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चीनी थिंकटैंक ने माना:तेजी से महाशक्ति बन रहा है भारत
चीन के एक थिंक टैंक ने कहा है कि भारत की फॉरेन पॉलिसी (डिप्लोमेसी) की चमक पूरी दुनिया में दिखाई दे रही है। नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में देश की रिस्क लेने की क्षमता बढ़ी है। भारत को लेकर चीन में पहली बार पहली बार इस तरह की स्टडी उस वक्त सामने आई है जब 73 दिन चले डोकलाम विवाद में भारत को डिप्लोमैटिक जीत मिली थी।चीनी थिंक टैंक का मा
बीजिंग/नयी दिल्ली: चीन के एक थिंक टैंक ने कहा है कि भारत की फॉरेन पॉलिसी (डिप्लोमेसी) की चमक पूरी दुनिया में दिखाई दे रही है। नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में देश की रिस्क लेने की क्षमता बढ़ी है। भारत को लेकर चीन में पहली बार पहली बार इस तरह की स्टडी उस वक्त सामने आई है जब 73 दिन चले डोकलाम विवाद में भारत को डिप्लोमैटिक जीत मिली थी।चीनी थिंक टैंक का मानना है कि भारत बड़ी तेजी से महाशक्ति के रूप में उभर रहा है।
भारत को लेकर ये बातें चाइना इंस्टीट्यूट ऑप इंटरनेशनल स्टडीज के वाइस प्रेसिडेंट रॉन्ग यिंग ने कही हैं।रॉन्ग भारत में चीन के एम्बेसडर रह चुके हैं।यिंग ने कहा कि बीते तीन साल में भारत की डिप्लोमेसी को दृढ़ निश्चयी कहा जा सकता है।मोदी की अगुआई में भारत ने अपनी अलग तरह की फॉरेन पॉलिसी तैयार की है।इसे आप नई परिस्थितियों में भारत के सुपर पावर बनने की रणनीति कह सकते हैं।यिंग ने ये भी कहा,"भारत के चीन,साउथ और साउथ-ईस्ट एशिया से नजदीकी रिश्ते हैं। साथ ही उसके अमेरिका और जापान में अच्छी पैठ है। मौजूदा वक्त में मोदी सरकार अपने रिश्तों को द्विपक्षीय फायदे के लिए इस्तेमाल कर रही है।
भारतीय विदेश नीति में जोखिम लेने की क्षमता बढ़ी
थिंक टैंक की पत्रिका में प्रकाशित लेख में रोंग ने भारत के चीन, दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के साथ संबंध और अमेरिका एवं जापान के साथ करीबी संबंध पर नजर डाली है।रोंग राजनयिक के तौर पर भारत में काम कर चुके हैं।उन्होंने कहा है कि मोदी के नेतृत्व में भारत की विदेश नीति तेजी से मुखर हो रही है और आपसी फायदे पेश कर रही है।भारत-चीन संबंधों पर रोंग ने कहा कि जब से मोदी ने सत्ता संभाली है,तब से दोनों देशों ने संबंधों में स्थिर गति बनाए रखी है। उन्होंने कहा,'डोकलाम घटना ने न केवल भारत-चीन सीमा मुद्दे को उभारा बल्कि कुल मिलाकर दोनों देशों के संबंधों को खतरे में डालने वाला भी बना।
भारत-चीन के संबंधों की धीमी चाल
यिंग ने कहा, "जब से मोदी ने पीएम का कार्यभार संभाला है, तब से भारत-चीन के संबंधों की चाल धीमी ही रही है। बीते साल सिक्किम सेक्टर में हुए डोकलाम मामले ने केवल भारत-चीन बॉर्डर का मुद्दा उठाया बल्कि इसका सीधा असर दोनों देशों की ओवरऑल रिलेशनशिप पर भी पड़ा। भारत-चीन को चाहिए कि एक-दूसरे के सहयोग के लिए रणनीतिक सहमति तैयार करें। जब ज्यादातर देश तरक्की की राह पर हैं, ऐसे में भारत और चीन भी पार्टनर्स और कॉम्पिटीटर्स हैं। दोनों के रिश्तो में कॉम्पिटीशन में कोऑपरेशन और कोऑपरेशन में कॉम्पिटीशन है। दोनों के बीच कोऑपरेशन और कॉम्पिटीशन का ही नियम होगा। यही दोनों देशों के बीच स्टेटस को (यथास्थिति) के लिए जरूरी होगा। इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता।''
चीन भारत का विरोधी नहीं
यिंग कहते हैं,"नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग को रणनीतिक रूप से एकराय कायम करनी होगी। चीन भारत के विकास में कोई रुकावट नहीं है बल्कि वह भारत के लिए मौका है। चीन भारत को आगे बढ़ने से कभी नहीं रोकेगा।भारत को आगे बढ़ने से अगर कोई रोक सकता है तो वह खुद भारत है।चीन के लिए भारत एक अहम पड़ोसी होने के साथ तेजी से बढ़ता हुआ देश है। वह एक ऐसा पार्टनर है जो इंटरनेशनल सिस्टम में रिफॉर्म ला रहा है।भारत का बड़ा मार्केट चीन की इकोनॉमी में ट्रांसफॉर्मेशन लाने का मौका साबित होगा।''
गुजराल फॉर्मूले से मोदी डॉक्ट्रिन तक
यिंग ने लिखा है कि प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल भारत-पाकिस्तान के बीच शांति के लिए गुजराल फॉर्मूला लेकर आए।अटल बिहारी वाजपेयी तक भारत की यही पॉलिसी रही। मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में साउथ एशिया के सभी पड़ोसी देशों को न्योता भेजा।वे भूटान दौरे पर गए।उन्होंने जताया कि पड़ोसी देशों का विकास उनके लिए अहम है।मोदी डॉक्ट्रिन ने असर साउथ एशिया की डिप्लोमैसी पर दिखाई देता है।
फैसले लेने में तेज हैं नरेंद्र मोदी
रॉन्ग लिखते हैं कि मोदी मजबूत फैसले में सक्षम हैं।उनका मानना है कि सरकार के काम से पड़ोसी देशों में भारत को तरजीह मिले। वहीं, मोदी के कामकाज के तरीके में रिस्क लेने की कैपेबिलिटी बढ़ी है।म्यांमार बॉर्डर पार कर आतंकी ठिकानों को खत्म करना इसी बात को दिखाता है।यिंग कहते हैं कि 2016 में पाक के कब्जे वाले कश्मीर में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक किया था।इससे पाकिस्तान में चिंता बढ़ी है।भारत की आर्थिक और सामरिक स्थिति उसे निश्चित तौर पर महाशक्ति बना रही है।
[एजेंसियां]