रेस नेतृत्व की ओर से गहलोत का नाम आगे बढ़ाए जाने के पीछे कई बड़े कारण माने जा रहे हैं। गहलोत को सियासत का माहिर खिलाड़ी माना जाता है ।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 25 Aug 2022 10:37 AM IST
Ashok Gehlot
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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (photo: social media )

Congress President: 2024 की सियासी जंग से पहले कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम सबसे मजबूती से उभरा है। गहलोत की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद इन चर्चाओं ने काफी तेजी पकड़ ली है। वैसे कांग्रेस के नेता अभी तक इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से बच रहे हैं और गहलोत का कहना है कि वे खुद इस बारे में कुछ नहीं जानते। उन्हें मीडिया से ही इन चर्चाओं की जानकारी मिली है। वैसे जानकार सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी ने गहलोत से यह बड़ी जिम्मेदारी संभालने का अनुरोध किया है।

कांग्रेस नेतृत्व की ओर से गहलोत का नाम आगे बढ़ाए जाने के पीछे कई बड़े कारण माने जा रहे हैं। गहलोत को सियासत का माहिर खिलाड़ी माना जाता है और वे कई नाजुक मौकों पर अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय दे चुके हैं। उनका लंबा राजनीतिक कॅरियर बेदाग रहा है और अनुभव के लिहाज से भी वे काफी वरिष्ठ हैं। पार्टी का असंतुष्ट खेमा भी उनके नाम पर आसानी से रजामंद हो सकता है। माना जा रहा है कि गहलोत की इन्हीं खूबियों के कारण राहुल गांधी के इनकार के बाद उनका नाम सबसे मजबूत दावेदार के रूप में उभरा है।

राहुल को मनाने में अभी तक नाकामी

कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए 20 सितंबर तक की डेडलाइन तय की गई है मगर अभी तक किसी नेता की ओर से अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी सामने नहीं आई है। 2019 की सियासी जंग में पार्टी की करारी हार के बाद राहुल गांधी फिर पार्टी का अध्यक्ष पद संभालने को तैयार नहीं है।

राहुल समर्थक खेमा तमाम कोशिशें करने के बावजूद उन्हें नेतृत्व के लिए तैयार करने में नाकाम साबित हुआ है। पार्टी में पिछले दिनों गांधी परिवार से इतर किसी नेता को पार्टी का नेतृत्व सौंपने की मांग भी जोरदार ढंग से उठी थी। इन सियासी परिस्थितियों के बीच गहलोत को इस बड़ी जिम्मेदारी के लिए सबसे उपयुक्त माना जा रहा है।

गहलोत कर रहे राहुल की वकालत

जानकार सूत्रों का कहना है कि इसी कारण गहलोत से मुलाकात के दौरान सोनिया ने उनसे यह जिम्मेदारी संभालने का अनुरोध किया है। हालांकि इस मुलाकात के बाद गहलोत ने एक बार फिर राहुल गांधी को ही कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की वकालत की है।

उनका कहना है कि देश भर के कांग्रेस कार्यकर्ता राहुल गांधी को ही अध्यक्ष के रूप में देखना चाहते हैं। अशोक गहलोत के इस बयान का अब कोई मतलब नहीं माना जा रहा है क्योंकि राहुल पहले ही अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने से इनकार कर चुके हैं।

गहलोत क्यों हो सकते हैं फायदेमंद

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि गहलोत का लंबा राजनीतिक अनुभव पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। उन्होंने कांग्रेस की तीन पीढ़ियों के साथ काम किया है। इंदिरा गांधी से लेकर राहुल गांधी तक वे गांधी परिवार के पूरी तरह भरोसेमंद रहे हैं। राजस्थान में सचिन पायलट की बगावत के समय भी उन्होंने अपनी सियासी कुशलता के कारण सरकार बचाने में कामयाबी हासिल की थी। नेतृत्व के मामले में भी उन्हें मजबूत माना जाता रहा है।

अभी पिछले राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजस्थान से तीन बाहरी उम्मीदवार लड़ाए थे और गहलोत ने इन तीनों को जिताकर भाजपा की योजना पूरी तरह फेल कर दी थी। गहलोत के पक्ष में एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि वे पार्टी के सभी खेमों को स्वीकार्य रहे हैं। अनुभव के लिहाज से काफी वरिष्ठ होने के साथ ही पार्टी के सभी नेताओं के साथ उनके सहज और अच्छे रिश्ते हैं। माना जा रहा है कि इन्हीं कारणों की वजह से कांग्रेस नेतृत्व की ओर से गहलोत का नाम आगे किया गया है।

गहलोत की राह में कई अड़चनें भी

अशोक गहलोत को अध्यक्ष बनाने की राह में अभी कई सियासी अड़चनें भी हैं। कांग्रेस के जानकार सूत्रों का कहना है कि गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। गहलोत के राजस्थान छोड़ने के बाद सचिन पायलट वहां खुद को सियासी रूप से मजबूत बनाने में कामयाब हो सकते हैं और गहलोत को यह मंजूर नहीं है। इसके साथ ही गहलोत को इस बात की भी बखूबी जानकारी है कि कांग्रेस अध्यक्ष का पद कांटों भरा ताज है क्योंकि गांधी परिवार से इतर किसी नेता के लिए इस राष्ट्रीय पार्टी का नेतृत्व करना आसान साबित नहीं होगा।

नए अध्यक्ष को 2024 की सियासी जंग में भाजपा की मजबूत चुनौती का भी सामना करना होगा। भाजपा ने अभी से ही चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं जबकि कांग्रेसी इस मामले में पिछड़ती हुई दिख रही है। साथ ही कांग्रेस के लिए विपक्षी दलों के साथ एकजुटता बनाना भी काफी मुश्किल माना जा रहा है। यही कारण है कि गहलोत अभी भी राहुल गांधी को ही पार्टी अध्यक्ष बनाने की मांग पर अड़े हुए हैं।

अभी तक पार्टी में आम राय नहीं

हालांकि अध्यक्ष पद के मुद्दे पर पार्टी में अभी तक आम राय नहीं कायम हो चुकी है। लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि गांधी परिवार से बाहर का कोई व्यक्ति अब पार्टी का नेतृत्व नहीं कर सकता है। दूसरी तरफ वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा है कि अध्यक्ष पद संभालने के लिए राहुल से जोर-जबर्दस्ती नहीं की जा सकती।

बुधवार को सोनिया मेडिकल जांच के लिए राहुल गांधी और प्रियंका के साथ विदेश रवाना हो चुकी है। कांग्रेस की ओर से अभी गांधी परिवार के विदेश से वापसी की कोई तारीख नहीं बताई गई है। कांग्रेस की ओर से जारी विज्ञप्ति में यह बात जरूर कही गई है कि 4 सितंबर को महंगाई के खिलाफ हल्ला बोल रैली से पहले गांधी परिवार के तीनों सदस्य स्वदेश लौट आएंगे। ऐसे में नए कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर कयासों का दौर अभी आगे भी जारी रहने की संभावना है।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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