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Assocham-PwC Study- भारत में कैशलेस इकॉनमी से बढ़ा साइबर खतरा

देश में जैसे-जैसे कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया जा रहा है, वैसे-वैसे साइबर खतरे भी बढ़ रहे हैं, क्योंकि पिछले पांच सालों में बैंकिंग प्रणाली में साइबर हमलों की घटनाओं की संख्या नए उच्च स्तर पर पहुंच गई है।

tiwarishalini
Published on: 4 July 2017 12:46 PM GMT
Assocham-PwC Study- भारत में कैशलेस इकॉनमी से बढ़ा साइबर खतरा
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नई दिल्ली: देश में जैसे-जैसे कैशलेस इकॉनमी को बढ़ावा दिया जा रहा है, वैसे-वैसे साइबर खतरे भी बढ़ रहे हैं, क्योंकि पिछले पांच सालों में बैंकिंग प्रणाली में साइबर हमलों की घटनाओं की संख्या नए उच्च स्तर पर पहुंच गई है।

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एसोचैम (Assocham) और प्राइसवॉटरहाउसकूपर्स (PwC) द्वारा किए गए जॉइंट स्टडी से यह जानकारी मिली। अध्ययन में कहा गया है कि पिछले साल अक्टूबर में भारतीय बैंकों के एटीएम कार्ड को निशाना बनाया गया था, जिससे 32 लाख डेबिट कार्ड प्रभावित हुए थे।

क्या कहा गया स्टडी में ?

स्टडी में कहा गया है, "इससे व्यवसायों तथा व्यक्तियों द्वारा साइबर सुरक्षा को बढ़ाने के प्रयास करने की जरूरत है।" स्टडी में कहा गया है कि पिछले चार सालों में भारतीय वेबसाइटों पर हमला पांच गुना बढ़ा है। हालांकि साइबर सुरक्षा के लिए देश का बजटीय आवंटन वित्त वर्ष 2012-13 में महज 42.2 करोड़ रुपए था।

इस स्टडी में कहा गया है, "साइबर हमलों के खतरों के बावजूद वित्त वर्ष 2012-13 में साइबर सुरक्षा पर 42.2 रुपए आवंटित किए गए, जोकि वित्त वर्ष 2010-11 की तुलना में 19 फीसदी अधिक है, जबकि अमेरिका इस मद में 65.8 करोड़ डॉलर और यूएस-सीईआरटी 9.3 करोड़ डॉलर खर्च करता है।"

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इस स्टडी में बताया गया कि नोटबंदी के कारण ई-वॉलेट सेवाएं और मोबाइल वॉलेट एप डाउनलोड में भारी वृद्धि देखी गई है।

क्या कहना है एसोचैम के महासचिव का ?

एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने कहा, "भारत जैसे-जैसे कैशलेस अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ रहा है, साइबर हमलों का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। इसलिए हमें इसे निपटने के लिए तत्काल और व्यापक कदम उठाने होंगे।"

--आईएएनएस

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tiwarishalini

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