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Jammu Kashmir Election Date: जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में तारीखों का ऐलान आज, घाटी में धारा 370 हटने के बाद पहला विधानसभा चुनाव
Jammu Kashmir Election Date: चुनाव आयोग शुक्रवार दोपहर तीन बजे एक अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस करने जा रहा है जिसमें जम्मू कश्मीर के चुनावी कार्यक्रम का ऐलान करेगा। इसके अलावा आज हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए भी तारीखों का ऐलान होगा।
Jammu Kashmir Election Date: भारत निर्वाचन आयोग 16 अगस्त 2024 यानी शुक्रवार को दोपहर तीन बजे एक अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस करने जा रहा है जिसमें जम्मू-कश्मीर के चुनावी कार्यक्रम का ऐलान होगा। इसके अलावा हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए भी तारीखों का ऐलान होगा। 370 हटने के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होंगे। इस संबंध में हाल ही में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने जम्मू कश्मीर और हरियाणा के अधिकारियों के साथ बैठक भी की थी।
अगर हरियाणा की बात करें तो यहां विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं। वर्तमान में तीन सीटें खाली हैं। यहां बीजेपी के 41 विधायक हैं, कांग्रेस के 29, जेजेपी के 10 और आईएनएलडी और एचएलपी के एक-एक विधायक हैं और पांच निर्दलीय विधायक हैं।
लगातार हो रही थी चुनाव की मांग
2019 में धारा 370 खत्म कर दिये जाने के बाद जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित क्षेत्र बना दिया गया था। तभी से वहां के राजनीतिक दल लगातार राज्य का दर्जा वापस दिये जाने की मांग कर रहे थे। सरकार की तरफ से बार-बार यही कहा जा रहा था कि पहले चुनाव होंगे और उसके बाद ही राज्य का दर्जा वापस मिलेगा।
तीन से चार चरणों में हो सकते हैं चुनाव
चुनाव आयोग के सूत्रों की मानें तो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में तीन से चार चरणों में मतदान कराया जा सकता है। सितंबर में मतदान की प्रक्रिया पूरी करा इसी महीने के अंत तक चुनाव नतीजों का ऐलान किया जा सकता है। चुनाव आयोग के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव संपन्न कराने की राह में सबसे बड़ी चुनौती सुरक्षा व्यवस्था है। हाल के दिनों में अचानक बढ़ी आतंकी घटनाओं ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। इसका असर चुनावी कार्यक्रम पर भी दिख सकता है।
परिसीमन के बाद पहली बार चुनाव
परिसीमन का काम पूरा न हो पाने के कारण जम्मू-कश्मीर में लंबे समय तक विधानसभा चुनाव नहीं कराया जा सका था। मई, 2022 के परिसीमन के बाद अब जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सीटों की संख्या 90 हो गई है। इस तरह जम्मू में 43 और कश्मीर में 47 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं। 2014 में यहां 87 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुए थे, जिसमें जम्मू की 37 और कश्मीर घाटी की 46 सीटों के अलावा 6 सीटें लद्दाख की थीं। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर में मतदान को लेकर भारी उत्साह देखा गया था। श्रीनगर में मतदान ने नया रिकॉर्ड बना दिया था तो वहीं केंद्र शासित प्रदेश की अन्य सीटों पर भी मतदान को लेकर भारी उत्साह देखा गया था।की यह जीत कितनी बड़ी थी, उसे इस तरह से समझ सकते हैं कि बीजेपी अकेले के दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाई, जबकि 2014 और 2019 में अपने दम पर बहुमत हासिल किया था। राजनीति के जानकारों का मानना है कि सपा और कांग्रेस के गठबंधन ने बीजेपी के अति पिछड़ा वर्ग और दलित मतदाताओं में पैठ बनाई। इस वजह से ये मतदाता बीजेपी से छिटक गए। बीजेपी इन मतदाताओं को फिर से अपने पाले में लाना चाहती है। ऐसे में उसका जोर किसी ओबीसी को अध्यक्ष पद पर बिठाने पर हो सकता है। उनके इसलिए शिवराज सिंह चौहान और भूपेंद्र यादव अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार हो सकते हैं। इसका दूसरा पक्ष यह है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई वरिष्ठ मंत्री ओबीसी से समाज से हैं, ऐसे क्या बीजेपी का नया अध्यक्ष ओबीसी वर्ग से ही होगा या कोई सवर्ण। इस मामले में फडणवीस का पड़ला भारी है। उनके पक्ष में उनका आरएसएस का करीबी होना और ब्राह्मण चेहरा होना है।
इसी साल इन राज्यों में होना है विधानसभा चुनाव
वहीं इस साल हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड के साथ-साथ ही जम्मू-कश्मीर विधानसभा के भी चुनाव हो सकते हैं। बीजेपी के लिए ये चारों राज्य काफी महत्वपूर्ण हैं। महाराष्ट्र और हरियाणा में तो उसकी सरकार ही है। ऐसे में बीजेपी की कोशिश इन चुनावों से पहले ही नया अध्यक्ष लाने की है। केरल के पलक्कड़ में आरएसएस की समन्वय बैठक 31 अगस्त और दो सितंबर के बीच होनी है। ऐसे में चर्चा है कि इससे पहले बीजेपी को नया अध्यक्ष मिल सकता है। अब देखना यह होगा कि बीजेपी ओबीसी चेहरे पर दावं लगाएगी या ब्राह्मण याद दलित। यह तो समय ही बताएगा।