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ATF price: क्या होता है एविएशन टरबाइन फ्यूल, जानें कैसे होता है इसके मूल्य का निर्धारण

ATF price hike: ATFका सस्ता होने से एयरलाइंस और यात्रियों दोनों को फायदा होता है और महंगा होने पर भी दोनों की ही नुक्सान झेलना पड़ता है।

Krishna Chaudhary
Published on: 16 Jun 2022 4:06 PM IST (Updated on: 16 Jun 2022 4:07 PM IST)
ATF price hike
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एविएशन टरबाइन फ्यूल कीमतों में  भारी बढ़ोतरी (फोटो : सोशल मीडिया )

ATF price hike: हवाई जहाज में इस्तेमाल किए जाने वाले ईंधन एविएशन टरबाइन फ्यूल (ATF) की कीमतों में आज भारी बढ़ोतरी की गई है। इस वृद्धि के बाद से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) में एटीएफ का दाम बढ़कर 1,41,232.87 प्रति किलोलीटर हो गया है। इस वृद्धि के बाद हवाई सफर का महंगा (ATF price hike) होना तय है। विमानन कंपनी स्पाइस जेट (Spice Jet) ने तो यात्री किराया में 15 फीसदी की बढ़ोतरी का ऐलान भी कर दिया है। माना जा रहा है कि आने वाले समय में अन्य विमानन कंपनियां भी इस दिशा में जरूर बढ़ेगी।

तो आइए एविएशन टरबाइन फ्यूल (ATF) को समझने की कोशिश करते हैं, जिसके सस्ता होने से एयरलाइंस और यात्रियों दोनों को फायदा होता है और महंगा होने पर यात्रियों को झटका तो लगता ही है लेकिन एयरलाइन कंपनियों को तगड़ा नुकसान झेलना पड़ता है। क्योंकि विमानन कंपनियों का 40 से 45 फीसदी खर्च एटीएफ की खरीद पर ही होता है।

एविएशन टरबाइन फ्यूल (ATF)

एविएशन टरबाइन फ्यूल (ATF) या जेट ईंधन की जरूरत विमानों के परिचालन के लिए पड़ती है। यह एक विशेष प्रकार का पेट्रोलियम आधारित ईंधन है। एटीएफ दिखने में रंगहीन और स्ट्रा की तरह होता है। जेट फ्यूल हकीकत में केरोसीन की एक उच्च परिष्कृत श्रेणी है। इसका इस्तेमाल जेट व टर्बो-प्रॉप इंजन वाले विमान को पावर देने के लिए किया जाता है। अधिकतर व्यावसायिक एयरलाइन कंपनियां फ्यूल के तौर पर जेट ए और जेट ए-1 ईंधन का प्रयोग करती हैं। एविएशन टरबाइन फ्यूल (ATF) का उत्पादन अंतराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप और तय दिशानिर्देशों के तहत ही किया जाता है।

कैसे होता है एटीएफ का मूल्य निर्धारण

वैशिवक स्तर पर एविएशन टरबाइन फ्यूल (ATF) की कीमतें कच्चे तेल की कीमतों के साथ अधिक व आंशिक रूप से संबंध रहती हैं। क्योंकि यह कच्चे तेल की शुद्धिकरण प्रक्रिया से उत्पादित किया जाता है। इसलिए कच्चे तेल की कीमतों को प्रभावित करने वाले सभी कारक एटीएफ की कीमतों को भी प्रभावित करते हैं। इन कारकों में मांग व आर्पूर्ति, वैश्विक आर्थिक परिदृश्य, मौद्रिक उतार – चढ़ाव, भू – राजनीतिक तनावों, प्राकृतिक आपदाओं और अन्य कारक शामिल हैं।

एटीएफ की कीमतों में आए मौजूदा उछाल के पीछे भी रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी है। विमानन कंपनियां सामान्य ईंधन की तरह अब एटीएफ पर लगने वाले टैक्स में कटौती की मांग कर रही है ताकि अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी से कुछ राहत मिल सके।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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