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गुजरात चुनाव : पिछले चुनाव परिणाम देख, पसीना बहाने को मजबूर नमो एंड कंपनी

Rishi
Published on: 23 Oct 2017 12:37 PM GMT
गुजरात चुनाव : पिछले चुनाव परिणाम देख, पसीना बहाने को मजबूर नमो एंड कंपनी
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पीएम नरेंद्र मोदी की फ़ाइल फोटो

गांधीनगर : गुजरात विधानसभा चुनाव बीजेपी, पीएम मोदी और पार्टी अध्यक्ष के लिए सम्मान का विषय बन गए हैं। पीएम मोदी बाकी सारे काम छोड़ गुजरात में अपनी ताकत झोकें हुए हैं। उनके साथ अमित शाह भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे। पहले के चुनावों को देखते हुए इसबार के चुनाव इन सभी के लिए महत्वपूर्ण बन चुके हैं। पहले जहां सिर्फ कांग्रेस विरोध में होती थी, वहीं इसबार मोदी एंड कंपनी के सामने उनका अपना पाटीदार वोटबैंक बागी बन खड़ा हो गया है।

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पाटीदार नेता निखिल सवानी ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया। एक और पाटीदार नेता नरेंद्र पटेल ने भी बीजेपी पर कई संगीन आरोप लगाए हैं। पाटीदार बीजेपी को आज शंका की नजर से देख रहे हैं।

अल्पेश ठाकोर, हार्दिक पटेल और जिग्नेष मेवाणी खुलेआम बीजेपी के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं। नोटबंदी और जीएसटी के बुरे प्रभाव से पार्टी अच्छी तरह वाकिफ है। ऐसे में पीएम और पार्टी अध्यक्ष स्वयं चुनाव की कमान अपने हाथ में ले चुके हैं। उन्हें अंदाजा है कि पीएम के तौर पर वो गुजरात को उतना समय नहीं दे सकते। जितना सीएम रहते दिया करते थे। ऐसे में यदि गुजरात हाथ से निकला तो विरोधी जीना दुश्वार कर देंगे।

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पिछले चुनावों के परिणाम देखने पर आपको भी सहज अंदाजा हो जाएगा, कि इस बार के चुनाव में बीजेपी क्यों इतनी ताकत लगा रही है।

चुनाव 2012

पिछले विधानसभा चुनाव में राज्य के वोटर्स पर नरेंद्र मोदी का जादू सिर चढ़ कर बोला और मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को 182 सीटों में से 115 पर जीत हासिल हुई जबकि कांग्रेस को 61 सीटों के साथ संतोष करना पड़ा।

चुनाव 2007

इस चुनाव में बीजेपी को 117 सीटें मिली, जबकि कांग्रेस को 59 सीटें मिलीं।

चुनाव 2002

इस विधान सभा चुनाव में बीजेपी को 127 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को 51।

चुनाव 1998

गुजरात को दो बार मध्यावधि चुनाव की भी बलि चढ़ना पड़ा, 1975 में पहली बार और इसके बाद 1998 में। इस चुनाव में बीजेपी को 117 व कांग्रेस को 53 सीटें मिलीं।

चुनाव 1995

ये चुनाव बीजेपी और मोदी के लिए सबसे खास रहा था। 45 साल के युवा मोदी को केंद्र से भेजा गया था। मोदी के रणनीतिक कौशल के चलते बीजेपी को दो-तिहाई बहुमत वाली सरकार मिली।

निर्दल व छोटे दलों की संख्या नहीं दी गई है।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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