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Atal Bihari Vajpayee: गठबंधन की राजनीति के शिल्पकार थे अटल, विपक्षी दलों के नेता भी थे मुरीद

Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के बैनर तले 24 दलों को लाने में कामयाबी हासिल की थी और उन्होंने पांच साल तक पूरी मजबूती के साथ गठबंधन की सरकार चलाई।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 16 Aug 2022 8:58 AM IST
Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary
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देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (फोटो: सोशल मीडिया ) 

Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary: देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी उन बिरले राजनीतिज्ञों में थे जिनकी बहुमुखी प्रतिभा का हर कोई मुरीद था। लंबे समय तक देश की राजनीति में छाए रहने वाले वाजपेयी की आज पुण्यतिथि है। 2018 में आज ही के दिन उनका निधन हुआ था। मौजूदा समय में भाजपा के काफी ताकतवर होने के बावजूद एनडीए का कुनबा लगातार सिमटता जा रहा है मगर अटल को गठबंधन की राजनीति का महायोद्धा और शिल्पकार माना जाता रहा है। उन्होंने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के बैनर तले 24 दलों को लाने में कामयाबी हासिल की थी और उन्होंने पांच साल तक पूरी मजबूती के साथ गठबंधन की सरकार चलाई।

प्रखर वक्ता, पत्रकार, कवि और देश की सियासत के सबसे चर्चित चेहरों में एक अटल में इतनी ढेर सारी खूबियां थीं कि विपक्षी दलों के नेता भी उनके मुरीद थे। यही कारण था कि देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर डॉ मनमोहन सिंह तक सभी प्रधानमंत्री वाजपेयी को पूरा सम्मान दिया करते थे। संसद में उनके भाषण के दौरान विपक्षी सांसद भी मुग्ध होकर मेज थपथपाने पर मजबूर हो जाया करते थे। देश की सियासत में ऐसे बहुत कम नेता हुए हैं जिन्हें सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की ओर से इतना सम्मान मिला हो।

अटल बिहारी वाजपेयी (फोटो: सोशल मीडिया )

सबको साथ लेकर चलने में महारत

पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के अंदर सबको साथ लेकर चलने की अद्भुत क्षमता थी। यही कारण था कि वे 24 दलों को एक छतरी के नीचे लाने में कामयाब हुए। वाजपेयी ने देश के 24 दलों को एक मंच पर लाकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का गठन किया था। गठबंधन में शामिल सभी दलों के नेता वाजपेयी को भरपूर सम्मान दिया करते थे और इसी कारण अटल अपना कार्यकाल पूरा करने में कामयाब हुए थे।

सबको साथ लेकर चलने में वाजपेयी को महारत हासिल थी। उन्होंने 24 दलों को साथ लाकर एनडीए का गठन किया था। पांच वर्षों के कार्यकाल के दौरान कोई भी दूसरा राजनीतिक दल और अटल पर कभी उंगली नहीं उठा सका।

अटल बिहारी वाजपेयी (फोटो: सोशल मीडिया )

24 दलों को साथ लेकर चलने का कमाल

भाजपा को मजबूत बनाने में अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की सबसे बड़ी भूमिका मानी जाती रही है। दिल्ली में गैर कांग्रेसी सरकार के गठन की दिशा में पहला कदम बढ़ाते हुए मई 1998 में एनडीए का गठन किया गया था। हालांकि साल भर बाद ही गठबंधन को करारा झटका लगा था जब तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने समर्थन वापस लेकर अटल सरकार को गिरा दिया था।

बाद में 1999 में अटल कुछ नए दलों को भी साथ जोड़ने में कामयाब हुए।अटल की पहल पर बने बने इस गठबंधन में 24 दल शामिल थे। 24 दलों को साथ लेकर चलना हंसी खेल नहीं था मगर अटल के मजबूत नेतृत्व को इसी बात से समझा जा सकता है कि 24 दलों को साथ लेकर वे पांच साल तक सरकार चलाने में कामयाब रहे।

उनके कार्यकाल के दौरान गठबंधन में शामिल दलों में किसी भी प्रकार की नाराजगी नहीं पैदा हुई और सभी दलों ने अटल को भरपूर समर्थन दिया। हालांकि उसके बाद 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में अटल की अगुवाई में एनडीए को हार का मुंह देखना पड़ा। वैसे इस हार पर उस समय काफी हैरानी भी जताई गई थी।

अटल बिहारी वाजपेयी (फोटो: सोशल मीडिया )

सच साबित हुई नेहरू की भविष्यवाणी

देश की सियासत में अटल को हमेशा ऐसा नेता माना जाता रहा जिनकी व्यापक स्वीकार्यता थी। पंडित नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक सभी प्रधानमंत्री अटल के व्यक्तित्व से काफी प्रभावित रहे। प्रधानमंत्री के रूप में पंडित नेहरू के कार्यकाल के दौरान जब अटल पहली बार लोकसभा सदस्य बनकर संसद पहुंचे तो उनका भाषण सुनकर नेहरू जी काफी प्रभावित हुए थे।

अटल के गहरे ज्ञान और वक्तृत्व कला से प्रभावित होकर नेहरू जी ने उसी समय कहा था कि मैं किसी नौजवान का नहीं बल्कि भारत के भावी प्रधानमंत्री का भाषण सुन रहा हूं। नेहरू जी की यह भविष्यवाणी आज भी याद की जाती है क्योंकि उन्होंने संसद में अटल के पहले भाषण के दौरान ही उनके व्यक्तित्व को पूरी तरह पहचान लिया था। बाद के दिनों में नेहरू जी की यह भविष्यवाणी पूरी तरह सच साबित हुई और वाजपेयी ने देश के प्रधानमंत्री के रूप में बड़ी भूमिका निभाई।

अटल बिहारी वाजपेयी (फोटो: सोशल मीडिया )

विपक्षी दलों के नेता भी थे प्रशंसक

प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता के रूप में अटल हमेशा अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए जाने जाते थे। वे जब संसद में बोला करते थे तो विपक्षी दलों के नेता भी मंत्रमुग्ध होकर उनका भाषण सुना करते थे। अटल के तर्कों का विपक्षी दलों के नेता चाहकर भी जवाब नहीं दे पाते थे। उनकी काबिलियत, भाषा, सियासी सूझबूझ और वक्तृत्व कला को विपक्षी दलों के नेता भी सलाम किया करते थे।

1994 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने विपक्षी दल का नेता होने के बावजूद अटल को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग भेजे गए प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनाया था। पाकिस्तान ने विरोधी दल के नेता को जेनेवा भेजने पर हैरानी भी जताई थी मगर अटल का व्यक्तित्व ही ऐसा था कि वे सभी को प्रिय थे। जेनेवा में भी अटल ने भारत का पक्ष पूरी दमदारी से दुनिया के सामने रखा था।

अटल ने दिया था खुशवंत को जवाब

वरिष्ठ पत्रकार खुशवंत सिंह ने एक बार अटल के बारे में अपने कॉलम में टिप्पणी की थी कि अटल आदमी तो अच्छे हैं मगर गलत पार्टी में है। अटल ने खुशवंत की इस टिप्पणी का जवाब देते हुए कहा था कि अगर मैं अच्छा आदमी हूं तो गलत पार्टी में कैसे हो सकता हूं और अगर मैं गलत पार्टी में हूं तो अच्छा आदमी कैसे हो सकता हूं। अटल ने यह भी कहा था कि अगर फल अच्छा है तो फिर पेड़ कभी खराब नहीं हो सकता।

प्रधानमंत्री के रूप में लोकसभा में अपने खिलाफ रखे गए अविश्वास प्रस्ताव के दौरान भी अटल ने इस टिप्पणी का उल्लेख किया था और कहा था कि मेरी पूरी राजनीतिक जिंदगी जनसंघ और भाजपा के साथ ही कटी है और इसी पार्टी ने मुझे अच्छा आदमी बनाने में मदद की है। इसे छोड़कर मेरे व्यक्तित्व की कोई कल्पना ही नहीं की जा सकती।

वाजपेयी तीन बार बने प्रधानमंत्री

देश की राजनीति पर अमिट छाप छोड़ने वाले वाजपेयी 1996 से 1999 के बीच तीन बार देश के प्रधानमंत्री चुने गए। वे पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री बने मगर उनकी सरकार सिर्फ 13 दिनों तक ही रह पाई। 1998 में वे दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने में कामयाब हुए मगर उनकी सरकार 13 महीने तक ही चल सकी। 1999 में वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और इस बार उन्होंने पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया। वाजपेयी के बारे में एक उल्लेखनीय बात यह भी है कि पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले वे पहले गैरकांग्रेसी प्रधानमंत्री थे।



Monika

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पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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