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अटल नदी जोड़ो अभियान बना हकीकत, केन बेतवा परियोजना आज से होगी शुरू
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने देश के बाढ़ ग्रस्त इलाकों की नदियों का जल सूखाग्रस्त क्षेत्रों की ओर मोड़ने का सपना देखा था वह सोमवार को साकार होता दिखाई दे रहा है।
अखिलेश तिवारी
नई दिल्ली: 15 साल पहले देश की संसद ने केन-बेतवा जोड़ो परियोजना के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर होने का खुले मन से स्वागत किया था और तत्कालीन यूपीए सरकार को इसके लिए बधाई दी थी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के शासनकाल में शुरू की गई नदी जोड़ो परियोजना पर यूपीए सरकार पर यह पहली सकारात्मक पहल थी लेकिन बीते 15 सालों में इस दिशा में ठोस पहल नहीं हो सकी। सोमवार 22 मार्च 2021 में केंद्र सरकार केन बेतवा जोड़ो परियोजना को अमलीजामा पहनाने जा रही है। केंद्र सरकार की पूर्व जल संसाधन मंत्री व नदी जोड़ो परियोजना की अगुवाई करने वाली मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने इसे ऐतिहासिक पल बताया है और किसानों से अपील की है कि वह नदी जोड़ो परियोजना का खुलकर समर्थन करें।
बेतवा रिवर लिंक प्रोजेक्ट को लेकर सहमति
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने देश के बाढ़ ग्रस्त इलाकों की नदियों का जल सूखाग्रस्त क्षेत्रों की ओर मोड़ने का सपना देखा था वह सोमवार को साकार होता दिखाई दे रहा है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकार सोमवार को केंद्र बेतवा रिवर लिंक प्रोजेक्ट को लेकर सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने जा रही है।
हालांकि इसी तरह की सहमति एक बार पहले भी यूपीए सरकार में बन चुकी है लेकिन तब मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में अलग-अलग राजनीतिक दलों की सरकार होने की वजह से योजना को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका । तब योजना पर खर्च होने वाली धनराशि पर भी विवाद हुआ था योजना में राज्य सरकारों को भी अपना अंशदान करना था लेकिन बात बनी नहीं।
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भाजपा नेत्री उमा भारती ने इस परियोजना का खुले मन से किया स्वागत
15 साल बाद अब केन बेतवा लिंक परियोजना पर नए सिरे से कवायद शुरू हुई है और इस बार योजना पर होने वाला संपूर्ण व्यय केंद्र सरकार वहन करने के लिए तैयार है। पूर्व जल संसाधन मंत्री और नमामि गंगे परियोजना का नेतृत्व करने वाली भाजपा नेत्री उमा भारती ने इस परियोजना का खुले मन से स्वागत किया है उन्होंने याद दिलाया है कि किस तरह परियोजना को शुरू करने के लिए उनके स्तर पर भी प्रयास हुए थे।
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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने तत्कालीन जल संसाधन मंत्री सुरेश प्रभु और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के साथ बैठक में इस योजना पर मुहर लगाई थी बाद में 2005 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर और मुलायम सिंह यादव की एक और बैठक हुई। 2014 में केन बेतवा लिंक प्रोजेक्ट की मंजूरी की प्रक्रिया शुरू की गई और अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान इस दिशा में आगे बढ़ कर काम करने जा रहे हैं उन्होंने कहा की यही भारत के बाद एवं सूखा का समाधान है। देश के किसानों को आगे बढ़कर स्वागत करना चाहिए।
बाढ़ और सूखा की समस्याओं से किसान हमेशा संकट में
उन्होंने कहा कि देश में बाढ़ और सूखा की समस्याओं से किसान हमेशा संकट में रहता है इसका समाधान केवल नदी जोड़ो परियोजना है बाढ़ के पानी को समुद्र में जाने से रोक कर उन्हें सूखाग्रस्त इलाकों की ओर मोड़ देना ही इस योजना का मूल मकसद है केन बेतवा रिवर लिंक इसका एक छोटा सा मॉडल है पूर्व जल संसाधन मंत्री ने बताया है कि जल संसाधन मंत्रालय ने 2014 में नदियों को जोड़ने की 30 योजनाओं पर काम शुरू किया है। इन योजनाओं के हकीकत बनने पर 35 मिलियन यानी 350 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी और 34000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा।
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तीन योजनाएं प्रारंभ होने की स्थिति में
जल संसाधन मंत्रालय ने 2014 से नदियों को जोड़ने की 30 योजनाएं तैयार की हैं जिसमें 35 मिलियन हेक्टेयर जमीन सिंचित होनी है एवं 34000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होना है। इसमें से तो तीन योजनाएं प्रारंभ होने की स्थिति में 2017 से पड़ी हुई है- (1) केन-बेतवा (यूपी एमपी) 2. दमन गंगा- पिंजल 3. पारतापी-नर्मदा (महाराष्ट्र-गुजरात)
इन तीनों में से केन- बेतवा पहले शुरू की जा सकती है क्योंकि इस प्रोजेक्ट को नीति आयोग ने सूखाग्रस्त इलाकों के कारण स्पेशल प्रोजेक्ट की मान्यता दी है इसके निर्माण की लगभग संपूर्ण राशि केंद्र सरकार ही देगी। इस योजना की सारी प्रक्रियाएं लगभग पूरी हो चुकी हैं।
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