×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

असम से भाग रहे संदिग्ध अवैध नागरिक

seema
Published on: 3 Aug 2018 12:04 PM IST
असम से भाग रहे संदिग्ध अवैध नागरिक
X
असम से भाग रहे संदिग्ध अवैध नागरिक

गुवाहाटी: नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) के तूफान की दस्तक अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मेघालय तक पहुंच चुकी है। जब से एनआरसी की सूची जारी हुई है तबसे असम से सटे इन राज्यों में पहुंचे हजारों लोगों को बैरंग लौटाया जा चुका है। असल में असम में जिन लोगों के नाम एनआरसी से नदारद हैं यानी अवैध बांग्लादेशी प्रवासी डर के मारे राज्य से भाग रहे हैं।

नगालैंड में पुलिस ने असम से सटे सभी एंट्री प्वाइंट्स पर नाकेबंदी कर दी है। राज्य के इकलौते रेलवे स्टेशन डीमापुर में भी पुलिस सख्त निगरानी कर रही है। नगालैंड में प्रवेश करने के लिए वैसे भी सभी लोगों के लिए इनर लाइन परमिट (आईएलपी) जरूरी होता है,लेकिन अब बाहरी लोगों के लिए इस परमिट के अलावा अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने के दस्तावेज प्रस्तुत करना आवश्यक कर दिया गया है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक दस्तावेजों को प्रस्तुत करने में असफल सैकड़ों यात्रियों को वापस भेजा गया है।

असम में 30 जुलाई को एनआरसी का अंतिम ड्राफ्ट प्रकाशित होने के पहले ही नगालैंड सरकार ने राज्य के सभी संगठनों और ग्राम्य अधिकारियों को सचेत कर दिया गया था कि वे अवैध प्रवासियों को आने से रोकने के लिए तैयार रहें। नगालैंड के चीफ सेक्रेटरी तेमजेन टाय ने बताया कि पुलिस सभी यात्रियों से उनकी पहचान पता कर रही है। बाहर से आने वाले लोगों से आधार कार्ड, राशन कार्ड, वोटर आईडी वगैरह मांग जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक असम-नगालैंड सीमा पर इंडियन रिजर्व बटालियन (आईआरबी) की अतिरिक्त टुकडिय़ों को को तैनात किया जा रहा है ताकि अवैध लोगों को रोका जा सके।

यह भी पढ़ें : बंगाल में एनआरसी की मांग को लेकर भाजपा का कोलकाता में मार्च

भारतीय जनता पार्टी के सहयोग से सरकार चला रहे नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफियू रियो ने एक सार्वजनिक समारोह में कहा कि कार्य संस्कृति और श्रम की गरिमा के अभाव के कारण अवैध शरणार्थी राज्य में घुसते हैं। उन्होंने राज्य के लोगों से कहा कि अगर वे काम करना शुरू कर देंगे तो बाहर वालों को रोजगार नहीं मिलेगा और अगर उन्हें रोजगार नहीं मिलेगा तो वे यहां नहीं आएंगे। नागालैंड सरकार ने ग्राम परिषदों से भी सतर्क रहने और अवैध शरणार्थियों को उसकी सीमा में घुसने नहीं देने को कहा है।

एनआरसी के प्रकाशन के बाद किसी संभावित समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने असम व पड़ोसी राज्यों में केंद्रीय बलों के 22 हजार जवान भेजे हैं। असम के शिवसागर, कार्बी आंग्लांग, जोरहाट, गोलाघाट और उरियामघाट जैसे इलाके नगालैंड से लगी सीमा के पास स्थित हैं। इस बीच, नागा छात्र संघ (एनएसएफ) ने भी राज्य के लोगों से अवैध घुसपैठियों को पनाह नहीं देने और उनके बारे में प्रशासन को सूचित करने की अपील की है।

मेघालय में रोके जा रहे वाहन

उधर मेघालय में पुलिस के साथ-साथ छात्र संगठन भी अवैध प्रवासियों की घुसपैठ रोकने में लगे हुए हैं। खासी स्टूडेंट्स यूनियन (केएसयू) द्वारा मेघालय में 1500 से अधिक आप्रवासियों को कई चेक पोस्ट से वापस भेज दिया गया है। केएसयू ने तीन जिलों में चेक पोस्ट की स्थापना की है। केएसयू के पश्चिम खासी हिल्स जिला प्रमुख जॉन फिशर नोंग्सियांग ने कहा कि उन्होंने 'घुसपैठ चेक गेट्स' का निर्माण किया है क्योंकि राज्य में आवाजाही से निपटने के लिए कोई तंत्र नहीं है। इसके जरिये अवैध लोगों को प्रवेश से रोका जाएगा।

असल में ब्रह्मपुत्र और बराक घाटी एक दूसरे से रेल व सड़क नेटवर्क से जुड़े हुए हैं जो असम के डीमा हासाओ जिले से होकर जाती है। इस सड़क की हालत इतनी खराब है कि गुवाहाटी और बराक घाटी के बीच आने-जाने वाले यात्री मेघालय से होकर गुजरने वाले हाईवे को इस्तेमाल करना ज्यादा पसंद करते हैं। जबसे असम में एनआरसी का प्रकाशन हुआ है तबसे मेघालय में खासी स्टूडेंट्स यूनियन ने हाईवे और सीमा स्थित अन्य रूटों पर नाकेबंदी कर दी है। इन सड़कों से गुजरने वाले निजी व कामर्शियल वाहनों को रोककर लोगों से असम की एनआरसी में उनके नाम शामिल होने का सबूत मांगा जा रहा है। कुछ जगहों पर यात्रियों से मारपीट होने की भी खबरें हैं। इन खबरों के बीच यात्रियों के साथ सख्ती बरते जाने पर असम के अधिकारियों ने मेघालय सरकार से कहा है कि किसी को अनावश्यक परेशान न किया जाए।

अरुणाचल में भी हो रही चेकिंग

अरुणाचल प्रदेश के एक प्रभावशाली छात्र संगठन ने नगालैंड और मेघालय की तरह अपने राज्य में प्रवेश करने वालों की चेकिंग शुरू कर दी है। ऑल अरुणाचल स्टूडेंट्स यूनियन (आप्सू) ने अरुणाचल प्रदेश में मौजूद सभी अवैध प्रवासियों को 15 दिन के भीतर राज्य से बाहर चले जाने की चेतावनी दी है। आप्सू ने सभी भवन मालिकों से कहा है कि वो किसी भी गैर जनजाति व्यक्ति को अपना मकान किराये पर देने से पहले उसके बारे में पूरी पड़ताल कर लें कि वो भारतीय नागरिक हैं कि नहीं। ठेकेदारों और व्यापारियों से आप्सू ने कहा है कि वो ऐसे किसी व्यक्ति को काम पर न रखें जिसकी नागरिकता संदिग्ध लगती हो। ये भी कहा गया है कि जब यूनियन के लोग गैर स्थानीय लोगों के दस्तावेज चेक करें तो उनके काम में हस्पक्षेप न किया जाए। आप्सू के महासचिव तोबोम दई ने कहा कि 15 दिन बाद हम ऑपरेशन 'क्लीन ड्राइव शुरू कर देंंगे। यूनियन के एक नेता तातुंग तागा ने कहा कि यूनियन की कमेटी के सदस्यों ने असम-अरुणाचल की 804 किमी सीमा पर स्थित इंट्री प्वाइंट्स का दौरा किया है। कमेटी ने पाया कि असम की ओर कुछ दलाल करीब ४०० लोगों को नकली इनर लाइन परमिट उपलब्ध कराने की कोशिश कर रहे थे। इस बीच अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को सीमावर्ती क्षेत्रों में कम से कम एक माह तक गश्त बढ़ाने और विशेष चौकसी बरतने के निर्देश दिये हैं।

अन्य राज्यों में उठी एनआरसी की मांग

त्रिपुरा में नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ त्रिपुरा के अध्यक्ष बिजॉय कुमार ने कहा है कि एनआरसी की भावना वही है जिसकी संविधान गारंटी देता है - अपने नागरिकों की रक्षा। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी की हमेशा से मांग रही है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करके उन्हें देश से बाहर निकाला जाए और राज्य के ट्राइबल ऑटोनॉमस काउंसिल में लोगों के प्रवेश को रोकने के लिए इनर लाइन परमिट की व्यवस्था लागू की जाए। बिजॉय कुमार ने कहा कि हम अपने राज्य में एनआरसी लागू कराने के लिए आंदोलन छेड़ेंगे। 23 अगस्त को पार्टी एक मेगा रैली आयोजित की जाएगी।

दूसरी ओर मेघालय में खासी स्टूडेंट्स यूनियन ने राज्य में एनआरसी तैयार करने की मांग उठाई है। यूनियन के एक प्रतिनिधिमंडल ने डिप्टी चीफ मिनिस्टर प्रेस्टन टिनसांग से मुलाकात करके कहा कि राज्य के मूल जनजातीय समुदायों की रक्षा के लिए एनसारसी तैयार करना जरूरी है। यूनियन की मांग है कि 1971 के कट ऑफ के आधार पर मेघालय में एनआरसी तैयार कराया जाए। 1971 में बांग्लादेश युद्ध के दौरान बड़ी संख्या में बांग्लादेशी मेघालय में भी घुस आए थे।

तृणमूल कांग्रेस के 8 नेताओं को हिरासत में लिया गया

गुवाहाटी : एनआरसी का विरोध कर रही टीएमसी के 6 सांसद और दो विधायक को 2 अगस्त को असम के सिलचर एयरपोर्ट पर हिरासत में ले लिया गया। सिलचर शहर के अंदर भारी संख्या में फोर्स तैनात कर दी गई है।

हिरासत में लिए जाने के बाद तृणमूल नेताओं का आरोप है कि उन्हें शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना चाहते थे लेकिन उन्हें जबरन हिरासत में ले लिया गया।

टीएमसी के वरिष्ठ नेताओं ने असम सरकार के इस कदम की आलोचना की है। तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ओ ब्रायन ने आरोप लगाया कि सिलचर एयरपोर्ट पर उनके नेताओं के साथ बदसलूकी की गई। उन्होंने कहा कि हिरासत में लिए गए सभी लोग जन प्रतिनिधि हैं। तृणमूल नेताओं ने कानून का उल्लंघन नहीं किया है। लोगों से मिलना उनका लोकतांत्रिक अधिकार है। सरकार का कहना है कि इलाके में धारा 144 लगी हुई और इसी वजह उन्हें हिरासत में लिया गया है। जिन नेताओं को हिरासत में लिया गया है उनमें पश्चिम बंगाल के मंत्री सिराज हकीम, राज्यसभा के दो और लोकसभा के चार सांसद हैं।



\
seema

seema

सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

Next Story