Assam Violence : शांति की राह पर NLFT-ATTF, केंद्र और त्रिपुरा के बीच करार, जानिए कैसे हुआ संभव?

Assam Violence : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, त्रिपुरा CM माणिक साहा और अन्य की उपस्थिति में गृह मंत्रालय में भारत सरकार, त्रिपुरा सरकार, एनएलएफटी (नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा) और एटीटीएफ (ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स) के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

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Published on: 4 Sep 2024 9:58 AM GMT (Updated on: 4 Sep 2024 11:13 AM GMT)
Assam Violence : शांति की राह पर NLFT-ATTF,  केंद्र और त्रिपुरा के बीच करार, जानिए कैसे हुआ संभव?
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Assam Violence : पूर्वोत्तर भारत में बीते कई दशकों से हो रही हिंसा के बीच राहत भरी खबर है। दरअसल, भारत सरकार, त्रिपुरा सरकार, एनएलएफटी (नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा) और एटीटीएफ (ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स) के बीच बुधवार को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा और अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में नॉर्थ ब्लॉक, दिल्ली में हुआ। इस समझौते के बाद से माना जा रहा है कि क्षेत्र शांति स्थापित हो सकेगी, इसके लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है। बीते दिनों कई संगठनों के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर भी किए हैं, जिससे हिंसा में कुछ कमी जरूर देखने को मिली है, लेकिन एक बार फिर से पूर्वोंत्तर हिंसा की चपेट में आ गया, जिससे सैंकड़ों नागरिकों की जानें जा चुकी हैं।

पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद और हिंसा कोई नई बात नहीं है, यहां कई दशकों से अशांति देखने को मिल रही है। केंद्र और राज्य सरकारें यहां के उग्रवादी संगठनों के बीच बातचीत और समझौते करने का प्रयास करती हैं, इसके बावजूद अशांति देखने को मिल रही है। बीते काफी दिनों से चल रही अशांति पर नियंत्रण के लिए सरकार लगातार बातचीत कर रही है। केंद्र में तीसरी बार मोदी सरकार बनने के तुंरत बाद से ही असम शांति को लेकर पहल शुरू हो गई है, जिसका असर अब देखने को मिला। गृहमंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उग्रवाद, हिंसा और संघर्ष से मुक्त विकसित पूर्वोत्तर के सपने को पूरा करने के लिए गृहमंत्रालय अथक प्रयास कर रहा है। पीएम के नेतृत्व के नेतृत्व में सरकार ने पूर्वोत्तर भारत में शांति और समृद्धि के लिए 12 महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें से तीन त्रिपुरा से संबंधित हैं। आगे यह भी कहा गया कि केंद्र सरकार ने कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके कारण लगभग 10,000 लोगों ने अपने हथियार त्याग दिए हैं।

ये है प्रमुख मांग

पूर्वोत्तर के राज्यों असम, त्रिपुरा सहित अन्य क्षेत्रों में उग्रवाद और हिंसा को लेकर कई दशकों से अशांति देखने को मिल रही है। यहां कई उग्रवादी संगठन हैं, जिनमें नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (एटीटीएफ) प्रमुख हैं। इन संगठनों की हमेशा से मांग रही है कि आदिवासी समुदाय की अस्मिता से कोई भी समझौता नहीं किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार ने इन्हें आश्वासन दिया है कि उनकी अस्मिता से समझौता नहीं होगा।

एनएलएफटी

नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी), एक उग्रवादी संगठन है। इसका गठन सन् 1989 में विश्वमोहन देबबर्मा की अगुवाई में किया गया था। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य त्रिपुरा को भारत के संघ से मुक्त कराना, 1956 के बाद त्रिपुरा में बसे लोगों को वहां से हटाना और आदिवासियों की जमीनें दिलाना शामिल है। इस संगठन पर हमेशा से आरोप लगता रहा है कि बंग्लादेश से हथियारों की तस्करी करते हैं, जिससे उग्रवादी गतिविधियां संचालित करते हैं। इस संगठन का अपना अलग झंडा है। इस संगठन के लोगों ने पुलिस चौकी से हथियारों को लूट लिया था, यह घटना 11 दिसम्बर 1991 हुई थी। इस घटना के बाद से यह संगठन चर्चा में आया था।

एटीटीएफ

ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (एटीटीएफ) संगठन को पहले ऑल त्रिपुरा ट्राइबल फोर्स के नाम से जाना जाता था, इसकी स्थापना 11 जुलाई, 1990 को हुई थी। यह उग्रवादी संगठन है। संगठन के लोगों ने आदिवासियों के हक के नाम पर सशस्त्र आंदोलन चलाया, जिसमें सैंकड़ों लोगों की मौतें भी हुई। इसके बाद त्रिपुरा सरकार और एटीटीएफ के बीच समझौता भी हुआ था। इसके तहत सैंकड़ों उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण भी कर दिया था, लेकिन एटीटीएफ के नेताओं - रंजीत देबबर्मा और ललित देबबर्मा के बीच कुछ मुद्दों पर अनबन हो गई थी, इसके बाद इस संगठन का नाम ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (एटीटीएफ) रखा गया। उसके बाद से ये संगठन उग्रवादी गतिविधियों में लिप्त है। हालांकि संगठन के कई सदस्य अपनी-अपनी मुख्यधारा में लौट आए। इस संगठन पर उग्रवादी गतिविधियों के साथ ही लूट, अपहरण और फिरौती, हिंसा जैसे बड़े आरोप हैं।

Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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